जल संसाधन के इंजीनियरों की लापरवाही से नर्मदा का 100 एमसीएफटी साफ पानी हुआ दूषित

अक्षरविश्व में खबर प्रकाशित होने के कुछ घंटों बाद ही मिट्टी का पाला टूटा

पीएचई ने पांच दिन पहले ही शिप्रा नदी में स्टोर किया था पानी…

उज्जैन। त्रिवेणी पर खान नदी के दूषित पानी को शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए जल संसाधन विभाग के कलाकार इंजीनियरों ने मिट्टी का पाला बना दिया और उसमें पानी के दबाव को कम करने के लिए पाइप डाल दिए। अक्षरविश्व में खबर प्रकाशित होने के कुछ घंटों बाद ही यह मिट्टी का पाला बह गया। परिणाम यह हुआ कि त्रिवेणी से लेकर रामघाट तक स्टोर नर्मदा का 100 एमसीएफटी साफ पानी दूषित होकर पीने योग्य भी नहीं रहा।

उज्जैन:अब ऐसे मिलेगा खान का गंदा पानी शिप्रा में

क्यों बनते ही टूट गया मिट्टी का पाला: खान का दूषित पानी शिप्रा नदी में मिलने से रोकने के लिए जल संसाधन विभाग के अफसरों की निगरानी में इंजीनियरों ने त्रिवेणी स्थित पुल के पास से मिट्टी खोदकर खान पर बने पुराने मिट्टी के पाले वाली जगह पर डाली और खान के दूषित पानी को रोका गया। इंजीनियरों ने पानी के दबाव से पाले को टूटने से रोकने के लिए पाइप भी डाले गए। पीएचई इंजीनियरों ने बताया कि जल संसाधन विभाग का काम ही पुल बनाना है। उनके इंजीनियर इस काम में माहिर होते हैं, लेकिन खान नदी पर बनाए मिट्टी के पाले में बालू रेत अथवा मिट्टी के बैग नहीं रखे गए इस कारण मिट्टी का पाला बनने के कुछ ही घंटों बाद टूटकर बह गया।

दो माह तक पेयजल के उपयोग में ले सकते थे पानी: पीएचई अफसरों ने बताया खान नदी का दूषित पानी मिट्टी का पाला टूटने के बाद तेजी से बहकर त्रिवेणी, गऊघाट होते हुए रामघाट तक पहुंच गया। मकर संक्रांति पर्व स्नान के मद्देनजर त्रिवेणी से लेकर रामघाट तक स्टोर खान के दूषित पानी को बहाने के बाद नर्मदा का करीब 100 एमसीएफटी साफ पानी नदी में स्टोर किया था जो खान का मिलने से दूषित हो गया है। अफसरों के मुताबिक अकेले गऊघाट पर स्टोर करीब 60 एमसीएफटी पानी को पेयजल प्रदाय के उपयोग में लेते तो दो माह तक काम चलाया जा सकता था।खान डायवर्सन के बाद भी त्रिवेणी तक आ रहा गंदा पानी

शासन द्वारा 100 करोड़ की लागत से खान डायवर्सन लाइन डाली गई। वर्तमान में इस लाइन से खान का पानी डायवर्ट कर बहाया भी जा रहा है बावजूद इसके खान नदी में दूषित पानी की आवक अधिक मात्रा में होने से यह पानी बहकर त्रिवेणी तक पहुंच रहा है। पीएचई अफसरों से मिली जानकारी के अनुसार खान नदी में पानी की आवक पिछले दो वर्षों से लगातार बढ़ती जा रही है, इसके अलावा किसानों द्वारा खेती के लिए खान नदी से पानी भी नहीं लिया जा रहा।

अब क्या करेंगे किसी को पता नहीं… त्रिवेणी से लेकर रामघाट तक शिप्रा नदी में खान का दूषित पानी स्टोर हो गया। त्रिवेणी पर टूटे मिट्टी के पाले से शिप्रा में दूषित पानी मिलना लगातार जारी है। अब नदी में स्टोर इस दूषित पानी को बहाया जाएगा या इसी पानी में लोग स्नान करेंगे, टूटे मिट्टी के पाले को फिर से बनाएंगे या कुछ और योजना जल संसाधन के अफसर तैयार करेंगे इसको लेकर संशय की स्थिति बनी है।

इनका कहना

पर्व स्नान के मद्देनजर नर्मदा का साफ पानी त्रिवेणी से रामघाट तक स्टोर किया गया था। त्रिवेणी पर खान नदी में बना मिट्टी का पाला टूटने के कारण स्टोर पानी दूषित हो चुका है। अकेले गऊघाट पर जितना पानी दूषित हुआ उसे दो माह तक पेयजल सप्लाय के उपयोग में लिया जा सकता है।-राजीव शुक्ला, उपयंत्री पीएचई

 

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