तीन वर्ष से अधूरा पड़ा गयाकोठा तीर्थ स्थल का काम:देश-विदेश से पिंडदान व श्राद्ध कर्म के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को होगी मुश्किल

श्राद्ध पक्ष फिर से शुरू होने वाला है और गयाकोठा तीर्थ का विकास का कार्य अभी अधूरा पड़ा हैं। राशि के अभाव में तीन वर्ष से अधिक समय से यही हालात बने हुए हैं। जिम्मेदारों का तर्क यह कि वे राशि के लिए लगातार शासन से मांग कर रहे हैं लेकिन राशि नहीं आने से कार्य अधूरा ही है। बहरहाल इन तमाम परिस्थितियों के बीच श्राद्ध पक्ष में आने वालों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता हैं।

मंगलनाथ मार्ग के खाक चौक चौराहे के समीप गयाकोठा तीर्थ स्थल हैं, जिसका पुराणों में भी उल्लेख है। इस गया कोठा तीर्थ स्थल को एक सिद्ध क्षेत्र माना व कहा जाता है। यहां विष्णुपद, सप्तऋषि और 84 में से एक महादेव का मंदिर स्थित हैं। श्रद्धालु यहां भगवान विष्णु के सहस्त्र चरणों पर दुग्ध अर्पित कर ऋषि सरोवर के समीप श्राद्ध पूजन करते हैं। हर वर्ष बड़ी संख्या में यहां देश-विदेश से लोग पिंडदान व श्राद्ध कर्म के लिए आते हैं।

इसे ध्यान में रखते हुए तात्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह ने गयाकोठा तीर्थ स्थल की कुछ जमीन को अतिक्रमण से मुक्त करवाकर इसका 10.63 करोड़ की लागत से विकास कार्य शुरू करवाया था। निर्माण एजेंसी हाउसिंग बोर्ड ने शुरुआत में तो यहां तेजी से विकास कार्य शुरू किया लेकिन बाद में अधूरा छोड़कर कार्य पूरी तरह से बंद कर दिया।

इस तर्क के साथ की शासन से करीब 4 करोड रुपए प्राप्त हुए थे जिससे जितना कार्य होना था वो कर दिया बाकी राशि के लिए लगातार पत्र व्यवहार किया जा रहा है लेकिन राशि प्राप्त नहीं हो रही हैं। राशि आने पर ही बाकी के कार्य हो सकेंगे। इधर इन तमाम परिस्थितियों के बीच निर्माण की लागत बढ़ने की आशंका के साथ इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि श्राद्ध पक्ष में आने वाले श्रद्धालुओं को अधूरे निर्माण कार्यों से असुविधा झेलना पड़ेगी।

बारिश के दौरान कीचड़ ही कीचड़ हो जाता, कंकड़-पत्थर चुभते हैं

  • श्रद्धालुओं की अधिक संख्या होने की स्थिति में मंदिर छोटा पड़ने लगता है।
  • संपूर्ण परिसर का फ्लोरिंग का कार्य। इसके अभाव में खासकर बारिश के दौरान यहां कीचड़ की स्थिति बन जाती है। श्रद्धालुओं के पैरों में कंकर-पत्थर चुभते हैं।
  • मुख्य द्वार का कार्य पूरा बाकी। इसके बनने से आगमन निर्गम की व्यवस्था ठीक से हो सकेगी।
  • कुंड का कार्य भी अधूरा है। इस कार्य को पूरा करना जरूरी है।
  • सप्त ऋषि मंदिर का विस्तारीकरण कार्य पूरा बाकी है। इसे पिंडदान परिसर की तरह स्टोन से बनाने की प्लानिंग है।
  • छतरी बाउंड्री वॉल सहित अन्य छोटे-मोटे और भी कई कार्य बाकी।

हाउसिंग बोर्ड तो केवल निर्माण एजेंसी है, राशि धर्मस्व विभाग से प्राप्त होना है। इसके लिए पत्र व्यवहार किया जा रहा हैं। करीब 6 करोड रुपए और मिलना बाकी है। आवंटन होने पर कार्य करवाएंगे।
निर्मल गुप्ता, कार्यपालन यंत्री, हाउसिंग बोर्ड

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