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मानवीयता की मिसाल:मां-बाप ने अंधी बेटी काे घर से बाहर निकाला
किस्मत का खेल भी ऐसा है कि सगे बाप और तीसरी मां ने जब घर से बाहर निकाल दिया तो एक मुंह बाेले बाप ने उसका इलाज करवाया। उसके बाद लॉकडाउन के दौरान ही लड़का खोज कर शादी भी कर दी। उसे अब एक माह का पुत्र है। मुंह बाेला पिता बेटी की गृहस्थी बसाने के लिए दो जिलों के प्रशासन के दरवाजे खटखटा रहा है। इससे उसे मकान और शासन की ओर से कुछ सहायता राशि मिल जाए। बचपन से अंधत्व का शिकार गुड़िया और उसके पति के साथ नवजात बच्चे का जीवन संवर जाए।
एक बाप ने बोझ समझा तो दूसरे ने दिखाई इंसानियत, शादी कर निभाई जिम्मेदारी
ग्राम अजगरा जिला रीवा की निवासी गुड़िया को 3 साल पहले पिता और तीसरी मां ने बोझ समझकर घर से बाहर निकाल दिया। क्योंकि वह शरीर से कमजोर और अंधी थी। वह बिन बताए ट्रेन में बैठकर इंदौर आ गई। यहां प्लेटफार्म पर 2 दिन तक भूखी, प्यासी गुमसुम बैठी रही। नलखेड़ा के कृष्णमोहन दुबे की नजर जब गुड़िया पर पड़ी तो उसका हाल देखकर उसे अपने घर लेकर आ गए। यहां उसकी तबीयत खराब होने लगी तो जिला चिकित्सालय में इलाज कराया। उसके बाद वह तंदुरुस्त हो गई।
उन्होंने गुड़िया के लिए दूल्हा खोजा और शुजालपुर के कमल सिंह के साथ 27 मई को विवाह कर दिया। दंपती खुश रहे और फरवरी में एक पुत्र हो गया। बेटी की गृहस्थी बसाने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा के तहत मुंह बोले पिता दुबे ने शासन की ओर से मकान दिलवाने और कुछ सहायता के लिए कोशिश की। इसमें वे नाकाम रहे, क्योंकि कमल सिंह काम तो शुजालपुर में करता हैं, परंतु वह राजगढ़ का निवासी है। कमल 15 साल पहले काम के लिए शुजालपुर आ गया था। यहीं पर वह मेहनत, मजदूरी करके पेट भरता था और अब अपने परिवार को पालन पोषण कर रहा है। इसी प्रकार गुड़िया रीवा जिले से ताल्लुक रखती हैं। इस कारण उन्हें न तो शुजालपुर से और न ही राजगढ़ से मदद मिल रही है। दुबे राजगढ़ में मदद लेने जाते हैं तो अफसर कहते हैं कि वह यहां नहीं रहता। यहां से मदद नहीं हो सकती है। शुजालपुर से मदद मांगी तो उनका कहना था कमल राजगढ़ का है।
प्रशासन ऐसे भी कर सकता है मदद
कमलसिंह के पास समग्र आईडी है। वह पनवाड़ी राजगढ़ का है। इसे शुजालपुर का किया जा सकता है। दोनों ही कम-पढ़े लिखे हैं। ऐसे लोगों को आधार कार्ड तक बनवाने में ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है। इनका दिनभर तो मजदूरी करने में ही निकल जाता है। इसलिए आधार व राशन कार्ड बनाकर थोड़ी बहुत राहत दी जा सकती है।
सीएमओ से की चर्चा- आखिरकार थक हारकर मंगलवार को वे जनसुनवाई में पहुंचे। यहां वे लेट हो गए। फिर भी डिप्टी कलेक्टर प्रियंका वर्मा ने मामला समझकर शुजालपुर की सीएमओ सुल्ताना से बात की। उन्होंने दुबे को भरोसा दिलाया और कहा मैं ऐसे पिता की पूरी मदद करूंगी। जो पराई बेटी होने के बाद भी इंसानियत के नाते उसके साथ खड़ा है।