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कोठी महल में आग के साथ ही दहकने लगे ये सवाल
रेकार्ड रूम की चौखट सहित दरवाजा जला, ताला भी अब तक नहीं मिला
उज्जैन. कोठी महल की छत पर रेकॉर्ड रूम में लगी आग भले ही बुझ गई है लेकिन इसके साथ ही यहां जले हुए निशान घटना के पीछे किसी साजिश की आशंका जता रहे हैं। जिस रूम में आग लगी उसका दरवाजा सहित चौखट पूरी तरह जल गए हैं। जिस दरवाजे पर ताला लगा था वह अब तक पुलिस को नहीं मिला। जबकि यहां कमरा छत पर है और यहां पर बिजली कनेक्शन तक नहीं है। जांच अधिकारी ही नहीं कलेक्टर कार्यालय के कर्मचारी भी आग के पीछे कोई न कोई कारण होने की बात कह रहे हैं। हालांकि आग लगने के बाद पुलिस ने प्रकरण तो दर्ज कर लिया लेकिन अभी तक कोई जांच शुरू नहीं कर पाई।
कोठी महल पर जिस रेकॉर्ड रूम में आग लगी है वह दूसरी मंजिल की छत पर एक कोने में बना हुआ है। इस रेकॉर्ड रूम के नीचे ही कलेक्टर कार्यालय के अधीक्षक का कार्यालय है। वहीं यहां पहुंचने के दो अलग-अलग रास्ते हैं। मंगलवार-बुधवार की दरम्यिानी रात को लगी आग के बाद सभी के मन में यही सवाल है कि आग कैसे और क्यों लगी है। अब तक कि पुलिस जांच में रेकॉर्ड रूम के दरवाजे का ताला नहीं मिला है। जब कमरे में बिजली के तार नहीं है तो बंद कमरे के अंदर आग कैसे लग सकती है। प्रारंभिक रूप से देखने पर लगता है किसी ने रेकॉर्ड रूम के दरवाजे को जलाया है। चूंकि बाहर से हवा चली तो लपटें अंदर गई और कमरे में आग भभक गई। यहां पर पुराने दस्तावेज रखे होने से आग ने और तेजी पकड़ी। यहीं नहीं, कमरे के अंदर एक आलिया बना हुआ है जो कलेक्टर अधीक्षक कार्यालय की ओर है। हालांकि इतनी बड़ी आग लगी लेकिन नीचे अधीक्षक कार्यालय में इसका कोई असर नहीं दिखाई दिया।
पुलिस की जांच इन बिंदुओं पर
– कोठी महल में रात के समय किस चौकीदार की ड्यूटी थी और घटना के समय कहां थे।
– कोठी पर अलग-अलग जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। रात के समय यहां से किसकी आवाजाही हुई।
– रेकॉर्ड रूम में किस तरह के दस्तावेज थे और इसके जलने से किस तरह का नुकसान हुआ है।
– रेकॉर्ड रूम के दरवाजे का ताला नहीं मिला, आखिर यह कहां गया।
– एफएसएल टीम द्वार दरवाजे के पास व अंदर के दस्तावेजों की जांच भी करवाई जाएगी। ताकि आग लगाने के लिए किस पदार्थ का उपयोग किया गया।
धूप में बैठकर छांटते रहे दस्तावेज, न कुर्सी दी और न ही टाटपट्टी
रेकॉर्ड रूम में लगी आग के बाद दस्तावेजों को छांटने के लिए जिला पचांयत, नगर निगम और कोटवारों की तैनाती की गई। स्थिति यह रही कि इन कर्मचारियों के लिए न तो कुर्सी रखी गई और न ही दरी दी गई। यहां तक पीने के पानी का इंतजाम नही था। धूप में कर्मचारी जमीन पर बैठकर दस्तावेज छांटते और उनका रेकॉर्ड दर्ज करते रहे। हालांकि कर्मचारी को यहां से १९४५ से लेकर १९९४ तक के अलग-अलग दस्तावेज मिले हैं।
इनका कहना
अभी तो शिवरात्रि पर्व की व्यवस्था में जुटे हुए हैं। पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर लिया है। पुलिस की एफएसएल जांच के बाद स्थिति स्पष्ट होगी कि आग लगी है या लगाई गई ।
-अजीत कुमार, संभागायुक्त
कोठी महल पर रेकॉर्ड रूम में लगी आग की जांच अभी शुरू नहीं कर पाए हैं। भाजपा के धरना प्रदर्शन व महाशिवरात्रि पर्व की ड्यूटी के चलते व्यस्त थे। जल्द ही यहां कर्मचारियों के बयान व अन्य कार्रवाई शुरू करेंगे।
– मोबिन अंसारी, एसआई, माधवनगर थाना