महाकाल के दर्शनार्थियों को अब प्रवेश और निर्गम मार्ग पर जूता स्टैंड की सुविधा

महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन करने आने वाले सामान्य श्रद्धालुओं को अब प्रवेश और निर्गम द्वार पर जूता स्टैंड व क्लॉक रूम की सुविधा मिलेगी। सोमवार से यह काउंटर शुरू हो जाएंगे। इससे श्रद्धालुओं को दर्शन के बाद वहीं से जूता-चप्पल और सामान मिल जाएगा, जहां प्रवेश के समय जमा कराया था।

अभी मंदिर समिति का जूता स्टैंड व क्लॉक रूम डी गेट और शंख द्वार के पास है। श्रद्धालु पहले वहां जूता-चप्पल और हैंडबैग वहां जमा कराते हैं, इसके बाद दर्शन के लिए कतार में लगते हैं। सामान्य दर्शनार्थी को कतार के लिए शंख तिराहे से जाना पड़ता है। ऐसे में सामान्य श्रद्धालुओं को जूता-चप्पल व सामान रखने व लेने के लिए दो बार मशक्कत करना पड़ती है। बड़े बैग रखने की व्यवस्था अभी नहीं है। भीड़ की स्थिति में श्रद्धालु अपने जूते-चप्पल कतार के बाहर ही उतार देते हैं। चार पहिया वाहन से आने वाले श्रद्धालु अपने वाहन में जूते-चप्पल और सामान रख कर आते हैं। पार्किंग दूर होने से उन्हें नंगे-पैर प्रवेश द्वार तक आना पड़ता है।

भवन में तैयारी हो गई। सोमवार से सुविधा मिलना शुरू हो जाएगी।

थैलियों में रखेंगे जूते-चप्पल, टोकन देंगे

श्रद्धालुओं के जूते-चप्पल थैली में रखे जाएंगे। थैली और स्टैंड पर लिखे नंबर का टोकन श्रद्धालु को देंगे। टोकन लेकर श्रद्धालु दर्शन के लिए जाएंगे और लौटने पर टोकन दिखाकर जूते-चप्पल वापस लेंगे। सामान और बैग जमा करने पर भी टोकन दिया जाएगा। नया जूता स्टैंड व क्लॉक रूम प्रवेश और निर्गम द्वार के समीप होने से श्रद्धालुओं को भटकना नहीं पड़ेगा। रूबी यादव के अनुसार अभी अस्थाई रूप से यह स्टैंड बनाया है। नया फेसिलिटी सेंटर बन जाने पर वहां यह सुविधा मिल सकेगी।

सफाई कर मेटिंग बिछाकर स्टैंड लगवाए

मंदिर समिति ने शंख तिराहे पर स्थित नगर निगम के खाली पड़े भवन का इसके लिए उपयोग किया है। भवन खाली होने और किसी उपयोग में नहीं आने से यहां भिखारियों व नशेलचियों ने कब्जा कर लिया था। भीतर गंदगी भी की जा रही थी। मंदिर प्रशासन ने भिखारियों आदि को वहां से हटाया और भवन की सफाई कराई। सुरक्षा प्रभारी रूबी यादव ने पूरे परिसर में मेटिंग बिछवाकर वहां स्टैंड लगवाए। निजी सुरक्षा एजेंसी कर्मचारियों व प्रेम दुबे ने पूरे भवन में स्टैंड लगवाकर वहां एक तरफ जूता-चप्पल और एक तरफ सामान जमा करने की व्यवस्था की है। परिसर के एक हिस्से को श्रद्धालुओं के लिए विश्राम स्थल के रूप में बनाया है। दर्शन के बाद यहां बैठकर श्रद्धालु सुस्ता सकेंगे।

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