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कार्तिक में निकले महाकाल, शिप्रा पर पूजन के बाद सवारी रूट बदला
उज्जैन | कार्तिक मास में भगवान महाकाल की पहली सवारी सोमवार को निकली। शिप्रा तट पर पूजन के बाद सवारी का रूट बदला गया। रामानुजकोट की बजाए सवारी गणगौर दरवाजे के नीचे से निकली। चांदी की पालकी में भक्तों को महाकाल ने मनमहेश रूप में दर्शन दिए।
शाम 4 बजे मंदिर के सभा मंडप में मुघौटे का पूर्व प्रशासक क्षितिज शर्मा व नए प्रशासक प्रदीप सोनी सहित मंदिर प्रबंध समिति सदस्यों ने पूजन किया। पुलिस चौकी पर जवानों की सलामी के बाद सवारी नगर भ्रमण पर निकली। मंदिर से सवारी गुदरी, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होकर शिप्रा तट पहुंची। पुजारी आशीष गुरु ने पूजन कराया। इसके बाद सवारी को रामघाट से रामानुजकोट की बजाए गणगौर दरवाजा की ओर मोड़ दिया। श्रावण – भादौ मास की सवारियां रामानुजकोट से निकलती है। लेकिन कार्तिक व अगहन मास की सवारी में रूट बदल जाता है। सवारी में आगे 5 घोड़े, पुलिस बैंड, झांझ-मंजीरे, डमरू बजाती मंडली भी निकली। गणगौर दरवाजे से सवारी कार्तिक चौक, ढाबा रोड, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, गुदरी होकर वापस महाकाल पहुंची। कार्तिक की दूसरी सवारी 30 अक्टूबर को निकलेगी। इसके बाद अगहन में 6 व 13 नवम्बर को सवारी आएगी। 2 नवंबर की रात हरिहर मिलन होगा।
कलेक्टर आने में लेट हो गए, नहीं कर पाए पूजा
पूजन के बाद शाम 4 बजे समय होते ही कहारों के साथ पंडे-पुजारियों ने महाकाल की पालकी उठाई और मंदिर से आगे बढ़ाई। कलेक्टर संकेत भोंडवे को आने में देरी हो गई थी। कलेक्टर मंदिर पहुंचे जब तक पालकी पुलिस चौकी के बाहर सलामी स्थल पर पहुंच चुकी थी। इसलिए कलेक्टर ने सिर्फ दर्शन किए। वे पूजन नहीं कर पाए।