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सीएम डा. मोहन यादव के निर्देश- उज्जैन में शिप्रा शुद्धीकरण के लिए बनाएं प्रोजेक्ट
उज्जैन। मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने उज्जैन में प्रवाहित मोक्षदायिनी शिप्रा नदी के जल की शुद्धि के लिए योजना बनाने के निर्देश दिए हैं। कहा है कि कान्ह का गंदा पानी शिप्रा में न मिले, ये सुनिश्चित करें। निर्देश को अमल में लाने के लिए तत्काल भोपाल में अफसरों ने बैठक की। वर्चुअल रूप से उज्जैन के अधिकारी भी जुड़े। उपाय एक ही सुझाया। वो ये कि ‘इंदौर-सांवेर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की क्षमता बढ़ा दी जाए और उज्जैन में कान्ह नदी पर एसटीपी लगा दिया जाए।’
बैठक में बताया गया कि देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर का सीवेज युक्त पांच क्यूमेक प्रदूषित पानी कान्ह नदी के रूप में उज्जैन आकर शिप्रा नदी (स्नान क्षेत्र) में त्रिवेणी घाट के समीप मिल रहा है। इससे शिप्रा का समूचा स्वच्छ जल भी दूषित हो रहा है। ये मिलन रोकने को साल 2016 में 95 करोड़ रुपये खर्च कर कान्ह डायवर्शन पाइपलाइन योजना को धरातल पर उतारी थी मगर वो पूरी तरह सफल न हो पाई।
पिछले वर्ष 5 दिसंबर 2022 को जल संसाधन विभाग ने शिप्रा नदी के नहान क्षेत्र (त्रिवेणी घाट से कालियादेह महल तक) में कान्ह का पानी मिलने से रोकने को 598 करोड़ 66 लाख रुपये की कान्ह डायवर्शन क्लोज डक्ट परियोजना स्वीकृत की थी, जो अगले कुछ महीनों में धरातल पर आकार लेती नजर आ जाएगी। मगर इतने पर भी शिप्रा शुद्ध नहीं होने वाली।
क्योंकि क्लोज डक्ट परियोजना के क्रियान्वयन से केवल कान्ह का रास्ता बदलेगा। आगे जाकर वो शेष शिप्रा के शेष हिस्से का जल पूरी तरह प्रदूषित करती रहेगी। उपाय यही है शिप्रा में गंदा पानी मिलने ही न दिया जाए। इसके लिए ‘इंदौर-सांवेर में एसटीपी की क्षमता बढ़ाना चाहिए। उज्जैन में राघोपिपल्या के आसपास कान्ह नदी पर एसटीपी लगाना चाहिए।
अच्छी बात ये है कि इंदौर में 34, 40, 120 एमएलडी (मिलियन लीटर्स पर-डे) के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने को 427 करोड़ रुपये की निविदा की कार्रवाई प्रक्रिया में है। इस कार्य के लिए 10 एजेंसियों के टेंडर प्राप्त हुए हैं। काम कराने को केंद्र सरकार ने नमामी गंगे मिशन अंतर्गत 511 करोड़ रुपये इसी वर्ष फरवरी में स्वीकृत किए थे। टेंडर की तकनीकी बीड खुल चुकी है। इसका मूल्यांकन चल रहा है।
कुछ दिनों बाद वित्तीय बीड खोली जाएगी। केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने पर काम शुरू हो पाएगा। संभावना लगभग दो महीने बाद काम शुरू होने की है। अब आवश्यकता सांवेर और उज्जैन में एसटीपी प्लांट बनाने की है। तय हुआ कि योजना नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग बनाएगा। शिप्रा को हर हाल में सिंहस्थ-2028 से पहले प्रवाहमान, स्वच्छ और शुद्ध बनाया जाएगा।
कैबिनेट की बैठक में योजना हो सकती मंजूर
एसटी की योजना बनी तो इसे अगले माह उज्जैन में मकर संक्रांति (15 जनवरी) को प्रस्तावित प्रदेश कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी जा सकती है। उज्जैन को पवित्र नगरी घोषित करने, सवारी मार्ग चौड़ा करने, नानाखेड़ा से हरिफाटक पुल तक एलिवेटेड कारिडोर बनाने की योजना को भी स्वीकृति मिल सकती है।
क्लोज डक्ट योजना की जिम्मेदारी वेंसर कंपनी को मिल सकती
इंदौर शहर की अगले 30 साल की आबादी और सिंहस्थ- 2052 को ध्यान में रख जल संसाधन विभाग द्वारा बनाई 598 करोड़ 66 लाख रुपये की कान्ह डायवर्शन क्लोज डक्ट परियोजना के क्रियान्यन की जिम्मेदारी हैदराबाद की वेंसर कंस्ट्रक्शन को मिल सकती है। इस कंपनी ने 15 प्रतिशत बिलो रेट पर काम करने का प्रस्ताव दिया है।
सब कुछ ठीक रहा तो अगले तीन वर्ष में योजना पूरी हो जाएगी। 42 महीने में योजना पूरी करने का कार्य आदेश ठेकेदार फर्म को जारी होगा। निविदा शर्त अनुरूप तय ठेकेदार फर्म को अगले 15 वर्ष योजना का रखरखाव भी करना होगा।
याद रहे कि कान्ह डायवर्शन क्लोज डक्ट परियोजना की निविदा इसी साल 19 अप्रैल को खोली थी। निविदा में तीन एजेंसियों के प्रस्ताव प्राप्त हुए थे, जिनमें से एक फर्म के प्रोपराइटर रामालिंगम ने टेंडर को हाईकोर्ट में चुनौती दे डाली थी। प्रमाण के आधार पर केस शासन ने जीता। इसी के साथ विधिक बाधा मिट गई।
अब इंतजार मंत्रीमंडल के विस्तार होने और टेंडर को सक्षम स्वीकृति के लिए मंत्रियों के बोर्ड की स्वीकृति मिलने का है। स्वीकृति मिलते ही त्रिवेणी घाट के समीप गोठड़ा गांव में कान्ह पर पांच मीटर ऊंचा स्टापडेम बनाया जाएगा।
यहां से कालियादेह महल के आगे तक 16.5 किलोमीटर लंबा एवं 4.5 बाय 4.5 मीटर चौड़ा आरसीसी बाक्स बनाकर जमीन पर बिछाया जाएगा। दावा है कि इस चोकोर बाक्सनुमा पाइपलाइन से कान्ह का 40 क्यूमेक पानी डायवर्ट किया जा सकेगा। अंतिम 100 मीटर लंबाई में ओपन चैनल का निर्माण किया जाएगा।