भागवंती की कहानी:लॉकडाउन में नौकरी गई तो मात्र 500 रुपए से शुरू किया गृह उद्योग

मै शांतिनगर बस्ती में रहती हूं। लॉकडाउन के दौरान पति रमेश महावर की नौकरी बंद हो गई। छुट्टी मजदूरी भी नहीं मिल रही थी। तभी भोजन बांटने आई ममता दीदी से कुछ काम दिलाने की बात की। उन्होंने कहा घर में ही काम शुरू कर दो।

उन्होंने आसपास की कुछ और महिलाओं को जोड़कर ग्रुप बनाया और हमें पापड़, बड़ी, चावल के पापड़, चिप्स, अचार, सिलाई जैसे कई तरह के कामों की ट्रेनिंग दी। इसके बाद पांच सौ रुपए से मैंने घर में काम शुरू किया। पहले उन्होंने ही हमारे सामान को बिकवाने में मदद की। लोगों को हमारी चीजें पसंद आने लगी। फिर मैंने पति और बच्चों को भी इस काम में जोड़ लिया। मैं सामान तैयार करती हूं और पति-बच्चे दुकानों और घरों पर जाकर बेचते हैं। अब तो दुकानदार और ग्राहक बंध गए हैं।

पूरा परिवार मिल कर अब 10 हजार रुपए महीना तक कमा लेते हैं। घर की आर्थिक स्थिति भी अच्छी हो गई है। इस काम को और आगे बढ़ाने में लगे हैं। सीजन के अनुसार भी कई चीजें बनाते हैं, जैसे रक्षाबंधन पर राखियां। लॉकडाउन मुसीबत लेकर आया था लेकिन दीदी ने इसे अवसर में बदल दिया। जब सीजन नहीं रहता तब खाली समय में सिलाई का काम भी कर लेते हैं। महिलाओं के कपड़े सीने से भी अच्छी कमाई हो जाती है।

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