लॉकडाउन में पुलिस की मनमानी, कार्रवाई से शहरवासी हो रहे परेशान

बालकों को पकड़कर थाने ले गये, रिपोर्ट लिखवाने पहुंचे घायल को दो घंटे थाने के बाहर खड़ा रखा

उज्जैन।लॉकडाउन 4.0 लागू हो चुका है। ऐसे में लॉकडाउन 1.0 के दौरान पुलिस प्रशासन द्वारा शहरवासियों के लिये लागू किये गये नियमों में संशोधन भी कर दिया गया है, बावजूद इसके शहर के अनेक हिस्सों में पुलिस द्वारा घरों से आवश्यक कार्य के लिये निकलने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई कर रही है।

सुबह अंकपात मार्ग पटेल कालोनी चौराहा स्थित डेयरी पर दूध लेने आये तीन बालकों को पुलिस ने पकड़ा और थाने ले गये। पुलिस का कहना था कि इन्होंने लॉकडाउन का उल्लंघन किया जबकि पुलिस के सामने सैकड़ों लोग अपने वाहनों से उसी समय आवागमन कर रहे थे जिन्हें पुलिस ने रोका तक नहीं। दूसरा मामला नीलगंगा थाने का है। यहां बदमाशों की पत्थरबाजी में घायल युवक रिपोर्ट लिखाने पहुंचा लेकिन पुलिस ने दो घंटे तक उस युवक को थाने के बाहर खड़ा रखा और उसका तुरंत मेडिकल कराना भी उचित नहीं समझा। कोरोना संक्रमण के बीच पुलिस की ऐसी कार्यप्रणाली से लोग परेशान और भयभीत हैं।

 

यह था बालकों का जुर्म

अंकपात मार्ग पटेल कालोनी चौराहा स्थित दूध डेयरी पर अपने-अपने वाहनों से दूध लेने एक युवक और दो बालक आये। यहां मौजूद जीवाजीगंज थाने के एक एएसआई, एक आरक्षक ने उन्हें रोका और वाहन से सड़क पर घूमने का कारण पूछा। बालकों ने काम बताया बावजूद इसके आरक्षक ने वाहन की चाबी निकाल ली। बालकों ने कान पकड़कर माफी भी मांगी, लेकिन उसकी एक बात भी नहीं सुनी और बोलेरो वाहन में बैठा दिया। इसी प्रकार युवक के वाहन को सड़क किनारे खड़ा कर उसे भी वाहन में बैठा दिया। पुलिस अफसर से जब कार्रवाई का कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि तीनों ने लॉकडाउन का उल्लंघन किया है इनके खिलाफ धारा 188 के तहत कार्रवाई की जायेगी। जब उनसे पूछा कि सड़क पर सैकड़ों लोग वाहनों से आवागमन कर रहे हैं, उन्हें भी रोककर कार्रवाई करें तो अफसर का कहना था कि हमें टारगेट मिला है उतनी ही कार्रवाई करेंगे। जब बालकों के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने से उनके भविष्य पर पडऩे वाले प्रभाव की बात अक्षर विश्व प्रतिनिधि ने कही तो पुलिसकर्मी बिना जवाब दिये बालक और युवकों को वाहन से जीवाजीगंज थाने ले गये।

 

घायल की सुनी नहीं और दूसरे पक्ष को भी थाने बुला लिया

अंबर कालोनी क्षेत्र में रहने वाले बंटी परिहार को पत्थरबाजी कर क्षेत्र में रहने वाले आधा दर्जन युवकों ने घायल कर दिया था। सिर में लगी चोंट से बह रहे खून पर कपड़ा लगाकर बंटी परिहार नीलगंगा थाने पहुंचा। उसे पुलिसकर्मियों ने थाने के अंदर नहीं घुसने दिया। बाहर ही खड़ा कर पूछा क्या बात है, बंटी ने बताया कि मोहल्ले के आधा दर्जन युवक लॉकडाउन के बीच यहां वहां घूमते हैं, पुलिस को देखकर दौड़ लगाते हैं।

उन्हें मोहल्ले के लोगों ने रोका तो उन युवकों ने चाकू निकालकर लोगों को धमकाया और रात करीब 9 बजे वापस आकर पत्थरबाजी कर दी। बंटी की बात सुनकर पुलिसकर्मियों ने उसकी रिपोर्ट तो नहीं लिखी बल्कि पत्थरबाजी करने वाले युवकों को थाने बुलाकर बंटी से कहा कि या तो समझौता कर लो या दोनों पक्षों की ओर से रिपोर्ट लिखेंगे। बंटी ने इसकी शिकायत सीएसपी से भी की, जबकि पुलिस अफसरों द्वारा एफआईआर दर्ज करने के लिये पुलिस वाहन फरियादी के घर पहुंचाने की योजना पिछले दिनों शुरू की गई, वहीं जब घायल व्यक्ति स्वयं थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंचा तो पुलिस ने उसकी न तो फरियाद सुनी और न ही उपचार कराने अस्पताल पहुंचाया।

एक रूप ऐसा भी…अपने मुंह का निवाला जरूरतमंद को दिया

 

महाकाल थाने में पदस्थ आरक्षक विनोद की एफआरवी वाहन में ड्यूटी लगी है। पुलिस की ओर से मिलने वाले नाश्ते के पैकेट उसे व ड्रायवर को भी मिले थे। आरक्षक विनोद अपने वाहन से हरिफाटक ब्रिज त्रिवेणी संग्रहालय की तरफ ड्यूटी कर रहा था उसी दौरान तीन मजदूर पैदल जाते दिखाई दिये। विनोद ने तीनों को बुलाया और पूछताछ की। मजदूरों ने बताया कि वह राशन की तलाश में जा रहे हैं, सुबह से कुछ नहीं खाया। इस पर विनोद ने अपना और एफआरवी ड्रायवर के नाश्ते के पैकेट तीनों मजदूरों को दे दिये। एक ओर पुलिसकर्मी अपने पेट का निवाला भी गरीबों और जरूरतमंदों को बांटकर जनसेवा की शपथ पूरी कर रहे हैं तो दूसरी ओर घायल का उपचार न कराते हुए थाने के बाहर दो घंटे खड़े रखकर पक्षपात और बालकों पर एफआईआर जैसी कार्रवाई हो रही है।

 

बालकों पर कार्रवाई नहीं होगी

लॉकडाउन के अंतर्गत शहरवासियों से घरों में रहने, आवश्यक होने पर घर से बाहर निकलने के दौरान संक्रमण से बचने के उपाय करने की अपील की जा रही है। कोई युवक अथवा बालक आवश्यक कार्य से बाजार आये हैं तो उन्हें समझाईश देकर घर लौटाया जायेगा। उनके खिलाफ धारा 188 के तहत कार्रवाई नहीं की जायेगी। मनोज कुमार सिंह, एसपी

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