बाबा महाकाल के दरबार में हर दिन होती हैं पांच आरतियां, जानिए क्यों हैं विशेष

सार

श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि बाबा महाकाल के दरबार में अलसुबह 3 बजे चांदी द्वार के समीप विराजित वीरभद्र और मानभद्र की आज्ञा लेने के बाद ही मंदिर के पट खोले जाते हैं। इसके बाद से रात 10 बजे तक पांच बार आरती की जाती है।

विस्तार

वैसे तो विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के बारे में जितनी जानकारियां दी जाए उतनी कम है। लेकिन, काफी कम लोग यह जानते हैं कि बाबा महाकाल के दरबार में प्रतिदिन 5 आरतियां की जाती हैं।  इन आरतियों में 3 अलग-अलग आरतियों का गायन किया जाता है। जिसे पंडित और पुजारी के द्वारा लोक कल्याण की भावना के लिए किया जाता है, जिससे बाबा महाकाल के दर्शन करने आने वाले भक्तों पर उनका आशीष सदैव बना रहे।

श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि बाबा महाकाल के दरबार में अलसुबह 3 बजे चांदी द्वार के समीप विराजित वीरभद्र और मानभद्र की आज्ञा लेने के बाद ही मंदिर के पट खोले जाते हैं। इसके बाद यहां घंटी की ध्वनि की जाती है और यह संकेत दिया जाता है कि भस्म आरती करने के लिए पंडित और पुजारी बाबा महाकाल के गर्भग्रह की ओर पहुंच रहे हैं। गर्भग्रह में पहुंचने पर सबसे पहले भगवान महाकाल को शुद्ध जल से स्नान करवाया जाता है और फिर मंदिर में होने वाली सबसे पहली आरती की जाती है। उन्होंने बताया कि मंदिर में प्रतिदिन 5 आरतियां की जाती हैं, यह भगवान शिव से संबंधित हैं, लेकिन इन 5 आरतियों में अलग-अलग आरतियां कर भगवान से जन कल्याण की कामना की जाती है।

इन आरतियों का किया जाता है गायन
श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि मंदिर में सर्वप्रथम सुबह 3 बजे भस्म आरती की जाती है, जिसमें भगवान के श्रृंगार के बाद ‘जय मंगलमूर्ति शिवमंगल मूर्ति दर्शन मात्रे मन सुमिरन मात्रे मन कामना पूर्ति’ का गायन किया जाता है। यह आरती इसलिए विशेष है, क्योंकि इस आरती में भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान श्री गणेश, भगवान कार्तिकेय और नंदी जी यानी कि सभी प्रमुखजन जो गर्भग्रह और आसपास विराजित हैं उनसे प्रार्थना की जाती है। इसके बाद सुबह 7 बजे भोग आरती की जाती है जिसमें ‘कर्पूर गौरम करुणावतारम संसार सारम भुजगेंद्र हारम’ के माध्यम से श्लोक के स्वरूप में भगवान महाकाल की आरती की जाती है।

सुबह 10 बजे फिर आरती होती है जिसमें भगवान शिव की आरती ‘कर्पूर गौरम करुणावतारम संसार सारम भुजगेंद्रहारम’ के माध्यम से की जाती है। पुजारी शर्मा ने बताया कि शाम 7 बजे प्रतिदिन भगवान का विशेष श्रृंगार किया जाता है। इस श्रृंगार के समय फिर बाबा महाकाल की पूरे परिवार समेत ‘जय मंगलमूर्ति शिवमंगल मूर्ति’ आरती गाकर यह कामना की जाती है कि जो भी भक्त भगवान के इस आनंदमय मंगलमयी दर्शन करता है उनके सभी कष्टों का निवारण हो जाए। इस आरती को करने का विधान यही है। अंत में रात्रि 10 बजे शयन आरती की जाती है जिसमें बाबा महाकाल को ‘जय शिव ओंकारा भज हर शिव ओंकारा’ की आरती के साथ पुजारियों द्वारा शिव आराधना करते हुए शयन करवाया जाता है।

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