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मुख्य सचिव मोहंती बोल गए उज्जैन की सड़क सुधारो, यहां कोई रखवाला नहीं
उज्जैन. बारिश में छलनी हो रही सड़कों को दुरुस्त करने को लेकर अलग तरह का पेंच फंसा हुआ है। फ्रीगंज क्षेत्र, नानाखेड़ा मार्ग सहित बाहरी मार्गों की कई सड़के खस्ताहाल हैं लेकिन इनके हैंडओवर को लेकर बड़ी उलझन है। सिंहस्थ में पीडब्ल्यूडी ने इनका निर्माण कराया था, लेकिन अब मेंटेनेंस करने से हाथ खड़े कर दिए हैं। विभाग का दावा है कि शासन स्तर पर हुई बातचीत अनुसार हमने उक्त सड़कें नगर निगम को हैंडओवर कर दी। इधर निगम प्रशासन का कहना हंै एेसे कुछ भी कागज पर कर लेने सड़क हैंडओवर नहीं होती। हमारे पास भी इतना फंड नहीं की, पीडब्ल्यूडी द्वारा निर्मित सड़कों का भी मेंटेनेंस करा सके। अब सवाल यह है कि सीएस ने २० सितंबर से सड़कों के सुधार के निर्देश दिए हैं, लेकिन यहां जब सड़कों का कोई रखवाला ही नहीं तो इन्हें दुरुस्त कौन कराएगा। फिलहाल दोनों विभागों के बीच जारी इस कुश्ती में आम लोग गड्ढों के बीच आवागमन करने को मजबूर हैं।
शहर में सिंहस्थ दरमियान व इसके आसपास निर्र्मित हुई सड़कों में से कई अब जवाब दे चुकी हैं। कुछ में पैंचवर्क तो कुछ जगह नए निर्माण की दरकार है। लेकिन स्थिति यह है की अभी तो इनके मेंटेनेंस के ही लाले हैं। दोनों विभागों के अपने तर्क हैं। मामला भोपाल स्तर पर भी पहुंचा था, लेकिन वहां से भी कोई हल नहीं हो सका। सड़क मेंटेनेंस के एकपक्षीय निर्धारण को नगर निगम मानने को तैयार नहीं। इधर अरसे से आला प्रशासनिक अधिकारियों ने भी विधिवत हस्तांतरण या रखरखाव संबंधी प्रक्रिया नहीं कराई।
शहरी सड़कों का तब डामरीकरण पीडब्ल्यूडी ने कराया था
सिंहस्थ में शहरी सड़कों पर पीडब्ल्यूडी ने डामरीकरण व जहां जरूरत थी नई सड़क बनाई थी। निमयानुसार इनके ५ साल के मेंटेनेंस का जिम्मा संबंधित ठेकेदार का होना था। इसी अवधि में अब बारिश में जब सड़के खराब हो रही है तो निगम ने यह कहते हुए मेंटेनेंस से इनकार कर दिया कि यह काम पीडब्ल्यूडी ने कराया था, वे गारंटी पीरियड होने से इसे दुरुस्त कराएं, जबकी पीडब्ल्यूडी का तर्क है कि सड़क नगर निगम की ही हंै, हमनें तो सिंहस्थ में काम किया था, बाद का जिम्मा हमारे पास नहीं है।
इस तरह की दिक्कत व परेशानियां
– हैंडओवर नहीं हुई सड़कों पर फिलहाल निगम भी पैंचवर्क नहीं करा रहा। अधिकारी फंड का अभाव बता रहे हैं।
– सालाना बजट में जो फंड होता है वह नाकाफी है। इसके लिए शासन स्तर से भी पृथक राशि निगम ने मांगी है।
– पिछले साल मुख्यमंत्री सड़क अधोसंरचना में निगम को ५ करोड़ मिले थे, इससे सड़क सुधारी गई थी।
– एक साल में कई मार्ग एेसे हैं जो सुधरने के बाद भी खराब हो गए, इनकी देखरेख कोई नहीं कर रहा।
– सड़कों का मेंटेनेंस नहीं होने से शहरवासियों व अन्य राहगीरों को गड्ढों के बीच आवागमन करना पड़ रहा है।
इन सड़कों के हैंडओवर होने में पेंच
– पुलिस लाइन से इंजीनियरिंग कॉलेज मार्ग, जो इंदौर रोड तक आता है।
– कोयला फाटक से मकोडि़याआम नाका तक का मार्ग।
– फ्रीगंज के ९ मार्गों में से ४ मार्ग, ५ पहले हस्तांतरित हो चुके।
– इंदौरगेट से लेकर अंकपात मार्ग तक की सड़क।
– नानाखेड़ा बस स्टैंड मार्ग व आरटीओ तिराहा से भरतपुरी मार्ग।
– नृसिंह घाट ब्रिज से भूखी माता मार्ग।
– ब्रिज से लेकर चिंतामण गणेश मंदिर।
– जयसिंहपुरा से चारधाम मंदिर तक का मार्ग।
– इसके सहित अन्य कुछ सड़के हैं जिनके मेंटेनेंस को लेकर उलझन हंै।
इनका कहना
सड़क हस्तांतरित करने की विधिवत प्रक्रिया है। कोई पत्र जारी करने से यह नहीं हो जाता। उच्च अधिकारियों को भी इस मामले में जानकारी दी है। विधिवत हस्तांतरण नहीं लेने तक उक्त सड़कों का मेंटेनेंस हम नहीं कर सकते। क्योंकि हमारे पास वैसे ही पूरे शहर के मार्ग हैं। उनका २० सितंबर से रखखाव कराना है।