10/84 श्री कर्कोटकेश्वर महादेव

10/84 श्री कर्कोटकेश्वर महादेव

10/84 श्री कर्कोटकेश्वर महादेव : कर्कोटकेश्वर- संज्ञं च दशमं विद्धि पार्वती। यस्य दर्शन मात्रेण विषैर्नैवाभिभूयते। । परिचय : श्री कर्कोटकेश्वर महादेव की स्थापना की कथा कर्कोटक नामक सर्प और उसकी शिव आराधना से जुड़ी हुई है। श्री कर्कोटकेश्वर महादेव की कथा में धर्म आचरण की महत्ता दर्शाई गई है। पौराणिक आधार एवं महत्व : पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार सर्पों की माता ने सर्पों के द्वारा अपना वचन भंग करने की दशा में श्राप दिया कि…

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11/84 श्री सिद्धेश्वर महादेव

11/84 श्री सिद्धेश्वर महादेव

11/84 श्री सिद्धेश्वर महादेव : लिङ्गं एकादशं विद्धि देवि सिद्धेश्वरम् शुभम। वीरभद्र समीपे तु सर्व सिद्धि प्रदायकम्। । परिचय : श्री सिद्धेश्वर महादेव की स्थापना की कथा ब्राह्मणों द्वारा स्वार्थवश सिद्धि प्राप्त करने की दशा में नास्तिकता की ओर बढ़ने और फिर उनकी महादेव आराधना से जुडी हुई है। पौराणिक आधार एवं महत्व : पौराणिक ककथाओं के अनुसार एक बार देवदारु वन में समस्त ब्राह्मणगण एकत्रित हो सिद्धि प्राप्त करने हेतु तप करने लगे। किसी ने शाकाहार…

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12/84 श्री लोकपालेश्वर महादेव

12/84 श्री लोकपालेश्वर महादेव

12/84 श्री लोकपालेश्वर महादेव : द्वादशं विद्धि देवेशि, लोकपलेश्वरम् शिवं। यस्य दर्शन मात्रेण, सर्वपापैः प्रमुच्यते। । परिचय : श्री लोकपालेश्वर महादेव की कथा देवताओं पर दैत्यों के बढ़ते प्रभुत्व और फिर उनकी शिव आराधना द्वारा दैत्यों के संहार से जुड़ी हुई है। पौराणिक मान्यता एवं आधार : पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप द्वारा अनेक दैत्यगण पैदा हुए थे। उन्होंने वन पर्वतों में जा आश्रम नष्ट कर सम्पूर्ण पृथ्वी को उथल पुथल कर दिया। यज्ञ…

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13/84 मनकामनेश्वर महादेव

13/84 मनकामनेश्वर महादेव

13/84 श्री मनकामनेश्वर महादेव : गंधर्ववती घाट स्थित श्री मनकामनेश्वर महादेव के दर्शन मात्र से सौभाग्य प्राप्त होता है। ऐसा कहा जाता है कि एक समय ब्रह्माजी प्रजा की कामना से ध्यान कर रहे थे। उसी समय एक सुंदर पुत्र उत्पन्न हुआ। ब्रह्माजी के पूछने पर उसने कहा कि कामना की आपकी इच्छा से, आपके ही अंश से उत्पन्न हुआ हूँ। मुझे आज्ञा दो, मैं क्या करूँ? ब्रह्माजी ने कहा कि तुम सृष्टि की रचना…

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14/84 श्री कुटुम्बेश्वर महादेव

14/84 श्री कुटुम्बेश्वर महादेव

14/84 श्री कुटुम्बेश्वर महादेव : कुटुम्बेश्वर संज्ञन्तु देवं विद्धि चतुर्दशम्। यस्य दर्शन मात्रेण गौत्र विद्धिश्च जयते। । परिचय : श्री कुटुम्बेश्वर महादेव की स्थापना की कथा महादेव के करुणामय मन एवं क्षिप्रा मैया की कर्तव्यपरायणता दर्शाती है। करुणामय भगवान शिव ने सृष्टि को विष के भयानक दुष्प्रभाव से बचाने के लिए स्वयं उस विष को धारण कर लिया। क्षिप्रा माँ ने शिव की आज्ञा के उपरांत बिना विष के दुष्प्रभाव का विचार किये कर्तव्यपरायणता का अद्भुत…

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15/84 श्री इन्द्रद्युम्नेश्वर महादेव

15/84 श्री इन्द्रद्युम्नेश्वर महादेव

15/84 श्री इन्द्रद्युम्नेश्वर महादेव : कलकलेश्वर देवस्य समीपे वामभागतः। लिंगपापहरं तत्र समाराधय यत्नतः।। परिचय : श्री इन्द्रद्युम्नेश्वर महादेव की स्थापना की कथा शुभ एवं निष्काम कर्म करने एवं पुण्यार्जन की महत्व बताती है। प्रस्तुत कहानी यह दर्शाती है कि पृथ्वी पर शुभ कर्म करने से ही कीर्ति एवं स्वर्ग संभव है। पौराणिक आधार एवं महत्व : पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में एक इन्द्रद्युम्न नाम का राजा था। राजा ने पृथ्वी लोक में अपने जीवन कल…

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16/84 श्री ईशानेश्वर महादेव

16/84 श्री ईशानेश्वर महादेव

16/84 श्री ईशानेश्वर महादेव : ईशानेश्वर संज्ञन्तु षोडशम् विद्धि पार्वती। यस्य दर्शन मात्रेण ऐश्वर्य जायते नृणाम्। । परिचय : श्री ईशानेश्वर महादेव की स्थापना की कहानी बुराई पर अच्छाई की जीत का माहात्म्य दर्शाती है कि किस प्रकार दानवों के शक्तिशाली आधिपत्य के बाद भी शिव शक्ति द्वारा उनका संहार किया गया। पौराणिक आधार एवं महत्व : प्राचीन कल में तुहुण्ड नाम का एक दानव था। उसने देवताओं के साथ ऋषियों, गन्धर्वों, यक्षों को भी अपने अधीन…

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17/84 श्री अप्सरेश्वर महादेव

17/84 श्री अप्सरेश्वर महादेव

17/84 श्री अप्सरेश्वर महादेव : देवं सप्तदशं विद्धि विख्यातं अप्सरेश्वरं। यस्य दर्शन मात्रेण लोकोअभीष्टानवाप्नुयात्। । परिचय : श्री अप्सरेश्वर महादेव की कथा महाकाल वन की महत्ता और अप्सराओं की शिव आराधना को चित्रित करती है। अप्सराओं द्वारा पूजे गए इस लिंग से अप्सरा रम्भा का शाप दोष दूर हुआ था। पौराणिक मान्यता एवं आधार : पौराणिक कथाओं के अनुसार नंदन नमक वन में एक बार राजा इंद्र अपनी सभा में दिव्य सिंहासन पर विराजमान हो नृत्य देख…

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18/84 श्री कलकलेश्वर महादेव

18/84 श्री कलकलेश्वर महादेव

18/84 श्री कलकलेश्वर महादेव : देवमष्टादशं विद्धि ख्यातं कलकलेश्वरम्। यस्य दर्शन मात्रेण कल्हौनैव जायते। । (स्कंदपुराण अष्टादशोअध्यायः, प्रथम श्लोक) परिचय : मान्यतानुसार श्री कलकलेश्वर महादेव के दर्शन, पूजन, अभिषेक करने से पति-पत्नी का कलह व मनमुटाव समाप्त होता है। पौराणिक आधार एवं महत्व : पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार माँ पार्वती मंडप में मातृकाओं के साथ बैठी थी। उनके मध्य वह कृष्ण वर्ण की दिख रही थी। तब भगवान शंकर ने कहा – हे महाकाली !…

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19/84 श्री नागचण्डेश्वर महादेव

19/84 श्री नागचण्डेश्वर महादेव

19/84 श्री नागचण्डेश्वर महादेव : ईशानेश्वर देवस्य तिष्ठतिशनभागतः। तस्य दर्शनमात्रेण न स गच्छति दुष्कृतम्। । परिचय : श्री नागचण्डेश्वर की स्थापना की कथा अनजाने में हुए कई दोषों को चित्रित करती है। इनके दर्शन से देवताओं के भी शिव निर्माल्य (शिव लिंगों का समूह) दोष का निवारण हुआ था। पौराणिक आधार एवं महत्व : पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार राजा इंद्र की सुधर्मा सभा में देवर्षि नारद मुनि कथा प्रसंग सुना रहे थे। तब देवराज इंद्र…

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