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शासकीय अनदेखी का शिकार……. सिद्धवट घाट
उज्जैन। सिद्धवट घाट इन दिनों शासकीय अनदेखी का शिकार हो रहा है। यहां पितृों के मोक्ष और धार्मिक अनुष्ठान के लिये देश भर से हजारों लोग प्रतिदिन आते हैं, लेकिन गंदगी और पूरी नदी में फैली जलकुंभी से यहां दूर तक नदी नजर नहीं आती। घाट को जलकुंभी ने ऐसा घेरा है कि पाइप लगाकर कुंडनुमा स्थान पर लोगों को स्नान करना पड़ता है।
पौराणिक महत्व के सिद्धवट घाट का पितृकर्म और धार्मिक अनुष्ठान के लिये अपना अलग महत्व है। पंडितों के अनुसार सिद्धवट घाट पर कर्म करने से मृतात्माओं को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि देशभर से लोग यहां पहुंचते हैं। सिद्धवट घाट पर रोजाना हजारों की संख्या में लोग आते हैं, लेकिन यहां पसरी गंदगी, नदी में फैली जलकुंभी, नदी के गंदे पानी से लोगों की भावनाएं आहत होती हैं। यहां के पंडितों ने बताया कि सफाई व्यवस्था के लिये नगर निगम द्वारा 12 सफाईकर्मी नियुक्त किये हैं बावजूद इसके गंदगी फैली रहती है। नदी में जलकुंभी इस प्रकार फैली है कि दूर तक पानी नजर नहीं आता।
लोग जलकुंभी को देखकर पूछते हैं कि नदी कहां है। खास बात यह कि जलकुंभी घाटों तक फैली है इस कारण नदी में उतरकर लोग स्नान नहीं कर पाते। घाट से सटाकर यहां नदी में पाइप लगाये गये हैं और उन्हीं पाइपों को पकड़कर लोग नदी में नाक, मुंह बंद कर स्नान करते हैं। पूजन पाठ के बाद निकलने वाली सामग्री को भी नदी में ही प्रवाहित कर दिया जाता है। नदी का पानी गंदा व मटमैला होने से लोगों की भावनाएं भी आहत होती हैं। यहां पूजन कर्म कराने वाले पंडितों ने बताया कि जलकुंभी को मशीन से हटाने के लिये नगर निगम द्वारा ठेका दिया गया था लेकिन आज तक जलकुंभी हटाने के लिये कोई कर्मचारी नहीं आया।
फव्वारा लगाते ही हुआ बंद
नदी के गंदे व मटमैले पानी के कारण पानी में ऑक्सिजन की कमी हो गई थी और जलीय जीव मर रहे थे। पिछले दिनों बीच नदी में एक फव्वारा लगाया गया था लेकिन 3-4 दिन चलने के बाद वह फव्वारा भी बंद हो गया। फव्वारे में कचरा फंस गया था और उसे नदी से निकालकर दुबारा कंपनी को भेज दिया गया है।