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पैकिंग दूध कंपनियों द्वारा खुले दूध पर किये जा रहे भ्रामक प्रचार से दूध विक्रेताओं में रोष
अधिक शुद्ध और गुणवत्ता वाला है हमारा दूध मिलावटी या नकली है तो प्रशासन करे कार्यवाही
उज्जैन। पशु पालकों और किसानों से औने पौने दामों में दूध खरीदकर शहरवासियों को ऊंचे रेट में बेचने के धंधे में लगी पैकिंग दूध की कंपनियों द्वारा कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के दौरान भ्रामक प्रचार किया जा रहा है। यह कहना है पीढिय़ों से दूध का व्यवसाय करने वाले शहर के दूध व्यापारियों का। व्यापारियों ने कहा कि पैकिंग दूध विक्रेता भ्रामक प्रचार का सहारा लेकर, शहरवासियों को 40 रुपए लीटर में मिल रहे के उत्तम क्वालिटी के दूध को नकली और मिलावटी सिद्ध करने में लगे हुए हैं। जबकि हमारी जिंदगी गुजर गई दूध बेचते बेचते, शहर में आज तक हमने नकली दूध नहीं बेचा। पैकिंग से 100 गुना ज्यादा शुद्ध और ताजा दूध हम विक्रय करते हैं इसलिए वर्षों से ग्राहक हमारे यहां लाइन लगाकर दूध खरीदते हैं।
प्रशासन ने कोरोना संक्रमण की वजह से शहर में लॉकडाउन और कर्फ्यू के दौरान डेयरी संचालकों को घर-घर दूध बांटने और एक समय निर्धारित किये जाने का फायदा अप्रत्यक्ष रूप से पैकिंग दूध विक्रय करने वालों ने उठाया। पैकिंग दूध विक्रय करने वालों ने शहर में भ्रामक प्रचार का सहारा लेकर स्थिति यह कर दी कि पीढिय़ों से दूध का व्यवसाय करने वाले डेयरी संचालकों के दूध को नकली और गुणवत्ता हीन ही बता डाला और वर्षों से दूध डेरियों से खुला दूध खरीद रहे लाखों शहरवासियों के मन में भ्रम की स्थिति पैदा कर दी।
साथ ही घर-घर बंटने वाले खुले दूध की क्वालिटी पर भी प्रश्न चिह्न खड़ा कर दिया, जबकि महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि शहर में नकली अथवा मिलावटी दूध का विक्रय हो रहा है तो खाद्य और स्वास्थ्य विभाग का अमला अब तक क्या कर रहा है? दूध विक्रय से जुड़े लोगों ने बताया कि किसी भी शासकीय विभाग द्वारा आज तक शहर में नकली दूध नहीं पकड़ा गया, जबकि वर्तमान में तो इतनी एडवांस मशीनें आ चुकी हैं कि सेंपल लेने के बाद हाथोंहाथ उसकी जांच हो सकती है। शहर में मांग से अधिक दूध की आवक सामान्य दिनों में बनी रहती है। लॉकडाउन में प्रशासन ने एक समय दूध विक्रय की परमिशन दी। ऐसी स्थिति में पशु पालकों और किसानों को घाटा उठाना पड़ रहा है, वहीं दूसरी और पैकिंग दूध विक्रय करने वाले इन्हीं पशु पालकों और किसानों की मजबूरी का फायदा उठाकर औने पौने दामों में दूध खरीदकर उसे पैकिंग के बाद ऊंची कीमत पर शहर के लोगों को बेच रहे हैं।
भ्रामक प्रचार पर ध्यान न दें शहरवासी : दूध व्यवसायी
हम फ्रीगंज क्षेत्र में प्रतिदिन 400 लीटर खुला दूध विक्रय करते हैं। लॉकडाउन के पहले डेयरी पर लोग दूध लेने आते थे। अब हम स्वयं घर-घर दूध देने जा रहे हैं। एक समय दूध विक्रय की परमिशन है। दूध की भरपूर आवक हो रही है इसलिये रेट 40 रु. कर दिये हैं। लोग एक ही समय में आवश्यकता अनुसार दूध खरीद लेते हैं। हमारे दूध की क्वालिटी इतनी अच्छी है कि सामान्य दिनों में लोग लाइन लगाकर डेयरी से दूध खरीदते हैं।
गोपाल यादव, मां नर्मदा दूध भंडार
नकली दूध के बारे में सुना तो है, लेकिन वह ग्वालियर तरफ बिकता है। उज्जैन शहर में दूध की इतनी आवक है कि यहां से दूसरे शहर भेजना पड़ता है। हमारे पास दूध का फैट चैक करने की मशीनें है। पशु पालकों व किसानों से उत्तम क्वालिटी का दूध खरीदकर ग्राहकों को विक्रय करते हैं। यदि दूध की क्वालिटी में नाममात्र का अंतर आये तो अगले दिन ग्राहक शिकायत कर देते हैं। हमारे व्यापार से प्रतिष्ठा भी जुड़ी है, नकली दूध बेचने का तो सवाल ही नहीं उठता।
पवन यादव, श्रीकृष्णा दूध डेयरी
हमारे द्वारा शुद्धता और गुणवत्ता को ध्यान में रखकर दूध विक्रय किया जाता है। पैकिंग वाले दूध की तुलना में हमारे दूध की गुणवत्ता उत्तम और रेट कम होते हैं। पैकिंग वाला दूध पीने से बच्चे परहेज करते हैं। लॉकडाउन के दौरान एक समय दूध विक्रय की परमिशन मिली तो हमने रेट कम करके लोगों को घर-घर तक दूध पहुंचाया। कोरोना की स्थिति सुधरते ही दोनों समय दूध विक्रय भी किया जाएगा। नकली दूध तो आज तक देखा नहीं, हो सकता है पैकिंग दूध बेचने वाले भ्रामक प्रचार का सहारा ले रहे हों।
मयूर यादव, नर्मदा दूध भंडार


