सिविल सर्जन के साथ हुई घटना में क्यों नहीं हुई एफआईआर?

उज्जैन। चरक हॉस्पिटल में सिविल सर्जन व आरएमओ के साथ की गई धक्का-मुक्की में प्रकरण दर्ज नहीं होना शहर में चर्चा का विषय बन गया है। घटना के समय मौके पर मौजूद अस्पताल कर्मियों का दावा है कि जिले के एक प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी के हस्तक्षेप के कारण पीडि़त को प्रकरण दर्ज करवाने से पीछे हटना पड़ा। वहीं मामले में राजनीतिक दबाव की भी चर्चा है। इधर, घटना का शिकार हुए सिविल सर्जन मामले के तूल पकडऩे पर आरोपियों के माफी मांगने की बात कहकर बचने का प्रयास कर रहे हैं।
सिविल सर्जन डॉ. राजू निदारिया और आरएमओ जीएस धवन को बुधवार दोपहर चरक हॉस्पिटल में रौनक बोहरा व ड्राइवर सुनील ने हाथापाई कर गिरा दिया था। बीच-बचाव करने पर रौनक और सुनील डॉ. निदारिया के ड्राइवर राजेश को भी पीटकर भाग गए थे। दो बड़े अधिकारियों के साथ घटना होने पर अस्पतालकर्मियों के साथ ही प्रशासनिक क्षेत्र में भी हड़कंप मच गया था। मामले में डॉ. निदारिया ने आवेदन देकर सुनील नामक बाबू को कोतवाली में रिपोर्ट लिखवाने भेजा था।

पुलिस का दावा है कि टीआई सुनीता कटारा व एसआई किरार मामले में प्रकरण दर्ज कर ही रहे थे कि हॉस्पिटल से एक फोन आने पर सुनील बिना आवेदन दिए वापस लौट गया। बाद में टीआई कटारा के फोन कर डॉ. निदारिया या उनके ड्राइवर राजेश को रिपोर्ट करने के लिए फोन भी किया लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इधर घटना से जुड़े कर्मचारियों का दावा है कि मामले को लेकर जिले के बड़े अधिकारी ने डॉ. निदारिया को फोन कर रिपोर्ट नहीं करवाने के निर्देश दिए। यही वजह है कि घटना के कुछ समय बाद ही आरोपी अस्पताल पहुंच गए और माफीनामा लिखकर दे दिया, जिसे मानते हुए डॉ. निदारिया व डॉ. धवन ने उन पर कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की, जबकि वह घटना में अपना ६० हजार के मोबाइल के टूटने का भी जिक्र कर रहे थे।

 

ऐसे हुई थी घटना
डॉ. निदारिया व डॉ. धवन अस्पताल में स्थित लांड्री की जांच करने गए थे। यहां बाहरी कपड़े मिलने पर वह कार्यवाही की बात करते हुए पीछे बन रहे स्टाफ क्वार्टर भी देखने जा रहे थे। परिसर में ही गाड़ी धोते देख उन्होंने क्वार्टर निर्माण कर रहे ठेकेदार पवन बोहरा के पुत्र रौनक व सुनील को रोकने का प्रयास किया था। जिस पर दोनों ने उनके साथ घटना कर दी थी।

 

एक माह पहले सांसद पर प्रकरण
सर्व विदित है कि ३० नवंबर को सांसद डॉ. चिंतामण मालवीय पर आरोप लगा था कि उन्होंने महाकाल मंदिर पर एसआई तिवारी के साथ बदसलूकी की है। मामले में पुलिस ने तुरंत ही सांसद डॉ. मालवीय का पक्ष जाने बिना उन पर शासकीय कार्य में बाधा और धमकाने का केस दर्ज कर दिया था। ऐसे में दो अस्पताल के दो प्रमुख अधिकारियों के साथ मारपीट करने पर भी केस दर्ज नहीं करना प्रशासन को कठघरे में खड़ा करता है।

इनका कहना

मुझे सिर्फ धक्का लगा है। मारपीट ड्राइवर राजेश के साथ हुई वह संविदा कर्मचारी है, वह परेशानी से बचने के लिए रिपोर्ट नहीं लिखवाना चाहता था। कोई दबाव नहीं आया।

– डॉ. राजू निदारिया, सिविल सर्जन

 

अस्पताल से रिपोर्ट लिखवाने भेजा था लेकिन फिर वापस लौट गए। बाद में फोन भी किया लेकिन अस्पताल के अधिकारियों ने मना कर दिया।

– सुनीता कटारा, टीआई, कोतवाली

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