कैमरे में कैद होगा कॉफी मशीन का प्रस्ताव

उज्जैन। दुग्ध संघ बोर्ड के अधूरे कोरम में प्रबंध संचालक अरुणा गुप्ता का कॉफी मशीन लगाने का प्रस्ताव भी था, जो उलझता नजर आ रहा है। कारण साफ है क्योंकि संचालक कम थे और सीईओ केके सक्सेना की मजबूरी थी। 15 लाख रुपये बोझ वाली योजना सभी की स्वीकृति मिल जाए। इसके अलावा 30 हजार किलो पावडर और 45 हजार कीलो मक्खन को भी सस्ते में बेचने की अनुमति मिल जाए, मगर कोरम के आभाव में एसा नहीं हो पाया। अब दुग्ध संघ प्रशासन अपनी एमडी को खुश करने के लिए जो संचालक नहीं आए थे, उनके दस्तखत कराने के लिए घर तक चक्कर लगा रहे हैं। मुसीबत ये आ रही है कि नाराज संचालकों ने जो बैठक में नहीं आए थे। उन्होंने वीडियो कैमरे फुटेज कबाड़ ली है। ऐसी स्तिथि में अगर अनुपस्थित बाकी 15 संचालकों के दस्तखत प्रस्ताव पर हो जाएंगे, तो बवाल मच जायेगा, फिर जिन संचालकों से सहमति के दस्तखत लेना है, उनमें संभाग के सभी जिलों के कलेक्टर, संभाग आयुक्त तथा एपेक्स के प्रतिनिधि के भी दस्तखत कराने होंगे। ऐसे में दुग्धसंघ संचालकों और प्रसाशन ने मिलकर अभी तक जो कुख्याती जनता में पाई हैं।

उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि अनुपस्थित रहे अधिकारी दस्तखत नहीं करेंगे और एमडी का काफी मशीन थोपने और मक्खन और पावडर वन पौने-दामों में बेचने का प्रस्ताव अधर में लटक जाएगा।

ये उल्लेख भी अवस्यक है कि वर्तमान सीईओ इंदौर में बाहरी राज्य के व्यापारियों के साथ चर्चा मंच पर भी कर चुके हैं। मक्खन और पावडर को बेचने के लिए। कुल मिलाकर दुग्ध संघ में ये वातावरण बन गया है कि कुछ संचालक संघ को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को भी अपना सहभागी बनाने के लिए उनके कार्यालय और घरों के चक्कर लगा रहे हैं। दुग्ध संघ के सीईओ केके सक्सेना का कहना है कि कॉफी मशीन सहित अन्य के प्रस्ताव आए थे। कोरम के अभाव में चर्चा नहीं हुई। आगामी बैठक में चर्चा की जाएगी।

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