- महाकाल मंदिर के विस्तार के लिए बड़ा कदम, हटाए गए 257 मकान; महाकाल लोक के लिए सवा दो हेक्टेयर जमीन का होगा अधिग्रहण
- भस्म आरती: मस्तक पर भांग, चन्दन, रजत चंद्र और आभूषणों से किया गया बाबा महाकाल का राजा स्वरूप में दिव्य श्रृंगार!
- महाकालेश्वर मंदिर में अब भक्तों को मिलेंगे HD दर्शन, SBI ने दान में दी 2 LED स्क्रीन
- उज्जैन में कला और संस्कृति को मिलेगा नया मंच, 1989.51 लाख रुपये में बनेगा प्रदेश का पहला 1000 सीट वाला ऑडिटोरियम!
- भस्म आरती: रजत के आभूषणों से किया गया बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार!
देश में सिर्फ यहां है दक्षिणमुखी शिवलिंग, दर्शन करने भर से मृत्यु के बाद यमराज भी नहीं पहुंचाते कष्ट
उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर सबसे खास बात ये है कि, ये भारत के सभी प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंगों में से एकमात्र दक्षिणमुखी शिवलिंग है, यानी इनका मुख दक्षिण की ओर स्थापित है।
उज्जैन/ देशभर में आज महाशिवरात्रि की धूम है। सभी शिवालयों में भक्तों द्वारा बम भोले की ध्वनि गुंजायमान है। गुरुवार रात से देश के सभी ज्योतिर्लिंगों में भक्तों का तांता लगा लग चुका है। उज्जैन महाकाल में रात 10 बजे से ही भारी तादाद में भक्तों की भीड़ बाबा के दर्शन करने के लिए पहुंचने लगी, जो सुबह होते होते एक हुजूम में बदल गई। देश-विदेश से आने वाले भक्त अपने आराध्य की एक झलक पाने को आतुर नजर आए। बता दें कि, बाबा महाकाल देशभर में एकमात्र ऐसा शिवलिंग हैं, जो दक्षिणमुखी विराजमान है। साथ ही, यहीं पर सिर्फ भस्मारती से पहले बाबा को हरिओम जल चढ़ाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी भक्त महाकाल के दर्शन कर लेता है उसे मृत्यु के समय यमराज द्वारा दी जाने वाली यातनाओं से भी मुक्ति मिल जाती है।
महाकाल की सबसे खास बात
कई लोग नहीं जानते होंगे कि, उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर सबसे खास बात ये है कि, ये भारत के सभी प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंगों में से एकमात्र दक्षिणमुखी शिवलिंग है, यानी इनका मुख दक्षिण की ओर स्थापित है। अगर हम धर्म शास्त्र के अनुसार समझें तो, दक्षिण दिशा के स्वामी खुद भगवान यमराज हैं। इसीलिए ऐसी धार्मिक मान्यता है कि, जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान महाकालेश्वर के दर्शन और उनका पूजन कर लेता है, उसे मृत्यु उपरांत यमराज द्वारा दी जाने वाली यातनाओं यानी किसी भी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।
पृथ्वी के केंद्र में बैठे महाकाल हर मन्नत करते हैं पूरी
धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव एकमात्र ऐसे देवता हैं जो थोड़े जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों की हर इच्छा पूरी कर देते हैं। उसी प्रकार जो भी भक्त महाकालेश्वर के दर्शन कर अपनी मनोकामना करता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। ऐसी जनश्रुति है कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही धन, धान्य, निरोगी शरीर, लंबी आयु, संतान आदि सब कुछ अपने आप ही प्राप्त हो जाता है। कुछ विद्वानों का यह भी मत है कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग ही संपूर्ण पृथ्वी का केंद्र बिंदु है और संपूर्ण पृथ्वी के राजा भगवान महाकाल यहीं से पृथ्वी का भरण-पोषण करते हैं।
अकाल मृत्यु से बचाते हैं महाकाल
धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान महाकालेश्वर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से अकाल मृत्यु से मुक्ति व मोक्ष प्राप्त होता है। काल का अर्थ है मृत्यु और महाकाल यानी मृत्यु के स्वामी। इस हिसाब से आप खुद सोचिये कि, अगर जो व्यक्ति मृत्यु के स्वामी का भक्त होगा उसे अकाल मृत्यु से भय कैसे हो सकता है। इसीलिए भगवान महाकालेश्वर के संबंध में यह भी प्रचलित है –
अकाल मृत्यु वो मरे जो काम करे चांडाल का
काल उसका क्या करे जो भक्त हो महाकाल का
यह है हरिओम जल
तड़के पट खुलने के बाद सबसे पहले गर्भगृह की सफाई की जाती है। इसके बाद भगवान महाकाल को स्नान करवाया जाता है। स्नान के पश्चात भगवान का पंचामृत अभिषेक किया जाता है। अभिषेक के बाद ही श्रद्धालुओं को गर्भगृह में प्रवेश दिया जाता है। इस दौरान कोटितीर्थ कुंड से लाया गया जल पुजारी और श्रद्धालु शिवलिंग पर अर्पित करते हैं, उसे हरिओम जल कहा जाता है। इसके बाद बाबा महाकाल की भस्मारती होती है।
भस्मारती का विशेष महत्व
संपूर्ण विश्व में महाकालेश्वर ही एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है, जहां भगवान शिव की भस्मारती की जाती है। भस्मारती को देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं। वर्तमान में गाय के गोबर से बने उपलों (कंडों) की भस्म से महाकाल की भस्मारती की जाती है। यह आरती सूर्योदय से पूर्व सुबह 4 बजे की जाती है। जिसमें भगवान को स्नान के बाद भस्म चढ़ाई जाती है।
शिव इसलिए हैं महाकाल
धार्मिक मान्यताओ की मानें तो, मौजूदा समय में जिस स्थान पर महाकाल मंदिर स्थापित है, प्राचीन समय के दौरान वहां वन हुआ करता था, जिसके अधिपति खुद महाकाल थे। इसलिए इसे महाकाल वन भी कहा जाता था। स्कंद पुराण के अवंती खंड, शिव महापुराण, मत्स्य पुराण आदि में महाकाल वन का वर्णन मिलता है। शिव महापुराण की उत्तराद्र्ध के 22वें अध्याय के अनुसार दूषण नामक एक दैत्य से भक्तों की रक्षा करने के लिए भगवान शिव ज्योति के रूप में यहां प्रकट हुए, यहां उन्होंने दूषण का नाश किया, इसके बाद वे महाकाल के नाम से पूज्य हुए। तत्कालीन राजा राजा चंद्रसेन के युग में यहां एक मंदिर भी बनाया गया, जो महाकाल का पहला मंदिर था। महाकाल का वास होने से पुरातन साहित्य में उज्जैन को महाकालपुरम भी कहा गया है।