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सफर अब भी मुश्किल भरा:सड़क से ऊपर चैंबर, नजर हटी तो वाहन हवा में
सड़क हादसे में 24 साल के युवा वकील अक्षत शर्मा की मौत के बाद भी जिम्मेदारों ने सबक नहीं लिया है। हादसे का कथित कारण बताए जा रहे सीवरेज प्रोजेक्ट को अंजाम दे रहे टाटा कंपनी को निगम ने कारण बताओ नोटिस देकर 7 दिन में जवाब जरूर मांगा है। लेकिन हादसे के 8 दिन बाद भी जिस चैंबर से हादसा होना बताया जा रहा है उसे दुरुस्त नहीं किया है। साथ ही हरीफाटक ब्रिज के थोड़ा आगे से ही ऊंचे-नीचे चैंबरों का सिलसिला शुरू होता है जो 300 मीटर की दूरी में 20 से ज्यादा ऐसे चैंबर है जो हादसे का करण बन रहे हैं।
हालांकि 5 मार्च से टाटा ने शहर के अन्य क्षेत्रों में चैंबरों को ठीक करना शुरू किया है। भास्कर ने 2 मार्च के अंक में ही बता दिया कि 165 किमी में डाल गई सीवरेज लाइन में 135 चैंबर जानलेवा हैं। इसमें 76 सड़क से ऊपर और 59 गड्ढे में है। इनमें से ज्यादातर अभी ठीक नहीं हुए हैं। इंदौर गेट पर जहां अक्षत की बाइक असंतुलित हुई, वहां से लेकर गदा पुलिया तक 10 से ज्यादा चैंबर ऐसे हैं, जो 10 इंच तक ऊंचे है। निगमायुक्त क्षितिज सिंघल ने बताया कि इस मार्ग पर सीवरेज लाइन डलने के बाद रोड बनाने का काम शुरू नहीं हुआ है। टाटा को शोकॉज नोटिस दे चुके हैं। 7 दिन में जवाब मांगा है।
परिवार को विश्वास ही नहीं अक्षत नहीं रहा
क्षीरसागर स्थित दिवंगत अक्षत के घर का माहौैल इतना बोझिल है कि किसी से अक्षत का नाम सुनते ही परिजनों की आंखों से आंसू बहने लगते हैं। पिता की हालत दयनीय है। वे किसी से बात नहीं करते हैं। वीरान आंखें शून्य में निहारती हैं। अक्षत के चाचा एडवोकेट राहुल शर्मा बमुश्किल खुद को संभाले हुए हैं। संवेदना जताने पहुंच रहे नाते-रिश्तेदारों से बात करते हुए बिलख उठते हैं।
कहते हैं 5 साल से पूना में कानून की पढ़ाई करके लौटा अक्षत घर आया तो पूरे घर में रौनक छा गई थी। बड़े भईया और उनका परिवार चार मंजिला घर में साथ रहते हैं। 9 लोगों के परिवार की धुरी था अक्षत। साल दो साल में उसके विवाह की सोच रहे थे। जानलेवा हादसे ने परिवार का सबकुछ छीन लिया। उनमें तो इतनी भी हिम्मत भी नहीं कि वो अक्षत की तस्वीर तक देख (घर में दिवंगत अक्षत की तस्वीर तक नहीं लगाई गई है।) सके।
ऐसा भी एक इंतजार: दरवाजे पर टकटकी लगाएं हैं दादा…. शायद अक्षत लौट आए
घर में प्रवेश करते ही एक वयोवृद्ध पर नजर जाते ही दिल बैठ जाता है। ये अक्षत के दादा नारायणप्रसाद शर्मा हैं। सीनियर एडवोकेट हैं। रिवाल्विंग चेयर पर बैठे यह बुजुर्ग हरदम दरवाजे पर टकटकी लगाए रहते हैं। शायद उन्हें भरोसा ही नहीं कि अक्षत अब कभी नहीं लौटेगा। पोते की प्रतीक्षा में उनकी आंखों का पानी भी सूख चुका है।
जनहित याचिका लगाने पर विचार
संभवत खराब सड़क और मापदंड के विपरीत चैंबर की वजह से हुए जानलेवा हादसे पर अक्षत के चाचा एडवोकेट राहुल शर्मा कहते हैं… फिलहाल तो मन:स्थिति ही ठीक नहीं… किसे क्या दोष दें। हमारे तो घर का चिराग बुझ गया। इसे किसी भरपाई से नहीं तौला जाना चाहिए। और किसी का परिवार इन हालातों से न जूझे इसके लिए कोई जनहित याचिका लगाएं तो उन्हें सहयोग जरूर करेंगे।