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280 कोर्स के लिए आवेदन 4291, प्रवेश लिया 1455 ने:विक्रम विश्वविद्यालय में मई से प्रवेश प्रक्रिया शुरू हुई तीन महीने बाद भी पाठ्यक्रमों की सीटें खाली
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय में संचालित 280 स्नातक, स्नातकोत्तर, डिप्लोमा पाठ्यक्रमों से छात्रों का रुझान कम होता दिख रहा है। कारण है कि करीब 15 मई से प्रारंभ हुई प्रवेश प्रक्रिया के करीब तीन महिने बाद भी आधे से ज्यादा कोर्स खाली है या फिर एक-दो प्रवेश हुए है। आज की स्थिति में 4291 आवेदन ऑनलाइन हुए है। इनमें विभिन्न कोर्स में करीब 1455 छात्रों ने प्रवेश लिया है। लिहाजा तमाम प्रयास के बाद भी विगत तीन महीने के दौरान विश्वविद्यालय में संचालित अध्ययनशाला के पाठ्यक्रमों में प्रवेश की स्थिति संतोषजनक नही है। कुलपति ने बुधवार को सभी विभागाध्यक्षों के साथ बैठक कर स्थिति की समीक्षा की है। अभी प्रवेश के लिए 14 अगस्त अंतिम तिथि घोषित की गई है। मौजूदा स्थिति में कई पाठ्यक्रमों में जीरो की स्थिति है। वहीं कुछ में 1 या अधिकतम 5 विद्यार्थी प्रवेशित हुए है।
विक्रम विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों के प्रति छात्रों की दूरी बनती जा रही है। विश्वविद्यालय प्रोक्टर कार्यालय से मई के दूसरे सप्ताह से ही नए प्रवेश की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी। विश्वविद्यालय की 30 अध्ययनशालाओं में संचालित करीब 280 पाठ्यक्रमों में रोजगारन्मुखी बताकर सभी सीटें फुल होने की उम्मीद जताई थी। जबकि तीन महिने के दौरान कई पाठयक्रमों में ऑनलाइन आवेदन तो हुए है, लेकिन फीस नही जमा हो रही है। विवि प्रशासन ने इस दौरान दो बार प्रवेश की अंतिम तिथि बढ़ाई गई। विद्यार्थियों को करीब तीन महीने तक मौका देने के बाद भी कुछ अध्ययनशालाओं में तो प्रवेश की स्थिति जीरो पर है। वहीं कुछ पाठयक्रम में 1 से 5 तो कुछ में प्रवेश लेने वालों की संख्या 10 तक पहुंची है। जहां विद्यार्थियों ने शिक्षण शुल्क जमा कर चुके हैं। हालांकि यह स्थिति पहली बार नहीं बन रही है। इसके पहले वर्षो में भी विश्वविद्यालय के पारंपरिक पाठ्यक्रमों से विद्यार्थियों की दूरी बराबर बनी हुई थी। कहा यह भी जा रहा है कि अभी डीटीई से एमबीए, बीई और फॉर्मेसी अध्ययनशाला में प्रवेश होना है। जानकारों का कहना है कि सभी पाठ्यक्रम मिलाने के बाद भी विश्वविद्यालय में प्रवेश का आंकड़ा 18 सौ से दो हजार के बीच पहुंच सकेगा। वहीं तीन महिने पहले हुई बैठक में कुलपति प्रो. पांडे ने सभी विभागाध्यक्षों से करीब 25 हजार प्रवेश कराने की उम्मीद जताई थी। हालत यह है कि जो उम्मीद जताई थी उसका दस प्रतिशत भी प्रवेश की स्थिति नही बनी है। इस मामले में कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडे का कहना है कि विश्वविद्यालय में कम प्रवेश होने के पीछे एक कारण है कि इस बार सीयूटी का परिणाम देरी से आए है। वहीं इस बार कक्षा 12 वी बोर्ड का परिणाम मात्र 46 प्रतिशत रहा है। यह भी एक कारण इस बार प्रवेश कम होने का रहा है। बुधवार को सभी हेड की बैठक बुलाई है। सभी से चर्चा की जाएगी। हमें लग रहा है कि अभी प्रवेश ओर बढ़ जाएंगे।
60 पाठ्यक्रमों में प्रवेश की यह स्थिति-
विक्रम विश्वविद्यालय में संचालित 18 कोर्स में एक प्रवेश हुआ है। वहीं 12 कोर्स में दो छात्रों का प्रवेश, 6 कोर्स में तीन छात्रों का प्रवेश, 4 कोर्स में चार छात्र, 6 कोर्स में पांच छात्र, 3 कोर्स छह, सात और आठ छात्र और 5 कोर्स में नौ छात्रों ने प्रवेश लिया है। जबकि 60 कोर्स में सीट संख्या 35 से 40 के बीच है।
चार कोर्स में अधिक प्रवेश हुए-
विश्वविद्यालय के बीएससी ऑनर्स बायोटेक में 57, बीएससी एग्रीकल्चर में 172, बी.कॉम ऑनर्स में 200 और बीबीए ऑनर्स में 204 छात्रों ने प्रवेश लिया है।
छात्रों का रूझान कम होने के पीछे यह कारण-
1. विश्वविद्यालय का ए से बी ग्रेड पर आना 2. पीएचडी प्रवेश परीक्षा में हुई धांधली, मामला लोकायुक्त तक जाना 3. परीक्षाओं का समय पर नही होना, परिणामों में देरी होना 4. अच्छे पाठ्यक्रमों में प्रायोगिक उपकरण और प्रयोगशाला नही होना 5. छात्रावास में बाहरी छात्रों के रहने की सुविधा उपलब्ध नही होना 6. कक्षाओं में अधिकांश शिक्षकों के नही आने से पढ़ाई नही होना 7. विभागों में शिक्षकों की लड़ाई और गुटबाजी की परेशानी 8. शिक्षकों का नए प्रवेश कराने में रूचि नही होने के कारण 9. छात्रावास में गुटबाजी बाहरी छात्रों की दखलंदाजी होना, मूलभूत सुविधाएं भी नही होना 10. अकादमिक कैलेंडर का पालन नही होना, छात्रों के प्लेसमेंट की समस्या