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महाकाल के दर्शन दुर्गम:क्योंकि आधा किमी दूर पार्किंग, बुजुर्ग, बीमार, दिव्यांगों और बच्चों को पैदल मंदिर तक पहुंचने में आती है परेशानी
श्री महाकालेश्वर मंदिर की दर्शन व्यवस्था जटिल हो गई है। वह भी केवल बाहरी श्रद्धालुओं के लिए, क्योंकि स्थानीय श्रद्धालु जानकारी होने से तुरंत मंदिर में प्रवेश कर पा रहे हैं, लेकिन बाहर से आने वाले श्रद्धालु को आधा से डेढ़ किमी तक घूमना व परेशान होना पड़ रहा है। खासकर महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग दर्शन की लंबी दूरी तय करने में हलाकान हो रहे हैं। गर्मी और बारिश में इनकी मुश्किलें और बढ़ जाती है।
मंदिर परिसर व आसपास क्षेत्र में विकास के कई कार्य चल रहे हैं। इसलिए अधिकारियों को यहां की दर्शन व्यवस्था के लिए परिवर्तन करना पड़ रहे हैं लेकिन वर्तमान व्यवस्था बाहरी श्रद्धालुओं पर भारी पड़ रही है। ऐसे में वे यहां से कड़वे अनुभव लेकर जा रहे हैं। महाकाल मंदिर समिति और प्रशासन को पूरे क्षेत्र का अवलोकन कर नई दर्शन व्यवस्था बनाना चाहिए। पार्किंग स्थल से दर्शन की कतार तक श्रद्धालुओं को ई-रिक्शा की सुविधा दी जा सकती है। इसका फायदा खासकर दिव्यांग, महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को मिलेगा।
ऐसे समझें पूरी अव्यवस्था को : बाहरी को जयसिंहपुरा से चारधाम मंदिर मार्ग तो कभी इंटरप्रिटिशन सेंटर से घूमकर यहां तक आना पड़ रहा
बाहर से आने वाला श्रद्धालु चाहे वह अपने वाहन से आया हो या फिर किराए के वाहन से, पूछताछ करता हुआ वह मंदिर के सामने पहुंचता है।
- तब उसे मंदिर के ठीक सामने चौराहे पर बेरिकेडिंग के यहां रोका जाता है। इसलिए कि मंदिर में निर्माण चल रहे हैं। जिद करने पर श्रद्धालु को आगे के लिए प्रवेश दे भी दिया जाता है, लेकिन मंदिर के पास पहुंचने पर जहां टीन-चद्दर लगी है, वहां से उसे पुन: पलटना पड़ता है। ऐसी स्थिति में उसेे पुल क्राॅस करके जयसिंहपुरा-चारधाम मंदिर मार्ग या फिर इंटरप्रिटिशिन सेंटर मार्ग से हरसिद्धि मंदिर की तरफ से दर्शन कतार में पहुंचना पड़ता है।
- स्थानीय श्रद्धालु यदि है तो वह मंदिर के सामने पहुंचने पर टीन-चद्दर के साइड से, पास की गली या फिर चौबीस खंबा माता मंदिर के रास्ते से होता हुआ कुछ ही देर में बड़ा गणेश मंदिर पहुंच जाता है।
- बाहरी श्रद्धालु के सामने कई मुश्किलें है। पुल क्राॅस करके सबसे पहले वह इंटरप्रिटिशिन सेंटर पहुंचता है। यहां भी बेरिकेडिंग है। अक्सर यहां वाहनों को रोककर पैदल जाने के लिए कहा जाता है। दिक्कत यह कि यहां वाहन कहां रखें। ऐसे में वाहन ले जाने के लिए श्रद्धालु को जयसिंहपुरा वाला मार्ग दिखाया जाता है। इस मार्ग पर आगे बढ़ने पर पर उसे चारधाम मंदिर के सामने की पार्किंग में वाहन पार्क करवाया जाता है। अब चुनौती यहां से और ज्यादा हो जाती है। यदि बच्चे व बुजुर्ग साथ में हैं तो बच्चों को गोद में उठाकर या बुजुर्ग को पैदल लेकर परिजन जैसे-तैसे आगे बढ़ते हैं। इस तरह हरसिद्धि मंदिर के सामने से व रूद्र सागर के किनारे से होते हुए उन्हें बड़ा गणेश मंदिर के सामने आकर कतार में लगने तक पसीने छूट जाते हैं।
- यही स्थिति 250 रुपए वाले शीघ्र दर्शन व्यवस्था की भी है। गेट नंबर पांच से प्रोटोकाॅल व 250 रुपए शुल्क वालों को प्रवेश दिया जाता है। स्थानीय तो आसानी से पहुंच जाता है, लेकिन बाहरी को पीछे से घूमकर यहां तक आना पड़ता है।
- सशुल्क दर्शन व्यवस्था से एक से दो मिनट में ही श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश कर पा रहा है, जबकि नि:शुल्क दर्शन के लिए कतार में लगने के बाद दर्शन में 20 से 22 मिनट तक लग रहे हैं।
यह सुधार…ओवर ब्रिज से लेकर मंदिर के अन्य सभी रास्तों पर सूचना बोर्ड लगाएं
- श्रद्धालुओं की भीड़ ज्यादा ना हो तो सभी को मंदिर के सामने वाले रास्ते के पास की गली से या चौबीस खंबा माता मंदिर वाले रास्ते से जाने दिया जाए।
- जयसिंहपुरा मार्ग-चारधाम मंदिर व इंटरप्रिटिशन मार्ग की तरफ से पैदल आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मंदिर तक पहुंचने के लिए ई-रिक्शा चलवाए जाएं।
- मंदिर की ओर जाने वाले सभी मार्गों पर दर्शन कतार के सूचना बोर्ड लगाए जाएं, जिससे बाहरी श्रद्धालु को आसानी हो सके।
अवलोकन कर नई व्यवस्था तय करेंगे
भगवान महाकालेश्वर के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को आवागमन में यदि परेशानी आ रही है तो नई व्यवस्था तय करेंगे। मार्गों का अवलोकन कर देखेंगे की कैसे ज्यादा से ज्यादा सुविधा दी जा सकती है। जल्दी निराकरण किया जाएगा। मंदिर के आसपास भविष्य में नई सड़कों का विकास किया जा रहा है। इससे काफी हद तक आवागमन आसान हो जाएगा।
-आशीष सिंह, कलेक्टर व मंदिर प्रबंध समिति अध्यक्ष