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गढ़कालिका के आंगन में मन की बात
उज्जैन:नवरात्रि के अवसर पर गढ़कालिका के मंदिर में सुबह से लेकर रात तक भक्तों की भीड़ लग रही है लेकिन मंदिर की दीवारों पर भक्तजन न केवल अपनी मन की मुराद पूरी करने के लिए देवी की मूर्ति के समक्ष प्रार्थना करते है बल्कि दीवारों पर भी मन की बात लिखकर चले जाते है…यह बात इस आशा और विश्वास के साथ लिखते है कि दीवार पर लिखी मन की बात को माता गढ़कालिका पढ़ेगी और उनकी कामना जल्द से जल्द पूरी हो जाएगी।
हमारे मालवा में एक कहावत प्रचलित है…सौ बका और एक लिखा। अर्थात भले ही सौ बार किसी के सामने कुछ बोल दिया जाए परंतु यदि एक बार लिखकर दे दिया तो वह लिखित दस्तावेज हो जाता है…। संभवत: कुछ इसी तरह की भावना दीवारों पर लिखने वाले श्रद्धालुओं में हो।
आईए देखते है कुछ बानगी–हे माता कालका…मेरी सूनी गोद भर देना….मैं आपकी कृपा से मां बन जाऊंगी….। -हे मां पारस के लिए लड़की दिखा देना….मेरा भाई अमेरिका में है माताजी….कंपनी उसे वीजा दे दें….।़ ऐसी कई प्रार्थना मंदिर की दीवारों पर लिखी हुई दिखाई दे सकती है। यह तो लिखी हुई प्रार्थनाओं के कुछ प्रत्यक्ष उदाहरण है।
भक्तों की यदि माने तो दीवारों पर लिखी गई प्रार्थना सीधे माता के कानों तक पहुंचती है और जल्द से जल्द प्रार्थना पूरी हो जाएगी। हालांकि यह बात अलग है कि मंदिर की दीवारों पर प्रार्थनाओं का चित्रण के कारण दीवार गंदी हो जाती है और मंदिर प्रबंध समिति की तरफ से दीवार पर कुछ न लिखे संबंधी सूचना लगाई गई है।