महाकाल में शिव नवरात्रि:महाकाल मंदिर में फाल्गुन कृष्ण पक्ष की पंचमी तीन मार्च से मनेगा उत्सव, 11 को महाशिवरात्रि

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी यानि 03 मार्च को बुधवार से महाकाल मंदिर में 9 दिन तक शिव नवरात्रि का उत्सव शुरू हो रहा है। उत्सव 11 मार्च तक चलेगा। इसकी खास बात यह है, बाबा महाकाल को रोजाना केसर, चंदन का उबटन, इत्र, औषधि, फलों के रस आदि से स्नान कराया जाएगा। राजाधिराज का घटाटोप, होल्कर, छबीना श्रृंगार, शेषनाग, मनमहेश, उमा महेश, शिव तांडव और त्रिकाल स्वरूप में श्रृंगार किया जाएगा। फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी यानि 11 मार्च को महाकाल मंदिर में महाशिवरात्रि का महापर्व मनाया जाएगा।

महाकाल मंदिर के पुजारी पं. आशीष गुरु ने बताया कि शिव नवरात्रि में मंदिर में बाबा महाकाल और माता पार्वती के विवाहोत्सव का उल्लास रहता है। शिव नवरात्रि के पहले दिन प्राचीन परंपरा के अनुसार सुबह नैवेद्य कक्ष में चंद्रमौलिश्वर रूप में पूजन होगा। उसके बाद कोटितीर्थ के समीप स्थित भगवान कोटेश्वर व रामेश्वर महादेव का अभिषेक पूजन किया जाएगा। इसके बाद गर्भगृह में 11 ब्राह्मण पुजारी घनश्याम गुरु के आचार्यत्व में भगवान का अभिषेक कर एकादश-एकादशमी रुद्राभिषेक का पाठ करेंगे।

सुबह 10.30 बजे होने वाली भोग आरती दोपहर 2 बजे होगी और सायं पांच बजे की संध्या आरती दोपहर तीन बजे होगी। संध्या पूजा के बाद भगवान को नवीन वस्त्र धारण कराए जाएंगे। पहले दिन भगवान को सोला, दुपट्टा व जलाधारी पर मेखला धारण कराई जाएगी। रजत आभूषण से श्रंगार होगा।

इन रूपों में दर्शन देंगे बाबा महाकाल

3 मार्च को चन्दन का श्रृंगार, 4 को शेषनाग श्रृंगार, 5 को घटाटोप श्रृंगार, 6 को छबीना श्रृंगार, 7 को होल्कर श्रृंगार, 8 को श्री मनमहेश श्रृंगार, 9 को श्री उमा महेश श्रृंगार और 10 मार्च को शिवतांडव श्रृंगार

11 मार्च को तहसील व सिंधिया अभिषेक के बाद रात 11 बजे से महापूजा

11 मार्च को महाशिवरात्रि पर तड़के भस्मारती होगी। महाशिवरात्रि पर सतत जलधारा रहेगी। दोपहर 12 बजे तहसील अभिषेक होगा। शाम चार बजे सिंधिया पूजन अभिषेक होगा। रात्रि 11 बजे से महापूजा शुरू होगी, जो 12 मार्च की सुबह छह बजे तक चलेगी।

12 मार्च को तड़के के बजाए दोपहर 12 बजे होगी भस्मारती

​​​​​​​ महापूजा के बाद बाबा महाकाल का सप्तमधान श्रृंगार (सेहरा दर्शन) होगा। दोपहर 12 बजे भस्मारती होगी। महाकाल की दोपहर में भस्मारती साल में सिर्फ एक दिन होती है। शिवनवरात्रि के दौरान मंदिर के गर्भगृह में श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। इस दौरान भगवान श्री महाकाल के दर्शन नंदीमंडपम के पीछे बैरिकेड्स से होंगे।

1909 से हरिकीर्तन परंपरा का निर्वहन करता आ रहा है कानडकर परिवार

महाकालेश्वर मंदिर में 03 से 11 मार्च तक शिवनवरात्रि में प्रतिदिन हरिकीर्तन होगा। हरिकीर्तन वर्ष 1909 से इंदौर के कानडकर परिवार द्वारा वंश परम्परानुसार निर्वहन किया जा रहा है। हरिकीर्तन सायं 04 से 06 बजे तक मंदिर परिसर में नवग्रह मंदिर के पास संगमरमर के चबूतरे पर स्व. पं. श्रीराम कानडकर के पुत्र पं. रमेश कानडकर करेंगे।

त्रिवेणी संग्रहालय के पास वाहन पार्किंग, चारधाम मंदिर से शुरू होगी लाइन

मंदिर के सहायक प्रशासक आरके तिवारी ने बताया कि त्रिवेणी संग्रहालय के पास वाहन पार्किंग की व्यवस्था की गई है। सामान्य दर्शनार्थियों और शीघ्र दर्शन वाले श्रद्धालुओं की पंक्तियां चारधाम मंदिर के पास से शुरू होंगी। हरसिद्धि मंदिर चौराहे से धर्मशाला के सामने से शंख द्वार तक लाइन पहुंचेगी। यहां के बाद सामान्य व शीघ्र दर्शन के श्रद्धालुओं को अलग-अलग गेट से मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा।

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