हर बुलंदी को छू रही बेटियां, इनसे ही खिलती है खुशियों की फुलवारी

माता-पिता और समाज के साथ दो परिवारों का गठजोड़ बनाने में ये ही निभाती हैं अहम भूमिका

उज्जैन. अब वह दौर खत्म हो गया जब लोग कहा करते थे कि हमारा बेटा आज इस मुकाम पर पहुंच गया है, आज वह उस ऊंचाई को छू रहा है। अब जिनके घरों में सिर्फ बेटियां ही हैं, वे भी फख्र से सिर उठाकर कहते हैं कि हमारी बेटी पढ़ाई में अव्वल आई है। आज वह उस कंपनी में काम कर रही है। दरअसल, आज के युग में बेटियां हर उस बुलंदी को छू रही हैं, जिसकी अपेक्षा अक्सर माता-पिता बेटों से करते हैं। माता-पिता और समाज के साथ दो परिवारों का गठजोड़ बनाने में भी बेटियां अहम भूमिका निभाती हैं। 24 जनवरी को नेशनल गर्ल चाइल्ड डे है।

 

बेटियों के अधिकारों के बारे में समाज में जागरूकता लाना

मध्यप्रदेश में 24 जनवरी को “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” योजना के तहत राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। इस उत्सव का उद्देश्य बेटियों के अधिकारों के बारे में समाज में जागरूकता लाना और बेटियों को उनके सामाजिक व वित्तीय विकास के लिए नए अवसर प्रदान करना है। बालिका दिवस के अलावा, महिला-बाल विकास विभाग भी राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाता है। 24 से 30 जनवरी तक यह सप्ताह चलता है, जिसमें कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम बेटियों के नाम पर किए जाते हैं।

 

लक्ष्मी और दुर्गा के रूप में पूजी जाती हैं बेटियां

बिजनेसमैन अजय पटवा की तीन साल की बेटी है जेसिका। उनका कहना है वह जब घर में किलकारियां भरती है, तो दिनभर की थकान उतर जाती है। भारत में महिलाओं और लड़कियों को दुर्गा और लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है। आज के दौर में लड़के और लड़कियों में फर्क नहीं होना चाहिए। बेटियां भी हर ऊंचाई को छूने का माद्दा रख रही हैं। वहीं समाज में इनके प्रति जो विकृतियां आई हैं, उन्हें दूर करने का प्रयास होने चाहिए। इनका शोषण करने वालों को सरेआम सजा देना चाहिए, ताकि बेटियां हमेशा सुरक्षित रह सकें।

 

तीन साल की षंजन ने छुआ आसमान

शहर और प्रदेश का नाम रोशन करने वाली असाधारण प्रतिभाओं की धनी तीन वर्षीय बालिका षंजन थम्मा अब अन्य बेटियों की प्रेरणास्त्रोत भी बनेगी। पिछले दिनों भोपाल में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस बेटी को सम्मानित किया था। कलेक्टर शशांक मिश्र द्वारा षंजन को ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ की उज्जैन जिले की ब्रांड एम्बेसडर नियुक्त करते हुए अभियान के तहत गौरव-पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। परवाना नगर निवासी षंजन अपनी असाधारण प्रतिभा की बदौलत ‘यंगेस्ट एम्बिडेक्स्ट्रस राइटर’ के रूप मे वल्र्ड रिकॉर्ड इंडिया में अपना नाम दर्ज करा चुकी है। शंजन ने दोनों हाथों से ए-टू झेड एवं एक से 30 तक गिनती लिखकर भारत में नया विश्व रिकॉर्ड बनाया है। षंजन के माता-पिता मानसी, श्रीधर एवं नाना रमेशचंद्र शर्मा को बेटी पर नाज है।

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