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सक्सेस स्टोरी : यू ट्यूब पर सीखी तकनीक, शुरू किया अपना उद्योग
उज्जैन | एक वक्त था जब महिला और उसके पति को नौकरी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा था, परंतु हर जगह से उन्हें निराशा ही हाथ लग रही थी। इस निराशा के दौर में भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने साहस और जज्बे से उस वक्त को ही बदल दिया और आज वे न सिर्फ स्वयं के लिए खुद कुछ कर रहे हैं, बल्कि अपने साथ तीन अन्य लोगों को भी रोजगार उपलब्ध करा दिया है।
उज्जैन की उद्योगपुरी आगर रोड पर वाइन गोदाम के पास एक छोटे से शेड में दोना-पत्तल तैयार करने के लिए जरूरी सिल्वर शीट का निर्माण होता है। इस फैक्टरी में एक कारीगर निरन्तर खाकी एवं सिल्वर शीट को चिपकाने का काम करता है, वहीं एक अन्य मशीन पर शीट की कटिंग करता है और तीसरा फिनिश गुड की पैकिंग कर उनको तरीके से जमा रहा है। फैक्टरी मालिक नितिशा नाटानी फैक्टरी में होते हुए कार्य का निरीक्षण कर रही है और अपने तैयार माल की मार्केटिंग के लिए लोगों से सम्पर्क स्थापित कर रही है। उनके पति सौरभ नाटानी इस काम में उनका हाथ बंटा रहे हैं। कुछ दिन पूर्व तक नितिशा एवं उनके पति सौरभ के पास कोई काम नहीं था। वे विभिन्न प्रायवेट संस्थानों में नौकरी के लिये प्रयासरत थे, लेकिन उज्जैन में नौकरी आसानी से संभव नहीं हो पा रही थी। वे बाहर भी नहीं जाना चाहते थे।
यू ट्यूब पर सीखी तकनीक और शुरू किया उद्योग
फिर एक दिन नितिशा ने दोने-पत्तल के निर्माण कार्य में काम आने वाली सिल्वर शीट बनाने का विचार किया। यूट्यूब पर जाकर तकनीक को समझा। पूंजी की आवश्यकता थी, इसलिए जिला हाथकरघा कार्यालय एवं बैंक से सम्पर्क किया। जिला हाथकरघा कार्यालय द्वारा मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत सिल्वर पेपर क्राफ्ट शीट निर्माण के लिए मशीन, गोडाउन एवं सम्पूर्ण व्यवस्था का एस्टीमेट बनाते हुए प्रोजेक्ट तैयार किया। जिला प्रशासन एवं बैंक की पहल पर नितिशा नाटानी को 6 लाख 48 हजार रुपए का ऋण स्वीकृत किया गया। इसमें दो लाख रुपए की मार्जिन मशीन का लाभ भी उनको दिया जाएगा।
चार माह बाद हुए सफल
नितिशा नाटानी एवं उनके पति सौरभ ने मिलकर इस काम को धीरे-धीरे बढ़ाया और आज चार महीने बाद स्थिति यह आ गई है कि वे बैंक की किस्त 12750 रुपए प्रतिमाह बिना रुकावट चुका रही हैं। यही नहीं सात-सात हजार रुपए के तीन कारीगरों को उन्होंने रोजगार भी दे रखा है। इस व्यवसाय से उनके परिवार को 20 हजार रुपए प्रतिमाह की आमदनी पृथक से हो रही है। चर्चा में नितिशा बताती हैं कि उज्जैन दोना पत्तल निर्माण कार्य का एक बड़ा हब बन गया है। यहां से न केवल प्रदेश के दूसरे शहरों बल्कि देश के अन्य शहरों में कागज के दोना-पत्तल बनकर जा रहे हैं। नाटानी ने दोना, पत्तल, पेपर प्लेट निर्माण की इकाई भी अपने घर पर लगा रखी है। स्वयं के व्यवसाय एवं उद्यम के मालिक होने का अहसास उनकी बातों एवं उनके आत्म विश्वास में नजर आता है।