क्यों कौशल शिक्षा के बाद भी युवा बेरोजगार और उद्योगों में कर्मचारियों की कमी

राष्ट्रीय उत्पादकता दिवस: आधारभूत सुविधाओं को मोहताज हमारे उद्योग, वर्षों बाद भी सड़क, पानी जैसी समस्याओं से जूझ रहे औद्योगिक क्षेत्र

उज्जैन. राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर औद्योगि क्रंाति के प्रयास के हो रहे हैं, इसके विपरित शहर के औद्योगिक क्षेत्र आज भी आधारभूत सुविधाओं की कमी से नहीं उबर पाए हैं। कहीं ट्रांसपोटेशन की समस्या है तो कहीं सड़क-पानी तक मुहैया नहीं हो रहा है। एेसी स्थिति में कुछ उद्योगों ने दम तोड़ा वहीं कई का संचालन आज भी चुनौती साबित हो रहा है।

हर साल 12 फरवरी को राष्ट्रीय उत्पादकता दिवस (नेशनल प्रोडक्टीविटी डे) के रूप में मनाया जाता है। उद्योग 4.0 या चौथी औद्योगिक क्रांति विश्वभऱ में एक शक्तिशाली बल के रूप में उभर कर सामने आयी है और इसे अगली औद्योगिक क्रांति कहा गया हैं। इसके अंतर्गत अधिक डिजीटाइजेशन और उत्पादों, वैल्यू चैन,व्यापार के मॉडल को एक दूसरे से अधिक जोडऩे के परिकल्पना की गई है। उद्योग 4.0 के अंतर्गत निर्माण में परम्परागत और आधुनिक प्रौद्योगिकी का प्रयोग कर वास्तविक और आभासी विश्व का गठजोड़ करने की बात कही गई। राष्ट्रीय उत्पादका दिवस पर पत्रिका ने शहर के उद्योग और औद्योगिक क्षेत्रों की जानकारी ली तो आज भी पंरपरागत ढर्रे पर ही कार्य हो रहा है वहीं आधारभूत सुविधाओं का अभाव खत्म नहीं हो पाया है। एक रिपोर्ट-

 

कमजोर ट्रांसपोर्ट व्यवस्था

शहर के उद्योगों को आज भी कमजोर ट्रांसपोर्ट व्यवस्था का सामना करना पड़ रहा है। ट्रेन रूट से ट्रांसपोटेशन की स्थित तो फिर भी ठीक है लेकिन सड़क मार्ग में साधनों की कमी है। स्थिति यह है कि आज भी उज्जैन को इंदौर पर निर्भर रहना पड़ता है और एक ट्रक लोड होने में दो-तीन लग जाते हैंं।

 

कुशल श्रमिक का अभाव

अधिकांश फैक्टरी में कुशल श्रमिक व कर्मचारियों की कमी है। शैक्षणिक संस्थाओं में पुरानी मशीनां पर ही विद्यार्थियों को ट्रेंड किया जा रहा है और जब वे डिप्लोमा-डीग्री लेकर निकलते हैं तो नई तकनीक के आगे अज्ञानी साबित हो जाते हैं। एेसे में उद्योगों को लाभ मिल रहा है और नहीं युवाओं को रोजगार।
आद्योगिक क्षेत्रों की स्थिति

 

1.मक्सीरोड उद्योगपुरी

उद्योग-450

उद्योग विभाग द्वारा विकसित मक्सीरोड उद्योगपुरी शहर की मुख्य उद्योगपुरी है। यहां मुख्य मार्गों तो सीमेंट कांक्रीट से बने लेकिन आंतरिक सड़के आज भी कच्ची ही हैं। बारिश में पानी की निकासी नहीं होने से फैक्टरियों में पानी जमा हो जाता है। नियमित सफाई नहीं होने के साथ ही जलप्रदाय भी नहीं हो रहा है।

 

2. देवासरोड उद्योगपुरी

उद्योग- 370

यह शहर का सबसे नया ओद्योगिक क्षेत्र है बावजूद यहां भी आधारभूत सुविधा उपलब्ध नहीं हो सकी है। शुरुआत से ही यहां पानी की समस्या है और उद्यमियों को निजी स्त्रोतों पर निर्भय होना पड़ता है। क्षेत्र में सड़क और नालियां भी नहीं बनी हैं।

 

3. आगररोड उद्योगपुरी

उद्योग- 250

यह शहर की सबसे पुरानी उद्योगपुरी है। वर्ष 1960 में भारत इंडस्ट्रीयल कॉर्पोरेटीव सोसायटी द्वारा इसे विकसित किया गया इसलिए शासकीय सुविधाएं कम ही मिलती हैं। क्षेत्र की सड़क-नाली खराब हो चुकी हैं। पानी की निकासी नहीं होने से फैक्टरियों में पानी जमा हो जाता हैं।

एक्सपर्ट व्यू

किसी भी औद्योगिक क्षेत्र या उद्योग विकस के लिए पहली जरूरत आधारभूत सुविधाओं की उपलब्धता है। शहर के सभी औद्योगिक क्षेत्रों में आज भी इनकी कमी है। एक बड़ी समस्या जिससे अधिकांश उद्योग जूझ रहे हैं वह, कौशल कमी की है। केंद्र व राज्य सरका कौशल विकास के लिए प्रयास कर रही हैं, बड़ी राशि भी खर्च हो रही है लेकिन इसका अपेक्षित लाभ नहीं मिल रहा है। तकनीकी विद्यार्थियों को अपडेट मशीनों की जानकारी दी ही नहीं जाती। इसके कारण उनके पास डिग्री तो होती है लेकिन वर्तमान के लिए जरूरी कौशल नहीं। इसके कारण न उद्योगों में कर्मचारियों की कमी है तो शिक्षिति युवा बेरोजगार हैं। सरकार को कौशल विकास के लिए इन कमियों को दूर करना चाहिए।

– अतीत अग्रवाल, लघु उद्योग भारती मालवा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य

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