​​​​​​​शरद संपात:आज से शुरू होंगे ठंड के दिन… क्योंकि सूर्य दक्षिण की ओर जाएगा

सूर्य शुक्रवार से दक्षिणायन होगा। पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य की किरणें तिरछी आएंगी। इससे उनकी तपिश कम होगी। इससे मौसम में ठंडक बढ़ेगी। दिन की अवधि भी घटने लगेगी। गुरुवार को शरद संपात यानी दिन और रात की अवधि बराबर रही। वेधशाला में शंकु यंत्र पर सूर्य के विषुवत रेखा पर लंबवत होने की इस खगोलीय घटना को लोगों ने दिनभर देखा। नाड़ी वलय यंत्र के उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध पर दिनभर छाया बनी रही।

सूर्य अपनी यात्रा में 23 सितंबर को विषुवत रेखा पर लंबवत होता है। इसके बाद वह दक्षिण की ओर यात्रा शुरू करता है। सूर्य के विषुवत रेखा पर लंबवत होने की स्थिति शरद संपात कहलाती है। इस दिन दिन और रात की अवधि बराबर 12.12 घंटे रहती है। गुरुवार को शरद संपात की स्थिति को लोगों ने वेधशाला के शंकु यंत्र और नाड़ी वलय यंत्र पर देखा। वेधशाला अधीक्षक डॉ आरपी गुप्त ने बताया शंकु यंत्र पर दिनभर शंकु की छाया मध्य में स्थित विषुवत रेखा पर चलती रही। अब धीरे-धीरे सूर्य दक्षिण की ओर जाएगा। इससे उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य की किरणें तिरछी होंगी। इस कारण सूर्य की तपिश कम होगी। यानी शरद ऋतु की शुरुआत हो जाएगी। दिन की अवधि भी कम होने लगेगी।

दिन-रात में आएगा 1.30 घंटे का अंतर
डॉ गुप्त के अनुसार सूर्य के दक्षिण में जाने से दिन छोटे होने लगेंगे। रोज दिन की अवधि घटेगी। 22 दिसंबर को वह दिन आएगा जब दिन की अवधि सबसे कम 10.30 घंटे और रात की सबसे ज्यादा लंबी 13.30 घंटे की होगी। सूर्य के दक्षिण गोलार्द्ध की ओर जाने से उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य की किरणों की तीव्रता कम हो जाने से शरद ऋतु की शुरुआत हो जाएगी। इसके ठीक विपरीत स्थिति 21 जून को होती है जब दिन सबसे बड़ा यानी 13.30 घंटे और रात सबसे छोटी यानी 10.30 घंटे की होती है।

जीवाजी वेधशाला में देख सकते हैं सूर्य का दक्षिणायन होना
जयसिंहपुरा स्थित जीवाजी वेधशाला में गुरुवार को इस खगोलीय घटनाक्रम को शंकु यंत्र तथा नाड़ीवलय यंत्र के माध्यम से देखा गया। गुरुवार को शंकु की छाया पूरे दिन विषुवत सीधी रेखा पर ही घूमती रही। नाड़ीवलय यंत्र के उत्तरी गोल भाग पर 22 मार्च से 22 सितंबर तक धूप थी। गुरुवार को उत्तरी तथा दक्षिणी दोनों ही गोल भाग पर धूप नहीं दिखी। अब 24 सितंबर से 20 मार्च तक नाड़ीवलय यंत्र के दक्षिणी गोल पर धूप रहेगी।

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