शहर काजी के यहां हर साल आते हैं तलाक के 300 मामले, 90 प्रतिशत में हो जाती है सुलह

उज्जैन | शहर काजी खलीकुर्रहमान के यहां हर साल 300 मामले तलाक के आते हैं। उनका कहना है- इन मामलोें में कोशिश यही होती है कि पति-प|ी के बीच सुलह हो जाए। 90 प्रतिशत मामलों में हमें सुलह कराने में कामयाबी मिलती है।

शहर काजी का मानना है सुप्रीम कोर्ट का आदेश को अभी देखा नहीं है। हम आल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड को मानते हैं। उनका मानना है निकाह की व्यवस्था में भी सुधार होना चाहिए। दहेज के कारण तलाक के मामले बढ़े हैं। परिवारों में इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए सरकार शिक्षा और रोजगार के प्रबंध भी ठीक करे। तलाक के जिन मामलों में पति की आय को लेकर परेशानी सामने आती है, उसमें हम प|ी को सिलाई मशीन या अन्य रोजगार में मदद करते हैं।

12 मामले कुटुंब न्यायालय में
शहर के कुटुंब न्यायालय में इस साल 129 मामले विवाह विच्छेद के लिए चल रहे हैं। इनमें 12 मामले मुस्लिम महिलाओं के विचाराधीन हैं। इनमें कोर्ट मीडिएटर संतोष कुमार सिसौदिया का कहना है मुस्लिम समाज के तलाक के मामले कम ही न्यायालय में आते हैं। अधिकतर में सुलह होती है। 8 जुलाई की लोक अदालत में दो मामलों में पति-प|ी के बीच सुलह कराई थी।

निकाह की तरह तलाक भी सभी के बीच होना चाहिए
सुप्रीम कोर्ट के तीन तलाक को अवैधानिक घोषित करने से खुशी हैं। अब सरकार संसद में कानून पारित कर अमल में लाए। इससे पति की मनमानी पर रोक लगेगी। केवल तीन तलाक बोल कर रिश्ता खत्म नहीं कर सकेंगे। समय मिलने से सुलह की गुंजाइश बढ़ेगी। परिवार टूटने से बचेंगे। शमीम बी

पति तीन तलाक की व्यवस्था का गलत फायदा उठाते हैं। मोबाइल पर या अकेले में ही बातचीत के दौरान तीन तलाक बोल देने से तलाक नहीं हो जाता। मेरे साथ भी यही हुआ। पति ने मोबाइल पर ही दलाक दे दिया। तब से लड़ रही हूं। मुस्लिम पर्सनल लॉ भी इसे गलत मानता है। परवीन बी

निकाह की तरह तलाक भी होना चाहिए। यानी परिवार और गवाहों के बीच काजी पति-प|ी से तलाक के बारे में पूछना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। पुरुष प्रधान समाज में प|ी का यह हक छीन लिया था। इस फैसले से महिलाओं को राहत मिलेगी। सरकार को कानून पास करना चाहिए। शबनम बी

तीन तलाक की धर्म आधारित व्यवस्था भी गलत नहीं है, लेकिन उसका पालन नहीं हो रहा। मेरे दो बच्चे हैं। तलाक हो गया है। एेसे में महिला को भरण-पोषण के लिए लड़ना पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है सरकार कानून बनाए। कानून लागू होना चाहिए। तभी महिलाओं को राहत मिलेगी। नाजमा बी (सभी महिलाओं के परिवर्तित नाम)

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