रैफरल सेंटर बना माधवनगर अस्पताल, सुविधाओं के बावजूद सर्जरी बंद की, इसी महीने 22 मरीज रैफर

माधवनगर अस्पताल में मरीजों की सर्जरी बंद हो गई है। यहां पर आने वाले मरीजों को जिला अस्पताल, आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज या इंदौर रैफर कर दिया जाता है। अगस्त में ही 22 मरीजों को रैफर कर दिया गया। वजह है यहां जनरल सर्जन का नहीं होना। अस्पताल को एक दिन छोड़कर एनेस्थेटिक उपलब्ध करवाए जाते हैं यानी एक माह में केवल 15 दिन। ऐसे में मरीजों की सर्जरी नहीं हो पा रही है। मरीजों के सामने मुश्किल यह है कि उसकी सर्जरी जिला अस्पताल में करवाना पड़ती है और हड्‌डी का ऑपरेशन माधवनगर अस्पताल में। ऐसे हाल हैं फ्रीगंज में संचालित 100 बेड के माधवनगर अस्पताल के। यह अस्पताल रैफरल सेंटर बन कर रह गया है। मरीज का प्राथमिक इलाज के बाद उसे दूसरे अस्पताल में भेज दिया जाता है।

सिंहस्थ-2004 में मरीजों की सुविधा को ध्यान में रखकर नई बिल्डिंग का निर्माण किया गया था। दुर्घटना में घायल लोगों का पूरा इलाज हो सके इसके लिए यहां पर ट्रामा सेंटर बनाया गया। जिसका संचालन आज तक नहीं हो पाया है। हड्डी के मरीजों को तो यहां प्राइवेट अस्पताल की तरह ऑपरेशन में उपयोग आने वाली राड़, प्लेट व अन्य सामग्री बाजार से लाकर देना पड़ती है। उसके बाद उसका ऑपरेशन हो पाता है। जनरल सर्जरी तो यहां नहीं हो पा रही है। सिर की चोंट, छाती व पेट में चोंट होने पर घायल मरीज की यहां सर्जरी नहीं हो पा रही है। मरीज को सर्जरी के लिए जिला अस्पताल भेज दिया जाता है। उसके बाद उसकी हड्डी का ऑपरेशन के लिए फिर माधवनगर अस्पताल लाना पड़ता है।

हड्‌डी का ऑपरेशन माधवनगर में लेकिन सर्जरी के लिए जाना पड़ रहा जिला अस्पताल

अस्पताल एक नजर में 100 बेड 82 मरीज ओपीडी में 09 मरीज आईपीडी में 22 मरीज रैफर

एडवांस मशीनें व स्टाफ नहीं

हर माह 25 से 30 मरीजों को रैफर किया जा रहा है। जनरल सर्जन डॉ.अजय दीवाकर को मुंबई कैंसर ट्रेनिंग पर भेज रखा है। उनके स्थान पर दूसरे सर्जन की पोस्टिंग तक नहीं की गई है। हड्डी के मरीजों के ऑपरेशन में भी यहां मुश्किल आ रही है। सी-आर्म मशीन चलते-चलते बंद हो जाती है। फ्रेक्चर टेबल भी 15 साल पुरानी है। ऐसे में ऑपरेशन करना मुश्किल है। एडवांस तकनीक की मशीनों की यहां आवश्यकता है। स्टॉफ की कमी है। अस्पताल प्रशासन ने डिमांड भी भेज रखी है। माधवनगर अस्पताल प्रशासन का तर्क है कि जनरल सर्जन नहीं है। इस वजह से सर्जरी नहीं हो पा रही है। एनेस्थेटिक भी एक दिन छोड़कर मिलते हैं। ऐसे में हड्डी के ऑपरेशन नहीं हो रहे हैं।

महिला मरीज का एक्सरे नहीं किया, आरडी गार्डी भेज दिया

अलीमन गफ्फार उम्र 90 साल निवासी भार्गव नगर को दुर्घटना में घायल होने पर 24 अगस्त को माधवनगर अस्पताल के हड्डी वार्ड में भर्ती किया था। उसके कूल्हे की हड्डी टूटी थी। 25 अगस्त को महिला को आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज रैफर कर दिया। डॉ.देवेश पांडेय ने ही उन्हें इंदौर या मेडिकल कॉलेज की सलाह दी थी। महिला का एक्स-रे भी नहीं किया। परिवार के लोगों ने आपत्ति ली। इसी दौरान सीएमएचओ डॉ.रजनी डाबर पहुंच गई। उन्होंने पूछा-मरीजों को क्यों रैफर किया जा रहा है। उन्होंने रैफर किए मरीजों की जानकारी तलब की है। इसी तरह मनोज उनरखे निवासी एकतानगर को पैर व हाथ में फ्रेक्चर है। मनोज ड्रायवर है। उसे 20 अगस्त को माधवनगर अस्पताल में भर्ती किया था। सात दिन में भी ऑपरेशन नहीं किया गया। डॉक्टर ने हाथ के ऑपरेशन के साढ़े सात व पैर के साढ़े नौ हजार रुपए का खर्च बताया है। 17 हजार रुपए होने पर ऑपरेशन हो पाएगा।

100 बेड के अस्पताल के मान से 26 डॉक्टर होना चाहिए

100 बेड के अस्पताल के मान से यहां पर 26 डॉक्टर्स की आवश्यकता है। जबकि यहां पर अस्पताल प्रभारी सहित 14 डॉक्टर ही पदस्थ हैं। 12 डॉक्टर की कमी है। डॉक्टरों की कमी से अव्यवस्था होती है। अस्पताल में 35 स्टाफ नर्स है जिसमें से सात हड्डी वार्ड में पदस्थ हैं। यहां पर 46 स्टाफ नर्स चाहिए। अस्पताल में 10 मेडिकल ऑफिसर, जनरल सर्जन व एनेस्थेटिक की पदस्थापना होने अस्पताल का संचालन बेहतर ढंग से हो सकता है।

रैफर मरीजों की रिपोर्ट मांगी

मरीजों को रैफर किए जाने की शिकायत मिली है। रैफर मरीजों की रिपोर्ट तलब की है। किस मरीज को क्यों रैफर किया गया, यह बताना होगा। महिला मरीज का एक्सरे नहीं करने और रैफर किए जाने पर नाराजगी जताई है।

डॉ.रजनी डाबर, सीएमएचओ

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