- महाकाल मंदिर के विस्तार के लिए बड़ा कदम, हटाए गए 257 मकान; महाकाल लोक के लिए सवा दो हेक्टेयर जमीन का होगा अधिग्रहण
- भस्म आरती: मस्तक पर भांग, चन्दन, रजत चंद्र और आभूषणों से किया गया बाबा महाकाल का राजा स्वरूप में दिव्य श्रृंगार!
- महाकालेश्वर मंदिर में अब भक्तों को मिलेंगे HD दर्शन, SBI ने दान में दी 2 LED स्क्रीन
- उज्जैन में कला और संस्कृति को मिलेगा नया मंच, 1989.51 लाख रुपये में बनेगा प्रदेश का पहला 1000 सीट वाला ऑडिटोरियम!
- भस्म आरती: रजत के आभूषणों से किया गया बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार!
फिर चूक : कचरा-गाद निकाली नहीं, क्षिप्रा में भर दिया मां नर्मदा का जल
देर रात त्रिवेणी व शाम को रामघाट पहुंचा नर्मदा का पानी, सफाई के नाम पर हुई खानापूर्ति
उज्जैन. क्षिप्रा नदी के घाट व तल में जमी गाद और कचरे को पूरी तरह निकाले बिना ही इसमें नर्मदा का साफ पानी भर दिया गया है। एेसे में श्रद्धालुओं को स्नान के लिए ऊपरी सतह पर तो साफ पानी मिल जाएगा लेकिन नदी के अंदर की गंदगी दूर नहीं हो पाएगी। हालांकि अधिकारियों का तर्क है कि पानी के बहाव में गई गंदगी बह जाएगी।
खान का गंदा पानी मिलने से क्षिप्रा नदी का पानी में दूषित व काला हो गया था। १५ जनवरी को होने वाले मकर संक्रांति पर्व स्नान की तैयारियों के चलते यह गंदा पानी आगे बहाकर नदी को खाली किया गया था। नदी का जलस्तर कम होने के कारण इसमें जमा कचरा व गाद नजर आने लगे थे। कई दिनों से नदी का जलस्तर कम होने के बाद भी प्रमुख घाटों पर तक इस गंदगी को ठीक से साफ नहीं किया गया। नगर निगम द्वारा रामघाट पर जरूर सफाई करवाई गई थी, बावजूद अपेक्षित सफाई नहीं हो पाई है। नतीजा, रामघाट पर नर्मदा का पानी पहुंचने से चंद घंटे पहले तक यहां बड़ी मात्रा में गाद, कचरा, मलबा आदि जमा था। इतना ही नहीं नदी में पड़े बड़ी फर्शियों के टुकड़े, स्टॉपर आदि तक नहीं निकाले गए। नदी खाली होने के बावजूद ठीक से सफाई नहीं होने को लेकर क्षेत्रीय लोगों में खासी नाराजगी भी है।
सफाई के नाम पर ढूंढ रहे सिक्के
नगर निगम ने नदी में सफाई के लिए कई कर्मचारियों को तैनात किया था। रविवार को भी कर्मचारी नदी में फावड़ा लेकर नजर आए लेकिन इनमें से अधिकांश गंदगी बाहर निकालने की जगह नदी में सिक्के, अंगूठी आदि ढूंढने में लगे थे।
रात 3 बजे त्रिवेणी पहुंचा नर्मदा का पानी
प्रशासन की मांग पर एनवीडीए ने क्षिप्रा के लिए ४ एमसीएम पानी छोड़ा है। शनिवार शाम को देवास से नर्मदा का पानी छोड़ा गया था। देर रात करीब ३ बजे नर्मदा का पानी त्रिवेणी घाट पर पहुंच गया था। त्रिवेणी बैराज के गेट बंद कर पहले यहां पानी जमा किया गया। सुबह करीब ६ बजे तक त्रिवेणी बैराज पूरी तरह भरने के बाद ओव्हरफ्लो होना शुरू हो गया था। इसके बाद त्रिवेणी बैराज के गेट खोल दिए गए। नर्मदा का पानी आगे बढ़ाने के लिए गऊघाट के गेट भी खोल दिए गए। शाम करीब ५.३० बजे तक नर्मदा का पानी रामघाट पहुंंच गया था। शुरुआत में पानी को बहने दिया गया ताकि नीचे की गंदगी इसके साथ आगे बह जाए।
कचरे के लिए लगाई जालियां
रामघाट पर नदी में कुछ जगह जालियांें के पीट नूमा बनाए गए हैं। श्रद्धालु इसमें निर्माल्य सामग्री डाल सकेंगे। इससे निर्माल्य का कचरा पूरी नदी में नहीं बहेगा और बाद में उसे आसानी से बाहर निकाला जा सकेगा। बता दें कि कुछ दिन पूर्व निगमायुक्त ऋषि गर्ग ने रामघाट का निरीक्षण कर क्षेत्रीय लोगों से चर्चा की थी। इसके बाद उन्होंने नदी में जालियां लगाने के निर्देश दिए थे।