महाकाल मंदिर में एक साल से चांदी के सिक्कों का विक्रय बंद

ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में बीते एक साल से अघोषित रूप से चांदी के सिक्कों का विक्रय बंद कर दिया गया है। श्रद्धालु परिसर स्थित काउंटरों पर सिक्के खरीदने पहुंच रहे हैं, लेकिन सिक्कों की उपलब्धता नहीं हाेने से मायूस होकर लौट रहे हैं। बता दें प्रतिवर्ष नवरात्र से लेकर दीपावली तक महाकाल मंदिर के सिक्कों की मांग अधिक रहती है। देशभर से श्रद्धालु धनत्रयोदशी व दीपावली पर पूजन के लिए सिक्के खरीदकर ले जाते हैं।

महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा परिसर स्थित काउंटरों से चांदी के सिक्के का विक्रय किया जाता है। समिति शुद्ध चांदी से निर्मित 5 व 10 ग्राम के सिक्को का विक्रय करती है। इनकी कीमत क्रमश: 550 व 1100 रुपये है। भक्त वर्षभर चांदी के सिक्के खरीदते हैं। लेकिन नवरात्र से दीपावली तक इन की मांग अधिक रहती है। इस बार भी नवरात्र शुरू होने के साथ श्रद्धालु मंदिर में सिक्के खरीदने पहुंचने लगे हैं। लेकिन सिक्के उपलब्ध नहीं होने से कर्मचारी भक्तों को खाली हाथ लौटा रहे हैं।

क्वालिटी को लेकर समस्या

मंदिर समिति सिक्के बनवाने के लिए स्वर्णकार को शुद्ध चांदी उपलब्ध कराती है। स्वर्णकार सिक्के ढाल कर मंदिर समिति को विक्रय के लिए देते हैं। प्रशासक संदीप कुमार सोनी ने बताया मेरे कार्यकाल से पहले सिक्के ढलवाए गए होंगे। मुझे इनकी शुद्धता में कुछ समस्या होने की जानकारी दी गई थी। इसलिए अब तक नए सिक्के नहीं बनवाए हैं।

रेडीमेड सिक्कों के विक्रय पर करेंगे विचार

प्रशासक सोनी ने बताया कि अगर भक्तों की मांग अधिक रही, तो प्रबंध समिति में विषय रखकर रेडीमेड सिक्कों के विक्रय पर विचार करेंगे। हम किसी भी अच्छे स्वर्णकार से शुद्ध चांदी के प्रामाणिक वजन अनुसार सिक्के खरीदेंगे तथा अपने काउंटरों से विक्रय करेंगे। हालांकि इसका निर्णय मंदिर प्रबंध समिति ही करेगी।

पुरोहित समिति को भी बाहर से खरीदना पड़ेंगे सिक्के

महाकालेश्वर मंदिर पुरोहित समिति द्वारा प्रतिवर्ष धनत्रयोदशी पर देश में सुख समृद्धि के लिए भगवान महाकाल की महापूजा की जाती है। इसमें भगवान के समक्ष नए चांदी का सिक्का रखकर पूजा अर्चना की जाती है। पुरोहित हर साल महाकाल मंदिर का सिक्का खरीदते थे। मगर इस बार सिक्कों की उपलब्धता नहीं होने से बाहर से सिक्के खरीदना पड़ेंगे।

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