नवंबर तक बारिश और ठंड की शुरुआत नहीं होने से 10% प्रवासी पक्षी ही आए

अत्यधिक बारिश और नवंबर के तीसरे सप्ताह तक ठंड कमजोर रहने का असर पक्षियों पर नजर आ रहा है। मौसम के इस बदलाव का असर है कि प्रवासी पक्षी शहर व आसपास के तालाबों पर नजर नहीं आ रहे हैं।

उज्जैन बर्डिंग क्लब के फाउंडर अनुराग छजलानी ने बताया इस वर्ष नवंबर तक बारिश हुई। तेज ठंड अब तक शुरू नहीं हुई। इस कारण प्रवासी पक्षी भी देरी से आ रहे हैं। नवंबर के पहले-दूसरे सप्ताह से ही प्रवासी पक्षी उज्जैन के तालाबों पर बड़ी संख्या में जमा हो जाते हैं लेकिन इस वर्ष संख्या 10 प्रतिशत ही है। छजलानी ने बताया मौसम के आधार पर ही प्रवासी पक्षी नवंबर से पहले सप्ताह से लेकर फरवरी के अंतिम सप्ताह तक मालवा के आसपास अपना डेरा जमाते हैं। इधर अकादमी का कमल तालाब भी सूना पड़ा है। मॉर्निंग वाकर एवं रिसोर्ट संचालक आनंद गोराना ने बताया कमल तालाब पर कोठी रोड की ओर से आकर गंदा नाला भी मिल रहा है। इससे गुजरात की तरह पक्षियों के सामूहिक मौत होने जैसी घटना भी हो सकती है।

पिंगलेश्वर तालाब पर 20 नवंबर 2018 को यह तस्वीर ली गई थी तब नार्थ यूरोप से आने वाले पिनटेल डक के ऐसे कई समूह वहां दिखाई दिए थे।

 

इन प्रजातियों के अप्रवासी पक्षी अब तक नजर आए

बर्ड वाचर्स को उंडासा आैर गंभीर डेम पर ही कुछ प्रवासी पक्षी नजर आए हैं। बर्ड वाचर अर्पित पौराणिक ने बताया अब तक जो प्रवासी पक्षी उंडासा और गंभीर डेम पर नजर आए हैं उनमें स्पॉट बिल डक, पिन टेल डक, लिटिल ग्रेबे, ब्लैक हेडेड आइबिस, बैगटेल सहित 9-10 प्रजातियों के पक्षी शामिल हैं। इन सभी पक्षियों ने साइबेरिया, मंगोलिया आैर यूरोप की ओर से आकर मालवा के आसपास अपना डेरा जमाया है।

 

गुजरात से आने वाले पक्षियों को लेकर बर्ड वाचर अलर्ट

बर्ड वाचर रवींद्र खराड़े ने बताया शहर व आसपास तालाबों में रोज जाकर निगरानी करते हैं। अभी तक पक्षियों में ऐसी कोई आकस्मिकता नहीं मिली है, न ही कोई पक्षी किसी स्थान पर मृत अवस्था में मिले हैं। साइबेरिया, यूरोप, अमेरिका आैर मंगोलिया से आने वाले अधिकांश प्रवासी पक्षी गुजरात से होते हुए ही मालवा में प्रवेश करते हैं। सभी बर्ड वाचर अलर्ट पर हैं। पक्षियों के स्वास्थ्य पर निगाह रखी जाएगी।

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