उज्जैन: गुरुद्वारा सुखसागर में गुरु ग्रंथ साहिब का 421वां प्रकाश पर्व, फूलों और रोशनियों से सजा गुरुद्वारे; कीर्तन-लंगर में उमड़ा श्रद्धा का सागर!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

शहर के फ्रीगंज स्थित गुरुद्वारा सुखसागर में रविवार को गुरु ग्रंथ साहिब का 421वां प्रकाश पर्व धूमधाम और आस्था के साथ मनाया गया। इस अवसर पर गुरुद्वारे को फूलों और रोशनियों से सजाया गया, जिससे पूरा परिसर भक्ति और श्रद्धा के वातावरण से सराबोर हो उठा।

प्रकाश पर्व के मौके पर अमृतसर से पधारे ज्ञानी अमनदीप सिंह ने संगत को शब्द-कीर्तन और गुरबाणी का पाठ सुनाया। उनकी मधुर वाणी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया। कीर्तन के दौरान पूरे गुरुद्वारे में “वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह” की गूंज सुनाई दी।

गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष चरणजीत सिंह कालरा ने जानकारी दी कि आज ही के दिन गुरु ग्रंथ साहिब का पहला प्रकाश हुआ था। सिख पंथ में दस गुरु हुए, और अंतिम दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी ने गुरु ग्रंथ साहिब को ही सिख समाज का “आध्यात्मिक गुरु” घोषित किया। उन्होंने आदेश दिया था कि अब सिख समाज किसी मनुष्य को नहीं, बल्कि गुरु ग्रंथ साहिब को ही अपना मार्गदर्शक और गुरु मानेगा।

गुरु ग्रंथ साहिब केवल सिख गुरुओं की वाणी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें कबीर, नामदेव, रविदास जैसे संतों और अन्य भक्तों की वाणी भी संकलित है। यही कारण है कि इसमें सभी समाजों और धर्मों के लिए समानता, भाईचारे और शांति का सार्वभौमिक संदेश मिलता है।

प्रकाश पर्व में शहर और आसपास से बड़ी संख्या में सिख समाज के श्रद्धालु शामिल हुए। महिलाओं, पुरुषों और बच्चों ने सेवा भाव से भाग लिया। आयोजन के अंत में लंगर का वितरण किया गया, जिसमें सभी जाति और समाज के लोग एक साथ बैठकर भोजन ग्रहण करते हुए समानता और सेवा के संदेश को आत्मसात करते नजर आए।

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