भगवान श्रीकृष्ण के नाम से मध्य प्रदेश की ब्रांडिंग योजना ठंडे बस्ते में

Ujjain News: सांदीपनि आश्रम में केवल चित्रों तक सीमित रह गई योजना

उज्जैन. भगवान श्रीकृष्ण के सहारे मध्य प्रदेश व उज्जैन शहर की दुनियाभर में नए सिरे से ब्रांडिंग की योजना को सरकार ने भुला दिया है। श्रीकृष्ण की शिक्षास्थली और ज्ञान की नगरी के रूप में उज्जैन की पहचान स्थापित करने का मामला संस्कृति विभाग ने अब ठंडे बस्ते में डाल दिया है

 

उडिय़ा चित्रपट शैली में चित्रांकन कराया था

करीब दो साल पहले राज्य सरकार ने सांदीपनि आश्रम पर लाखों रुपए खर्च कर श्रीकृष्ण-सुदामा से जुड़े पौराणिक प्रसंग और गुरुकुल में मिली शिक्षा का उडिय़ा चित्रपट शैली में चित्रांकन कराया था। प्रदेश में धार्मिक पर्यटन बढ़ाने की योजना के उद्देश्य से शिवराज सरकार ने इस योजना को हरी झंडी दी थी। मप्र में सरकार बदलने के साथ ही विभाग ने भी इस योजना की सुध लेना बंद कर दिया। हालांकि यह सब अधिकारियों की मनमर्जी से हो रहा है, क्योंकि विभागीय मंत्री को तो इस योजना की जानकारी ही नहीं दी गई थी। अब वे इसका परीक्षण करा रहे हैं।

 

ग्लोबल पहचान दिलाने के संजोए थे सपने

श्रीकृष्ण की शिक्षा केंद्र सांदीपनि आश्रम को धार्मिक पर्यटन के नक्शे पर ग्लोबल पहचान दिलाने के सपने संजोए गए थे। इसके तहत उज्जैन (प्राचीन नाम अवंतिका) स्थित सांदीपनि आश्रम के विकास की परियोजना भी बनी थी। प्रारंभिक तौर पर वहां उन 64 कलाओं और 14 विद्याओं का चित्रांकन कराकर एक गैलरी बनाई गई थी, जिन्हें बाल कृष्ण ने मात्र 64 दिन में ही आत्मसात कर लिया था। इस चित्रांकन में श्रीकृष्ण उनके बड़े भाई बलराम, मित्र सुदामा और उनके गुरु सांदीपनि ऋषि से जुड़े विभिन्न प्रसंगों का ब्यौरा भी जुटाया गया था। इनके अलावा द्वापर युग की अन्य घटनाओं का संदर्भ उपलब्ध कराया गया था।

 

मथुरा-वृंदावन की तरह करना था प्रचारित

सरकार की ओर से यह भी कहा गया था कि जिस तरह मथुरा-वृंदावन को लीला पुरुषोत्तम श्रीकृष्ण की जन्म, क्रीड़ा और कर्मस्थली की पहचान मिली हुई है, उसी तर्ज पर मप्र एवं उज्जैन के सांदीपनि आश्रम को भी जोर-शोर से प्रचारित किया जाएगा। द्वापर युग में गुरु सांदीपनि से शिक्षा ग्रहण करने के लिए श्रीकृष्ण मथुरा से चलकर जिस मार्ग से उज्जैन पहुंचे थे, उनके चिन्हांकन की योजना भी थी।

 

कोटा, बूंदी व आगर के रास्ते

संस्कृति विभाग की ओर से सांदीपनि आश्रम में कराए गए चित्रांकन और लोक गाथाओं व पौराणिक मान्यताओं के आधार पर जो ब्योरा जुटाया गया है, उसके आधार पर यह संभावना जताई गई है कि श्रीकृष्ण-बलराम कोटा, बूंदी और आगर के रास्ते उज्जैन अवंतिका नगरी में दाखिल हुए थे। इस पथ को भी नए सिरे से पहचान देने और विकसित करने का सुझाव है।

सांदीपनि आश्रम की ब्रांडिंग भी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत होगी, इसके लिए टेंडर प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। इसके होने से रुकी हुई योजना को पुन: गति मिलेगी।
शशांक मिश्र, कलेक्टर

 

संस्कृति विभाग द्वारा यह किया जाना है, लेकिन अभी तक इस बारे में किसी तरह की शुरुआत नहीं हुई। प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव की मंशा थी कि यह स्थान भी मथुरा-वृंदावन जैसे गुरुकुल रूप में प्रसिद्ध हो। अब नए सिरे से योजना शुरू होने की बात सामने आ रही है।
पं. रूपम व्यास, पुजारी सांदीपनि आश्रम।

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