शनि अमावस्या के दिन विदा हो रहे हैं पितर

उज्जैन। भाद्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ऋषि तर्पण से आरंभ होकर आश्विन कृष्ण अमावस्या तक पितृ पक्ष होता है। इस दौरान पितरों की पूजा की जाती है और उनके नाम से तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान और ब्राह्मण भोजन करवाया जाता है।
इस बार शनिवार के दिन पितृ पक्ष समाप्त हो रहा है। शनि और सर्वपितृ अमावस्या के संयोग से 28 सितंबर को शनि अमावस्या है। इस बार पितर शनि अमावस्या के दिन विदा हो रहे हैं। इससे पहले 1999 में इस तरह का संयोग बना था। इस संयोग में पितरों की विदाई उनके वंशजों के लिए सौभाग्यशाली मानी जाती है।

 

दोपहर को करें श्राद्ध
श्राद्ध का नियम है कि दोपहर के समय पितरों के नाम से श्राद्ध और ब्राह्मण भोजन करवाया जाता है। शास्त्रों में सुबह और शाम का समय देव कार्य के लिए बताया गया है। लेकिन दोपहर का समय पितरों के लिए माना गया है। इसलिए कहते हैं कि दोपहर में भगवान की पूजा नहीं करनी चाहिए। दिन का मध्य पितरों का समय होता है।

 

यम की दिशा है दक्षिण…
दक्षिण दिशा में चंद्रमा के ऊपर की कक्षा में पितृलोक की स्थिति है। इस दिशा को यम की भी दिशा माना गया है। इसलिए दक्षिण दिशा में पितरों का अनुष्ठान किया जाता है। रामायण में उल्लेख है कि जब दशरथ की मृत्यु हुई थी, तो भगवान राम ने स्वप्न में उन्हें दक्षिण दिशा की तरफ जाते हुए देखा था।

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