तिल चतुर्थीं: भगवान शिव ने ली गणेशजी की परीक्षा, फिर मनने लगा यह त्योहार

परिवार पर आ रहे संकट दूर करता है तिल चतुर्थी का व्रत, चिंतामण गणेश को आज सवा लाख लड्डू का भोग

उज्जैन. पौराणिक गणेश कथा के अनुसार एक बार देवता विपदाओं में घिरे हुए थे। भगवान शिवजी के पास वे सहायता मांगने के लिए। उस समय शंकरजी के साथ उनके पुत्र कार्तिकेय तथा गणेशजी भी बैठे थे। देवताओं की बात सुनकर शिवजी ने कार्तिकेय व गणेशजी से पूछा कि तुममें से कौन देवताओं के कष्टों का निवारण कर सकता है। तब कार्तिकेय व गणेशजी दोनों ने ही स्वयं को इस कार्य के लिए सक्षम बताया। इस पर भगवान शिव ने दोनों की परीक्षा लेते हुए कहा कि तुम दोनों में से जो सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके आएगा वही देवताओं की मदद करने जाएगा।

इतना सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर विराजित होकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए, लेकिन गणेशजी सोच में पड़ गए कि चूहे पर चढ़कर पृथ्वी की परिक्रमा करने में तो उन्हें बहुत समय लग जाएगा। तभी गणेशजी उठें और अपने माता-पिता की सात बार परिक्रमा कर बैठ गए। परिक्रमा कर लौटे कार्तिकेय खुद को विजेता बताने लगे। तब शिवजी ने श्रीगणेश से पृथ्वी की परिक्रमा ना करने का कारण पूछा। तब गणेश ने कहा कि माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक हैं। यह सुनकर भगवान शिव ने गणेशजी को देवताओं के संकट दूर करने की आज्ञा दी। इस प्रकार भगवान शिव ने गणेशजी को आशीर्वाद दिया कि चतुर्थी के दिन जो तुम्हारा पूजन करेगा और रात्रि में चंद्रमा को अघ्र्य देगा उसके तीनों ताप यानी दैहिक ताप, दैविक ताप तथा भौतिक ताप दूर होंगे। इस व्रत को करने से व्रतधारी के सभी तरह के दुख दूर होंगे और उसे जीवन के भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी। पुत्र-पौत्रादि, धन-ऐश्वर्य की कमी नहीं रहेगी। मनुष्य की सुख-समृद्धि बढ़ेगी।

 

चंद्रदर्शन के बाद करते हैं भोजन

माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को तिल चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इसे संकष्टी गणेश चतुर्थी भी कहते हैं। मान्यता है कि जो भी इस व्रत को करता है, उसके परिवार में आ रही विपदाओं का नाश हो जाता है, साथ ही रुके हुए मांगलिक कार्य भी पूर्ण हो जाते हैं। भगवान गणेश की आराधना करने से सुखों की प्राप्ति होती है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निराहार रहकर रात को चंद्र दर्शन करने के बाद भोजन ग्रहण करती हैं। इस दिन गणेश कथा सुनने या पढऩे का महत्व माना गया है। व्रत करने वालों को यह कथा अवश्य पढऩी चाहिए। तभी व्रत का संपूर्ण फल मिलता है।

 

चिंतामण गणेशजी को लगेगा महाभोग

भगवान विघ्नहर्ता चिंतामण गणेश मंदिर में प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर सोमवार को तिल महोत्सव मनाया जाएगा। इस अवसर पर भगवान गणेश को सवा लाख लड्डुओं का भोग लगाया जाएगा। चिंतामण मंदिर के पुजारी संतोष पुजारी, शंकर पुजारी ने बताया मंदिर के पट सुबह 4 बजे खुलेंगे। इसके बाद भगवान का पंचामृत अभिषेक पूजन कर घी, सिंदूर, वर्क से शृंगार किया जाएगा।

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