नवीनीकरण कार्य:पुष्कर सागर, मोदी का चौपड़ा, सोमतीर्थ, नगरकोट और मंछामन की बावड़ी सहित 60 प्राचीन जलस्रोत होंगे स्मार्ट

शहर में कई पुराने जलस्रोत हैं जो अभी भी जीवित हैं। लेकिन इनका रखरखाव नहीं हो रहा। इससे वे नष्ट होते जा रहे हैं। उनका उपयोग भी नहीं हो पा रहा। अब स्मार्ट सिटी ने शहर के ऐसे 60 पुराने जलस्रोतों का नवीनीकरण करने का बीड़ा उठाया है। इनका जीर्णोद्धार करने के साथ सौंदर्यीकरण भी किया जाएगा ताकि उनमें लोगों की रुचि भी उत्पन्न हो।

शहर में पुराणों में उल्लेखित सप्त सागर सबसे प्राचीन हैं। शहर में ऐसे तालाब हैं जो अब नष्ट हो चुके हैं, इनमें सूरज कुंड आदि शामिल हैं। इनके अलावा प्राचीन मंदिरों के सामने बावड़ियां हैं जिनका रखरखाव नहीं होने से वे भी नष्ट होने की कगार पर हैं। शहर में जलस्रोतों के रूप में भी कई पुराने कुंए हैं, जो अब भी जीवित हैं।

पुराने मिलों के परिसरों में भी ऐसे जलस्रोत हैं। इन सभी का उपयोग किया जा सकता है। लेकिन रखरखाव नहीं होने से इनमें कचरा-कूड़ा भर रहा है जिससे इनका पानी प्रदूषित हो रहा है। देख-रेख के अभाव में टूट-फूट भी हो रही है।

अब इन जलस्रोतों के जीर्णोद्धार के लिए स्मार्ट सिटी कंपनी आगे आई है। इसके लिए 2 करोड़ रुपए से जोधपुर के ठेकेदार को काम दिया गया है। ठेकेदार ने इनका सर्वे शुरू कर दिया है। स्मार्ट सिटी के सीईओ जितेंद्र सिंह चौहान के अनुसार काम शुरू हो गया है।

यह प्रमुख जलस्रोत, जो सुधारे जाएंगे

पुष्कर सागर, नगरकोट महारानी, मंछामन गणेश, सुदामा नगर जैन मंदिर के पास, सांईधाम कॉलोनी मंदिर परिसर, महाशक्तिनगर, कालिदास उद्यान, रविशंकर नगर टंकी, हीरामिल, बिनोद मिल, व्यास नगर उद्यान, राणोजी छतरी, तिलकेश्वर मंदिर, आनंद अखाड़ा, आनंदगंज झिरी, विवेकानंद कॉलोनी, भेरू बावड़ी नानाखेड़ा, जाैहरी का बगीचा, पुष्कर उद्यान ऋषिनगर, सोमतीर्थ सहित 60 जलस्रोत।

अधिकांश जलस्रोतों की स्थिति खराब

ठेकेदार द्वारा कराए जा रहे जलस्रोतों के सर्वे में इनकी मौजूदा स्थिति सामने आ रही है। इन जलस्रोतों की स्थिति खराब है। अधिकांश में टूट-फूट हो रही है। पानी में कचरा जाने से रोकने की व्यवस्था नहीं है।

कई जगह बाउंड्री वाल टूट जाने से खतरनाक स्थिति बन रही है। सर्वे करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि इन जलस्रोतों में अभी भी पानी नीचे नहीं गया है। यह जीवित हैं और इन्हें फिर से उपयोगी बनाया जा सकता है।

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