राजमहल की तरह सजने लगा महाकाल का दरबार

1 करोड़ 88 लाख के नवनिर्मित सभा मंडप का निखरने लगा स्वरूप

महाकाल मंदिर का दरबार राजमहल के समान सजने लगा है। मंदिर परिसर स्थित सभा मंडप के आंतरिक हिस्से में सागवान की लकड़ी के पाटों पर प्राचीन संस्कृति और परंपरा को उकेरा जा रहा है। करीब 35 घनमीटर सागवान की लकड़ी का उपयोग इस कार्य में किया जा रहा है। खास बात ये है कि इसे बनाने के लिए विशेष कारीगर राजस्थान से बुलाए गए हैं, जो मंदिर में रहकर ही दिन-रात लकडिय़ों को आकृति देकर सभा मंडप को भव्यता प्रदान कर रहे हैं।

 

नक्काशीदार लकड़ी से संवारा जा रहा

महाकाल मंदिर में कोटितीर्थ कुंड के समीप पुराने सभामंडप को तोड़कर 1 करोड़ 88 लाख रुपए की लागत से पुनर्निर्माण किया गया है। सभामंडप के आंतरिक हिस्से को नक्काशीदार लकड़ी से संवारा जा रहा है। इसमें सागौन की लकड़ी के पाट पर राजमहल और प्राचीन मंदिरों के आंतरिक हिस्सों की तरह संवारा जा रहा है। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद प्राचीन, धार्मिक संस्कृति और परंपरा की झलक नजर आएगी।

 

पिलरों पर आकर्षक क्लोडिंग

पिलरों के आस-पास भी लकड़ी की आकर्षक क्लोडिंग की जा रही है। पूरे सभामंडप को लकडिय़ों से कवर किया गया है। वुडन क्लोडिंग और सिलिंग कार्य में करीब 35 घनमीटर लकड़ी का उपयोग किया जा रहा है। सभामंडप के पुराने भवन को तोडऩे के बाद इसका मजबूत बेस तैयार किया गया। लोहे के 27 पिलर लगाकर स्ट्रक्चर भी लोहे का तैयार किया है।

 

इस माह के अंत तक पूरा होने की संभावना

कारीगरों के ठेकेदार सत्यनारायण ने बताया कि 21 जुलाई से कार्य की शुरुआत की थी। इस माह के अंत तक कार्य पूरा होने की उम्मीद है। सभामंडप में अंदर के हिस्से की साज-सज्जा नक्काशीदार लकड़ी से की जा रही है। कार्य पूरा होने के बाद भीतर का पूरा भाग लकड़ी से सजा हुआ नजर आएगा। इसके लिए वुडन क्लोडिंग और सिलिंग का कार्य किया जा रहा है।

 

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