मिलावट करने वालों अब मिलेगी कड़ी सजा

खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की टीम को यदि अब सैंपलिंग के समय पहली ही नजर में खाद्य पदार्थ के मिलावटी, सेहत के प्रति नुकसानदायक या अन्य गड़बड़ी का संदेह होगा तो उसे रिपोर्ट आने तक जब्त यानी सील कर दिया जाएगा।

अक्सर यह होता आ रहा है कि विभाग की टीम सैंपलिंग करके जांच के लिए राज्य प्रयोगशाला भेज देती है। वहां से जब भी (15 दिन, महीने-छह महीने या इससे अधिक वक्त में) रिपोर्ट आती है तो उसके आधार पर संबंधित के खिलाफ आगे की कार्रवाई तय होती है। यदि रिपोर्ट में खाद्य वस्तु में मिलावट पाई गई तो इस बीच (सैंपलिंग करने से लेकर रिपोर्ट आने तक) में कारोबारी द्वारा किया गया उक्त वस्तु का कारोबार उपभोक्ताओं के लिए नुकसानदायक हाे सकता है।

इन तमाम परिस्थितियों के बीच अब अधिकारियों ने उपभोक्ताओं की सेहत की सुरक्षा की दृष्ट से ऐसी कार्रवाई भी शुरू कर दी है जिसमें सैंपलिंग के वक्त ही यदि यह संदेह हो जाए कि उक्त खाद्य वस्तु में मिलावट या गड़बड़ी हाे सकती है तो उसे रिपोर्ट आने तक जब्त यानी सील किया जा रहा है। ताकि कारोबारी कम से कम उस वस्तु का तो कारोबार नहीं कर सके। इससे लोगों को नुकसान होने का खतरा कम रहता है।

14 दिन में रिपोर्ट आ जाती

जहां लगता है खाद्य पदार्थ में गड़बड़ी हाे सकती है तो सैंपलिंग के साथ रिपोर्ट आने तक उसे सीज किया जा रहा है। ताकि लोगों की सेहत को नुकसान ना हो। कोरोना के चलते रिपोर्ट देरी से आई थी। 14 दिन में रिपोर्ट आ जाती है।
बसंत दत्त शर्मा, खाद्य सुरक्षा अधिकारी

दूध तलाई में हो चुकी है ऐसी कार्रवाई
जुलाई में विभाग की टीम ने दूधतलाई स्थित फर्म से सोयाबीन तेल की सैंपलिंग की थी। तेल का नेपाल में निर्मित होना और उसके पैकेट पर खाद्य लाइसेंस नंबर अंकित नहीं होने से यह संदेह के घेरे में था। लिहाजा टीम ने यहां से 7 लाख 8 हजार रुपए कीमत का 5330 लीटर सोयाबीन का तेल रिपोर्ट आने तक जब्त यानी सील कर दिया गया।

रिपोर्ट में देरी तो जिम्मेदार कौन होगा

ऐसी कार्रवाई का दूसरा पहलू यह भी कि सैंपलिंग व जब्ती के बाद रिपोर्ट में देरी हुई और रिपोर्ट मानक स्तर की आई तो कारोबार में होने वाले नुकसान का जिम्मेदार कौन? अधिकारी का तर्क है कि महामारी के चलते ही रिपोर्ट आने में देरी हुई है अन्यथा 14 दिन के बाद आ जाती है।

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