यह है उज्जैन की दीवार; अब यहां आएंगे सैलानी, जंगल और बर्ड वॉचिंग का रोमांच

उज्जैन । यह है उज्जैन की दीवार। अब यहां लोग रोमांच ले सकेंगे। पर्यटक दीवार पर सैर-सपाटा, ट्रैकिंग, वॉकिंग कर सकेंगे। इस दौरान वे भैरवगढ़ के जंगल, तालाब, नदी-नाले, पशु-पक्षियों को भी निहार सकेंगे।
नगर निगम और वन विभाग के संयुक्त प्रयासों से भैरवगढ़ में मोजमखेड़ी के समीप शिप्रा के कैचमेंट एरिया में पर्यटन की दृष्टि से यह काम शुरू हो गया है। सितंबर तक दो चरणों में इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का लक्ष्य है। दो किमी लंबी दीवार के आसपास रैलिंग लगाई जाएगी और प्लास्टर करवाया जाएगा। कुछे स्थानों पर रिपेयरिंग भी करवाई जाएगी। दीवार से लगे बीच में बने कुओं को रैलिंग से कवर्ड किया जाएगा। दीवार के आसपास जंगल में बैठने के लिए आरामदायक कुर्सियों, शेड, लाइटिंग, पेयजल की व्यवस्था होगी। दीवार कालभैरव मंदिर के सामने से शुरू होगी और भैरवगढ़ के दिल्ली दरवाजा तक खत्म होगी। दोनों ही स्थानों पर इस पर पहुंचा जा सकेगा। विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशन डॉ.भगवतीलाल राजपुरोहित के अनुसार यह दीवार मराठाकाल की है। जिसे तब के शासकों ने सुरक्षा व नगर की सीमा के रूप में बनवाया था। ज्योतिषाचार्य पंडित आनंदशंकर व्यास बताते हैं कि प्राचीन समय में भैरवगढ़ में ही नगर था। धूलकोट यानी धूल की बारिश हुई थी, उसमें सारे मकान दब गए थे। इसके बाद लोगों ने वहां से हटकर दूसरे स्थानों पर मकान बनाना शुरू किए थे। ये दीवार संभवत: तभी की है।

प्रवासी पक्षियों को भी लुभाएंगे
वन विभाग दो किमी लंबी इस दीवार तथा सिंहस्थ सरोवर के आसपास के क्षेत्र में खेतों के किनारे से तार फैसिंग कर ऐसे पौधे लगाएगा जो कि अप्रवासी पक्षियों को आकर्षित करते हैं। फिलहाल इस क्षेत्र में मोर, मैना, कबूतर, जरक, नेवला, सांप है। सिंहस्थ सरोवर के पास गणेश मंदिर भी है। इसका जीर्णोद्धार करने के साथ ही यहां लोगों के लिए गणेश पार्क भी बनाया जाएगा।

42 लाख से बनेगा सिंहस्थ सरोवर
दीवार के मध्य में शिप्रा कैचमेंट के 600 मीटर क्षेत्र में 42 लाख की लागत से स्टापडेम बनाया जा रहा है। यह वह क्षेत्र है जहां से बरसाती पानी गांवों व खेतों से बहता हुआ शिप्रा में पहुंचता है और यदि बहाव शिप्रा की तरफ से अधिक हो तो उधर से पानी यहां आता है। इस हिस्से को सिंहस्थ सरोवर के रूप में विकसित किया जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि इस बारिश के बाद से ही 14 हजार स्क्वेयर मीटर क्षेत्रफल के इस सरोवर में तीन स्टॉपडेम के कारण 42 हजार क्यूबिक मीटर पानी जमा हो सकेगा।

यह टीम जुटी है प्रोजेक्ट को पूरा करने में
निगम सभापति सोनू गेहलोत, क्षेत्रीय पार्षद संजय कोरट, वन परिक्षेत्र अधिकारी जीपी मिश्रा, वन रक्षक गोविंद राठौर, कंसल्टेंट सुधीर सक्सेना, ठेकेदार नन्हे खां। बकौल गेहलोत सिंहस्थ में पीएम ने निनौरा में घोषणा पत्र में प्रस्ताव पारित किया था। जिसमें शिप्रा को पुन: प्रवाहमान बनाने, बारिश का पानी रोकने व पानी वाले क्षेत्रों में पेड़-पौधे लगाने का उल्लेख था। उस उद्देश्य के साथ पर्यटन को ध्यान में रखते हुए हम सभी मिलकर यह प्रयास करने जा रहे हैं।

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