महाकाल मंदिर में प्रशासनिक सर्जरी

उज्जैन। महाकाल मंदिर में हाल-फिलहाल प्रशासक का प्रभारी दायित्व अवधेश शर्मा के पास ही रहेगा। उनकी मदद के लिए कलेक्टर ने उज्जैन विकास प्राधिकरण के सीईओ सोजानसिंह रावत को आंतरिक व्यवस्थाओं का दारोमदार दिया है।
बुधवार की सुबह अक्षरविश्व से श्री रावत ने चर्चा करते स्पष्ट किया है कि उनके पास आदेश आया है और वे मंदिर की आंतरिक व्यवस्थाओं में मदद करेंगे, जबकि प्रशासक का दायित्व शर्मा के पास ही रहेगा। गौरतलब है कि रावत पूर्व में भी मंदिर के प्रभारी प्रशासक रहे है और उन्हें वहां की व्यवस्थाएं सुधारने का अनुभव रहा है। उन्हीं के कार्यकाल में ही सूखे मेवे का प्रसाद विक्रय करने पर प्रतिबंध लगाया गया था। कलेक्टर शशांक मिश्र ने रावत को एक बार फिर मंदिर की आतंरिक व्यवस्था में कसावट लाने के लिए उप प्रशासक का दायित्व अतिरिक्त से सौंपा है।

मुझे नहीं पता आंतरिक व्यवस्था क्या?
अक्षरविश्व प्रतिनिधि ने रावत से यह पूछा कि आंतरिक व्यवस्था का मतलब क्या होता है और वे इस व्यवस्था को कैसे देखेंगे। इस पर उनका यह कहना था कि उन्हें ही नहीं पता है कि आंतरिक व्यवस्था क्या होती है….हालांकि बाद में संभल गये और कहा कि वे अंदरूनी व्यवस्थाओं को सुधारने का प्रयास तो करेंगे ही, उन्हें प्रशासक शर्मा की मदद के लिए उप प्रशासक बनाने के आदेश दिए गए है।

पूर्णकालिक प्रशासक की दरकार
मंदिर प्रबंध समिति में बीते लंबे समय से प्रभारी प्रशासकों की ही नियुक्ति का सिलसिला जारी है। जिस तरह से मंदिर में अव्यवस्थाओं का बोलबाला रहता है, उससे यहां पूर्णकालिक प्रशासक की दरकार है, बावजूद इसके शासन स्तर पर पूर्णकालिक प्रशासक की नियुक्ति के लिए अभी तक कदम नहीं उठाए जा सके है। इस मामले में कांग्रेस के नेता भी शासन से मांग कर चुके है। होता यह है कि जिस अधिकारी भी मंदिर में प्रशासक का दायित्व अतिरिक्त रूप से सौंपा जाता है, उसके पास अपने मूल विभाग का ही इतना अधिक काम होता है कि वह मंदिर आने का ही समय नहीं मिलता है।

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