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कोरोना संक्रमण से मौत पर अंतिम संस्कार के लिये चक्रतीर्थ पर विद्युत मशीन आरक्षित
रास्ता भी अलग, सामान्य मृत्यु पर शवदाह के लिये करना पड़ रहा 2 घंटे इंतजार
उज्जैन:शहर में कोरोना की चपेट में आने से अब तक 15 व्यक्तियों की मौत हो चुकी है जिनमें से कुछ लोगों का चक्रतीर्थ पर अंतिम संस्कार हुआ। कोरोना पॉजिटिव मरीजों के अंतिम संस्कार के लिये प्रशासन द्वारा चक्रतीर्थ स्थित विद्युत शवदाह गृह की एक मशीन को अलग से आरक्षित रखा गया है, जबकि सामान्य मृत्यु पर लोगों का अंतिम संस्कार दूसरी मशीन पर हो रहा है। खास बात यह कि कोरोना से मृत व्यक्ति के शव को मशीन तक ले जाने के लिये रास्ता भी अलग कर दिया गया है।
लॉकडाउन और कफ्र्यू लागू होते ही जन्म से लेकर मृत्यु तक की प्रशासन द्वारा अनेक व्यवस्थाओं में बदलाव कर दिया गया। इसी के चलते चक्रतीर्थ पर मृतकों के अंतिम संस्कार विधि भी अछूती नहीं रही। लॉकडाउन लागू होते ही प्रशासन द्वारा जहां मृतकों के अंतिम संस्कार में सम्मिलित होने वाले व्यक्तियों की संख्या निर्धारित कर दी गई और उसके बाद यह भी आदेश निकाला गया कि मृतक के परिजनों को मृत्यु संबंधी सूचना थाने पर देना होगी। दूसरी ओर शहर में कोरोना तेजी से फैलने और संक्रमितों की मृत्यु के बाद प्रशासन को चक्रतीर्थ पर शवों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था में भी बदलाव करना पड़ा।
चक्रतीर्थ के विद्युत शवदाह गृह में कुल दो इलेक्ट्रानिक मशीनें हैं जिनमें से मशीन क्रमांक 1 में सामान्य मृत्यु पर व्यक्तियों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है, जबकि मशीन क्रमांक 2 को सिर्फ कोरोना संक्रमण से मृत व्यक्तियों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। यहां के कर्मचारियों ने बताया कि यदि किसी कोरोना से मृत व्यक्ति की बॉडी चक्रतीर्थ लाई जाती है तो उसे शोक सभागृह के पीछे से इंट्री दी जाती है, जबकि सामान्य मृत्यु के शवों को सामने से शवदाह गृह तक लाया जाता है। इन दोनों मार्गों के बीच कनात लगाकर पार्टिशन भी किया गया है ताकि शव यात्रा में शामिल लोग इधर से उधर न जा पायें।
इसलिये करना पड़ रहा इंतजार
सामान्य मृत्यु पर व्यक्ति के शव को चक्रतीर्थ लाया जाता है तो सबसे पहले परिजनों को विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार की ही सलाह दी जाती है, क्योंकि शव के साथ सीमित संख्या में परिजन होते हैं और लकड़ी कंडे जमाने और अंतिम संस्कार विधि में परेशानी आ सकती है। शव के साथ चक्रतीर्थ में मौजूद परिजन इसके लिये तैयार तो हो जाते हैं, लेकिन यदि पूर्व से किसी शव का अंतिम संस्कार मशीन में हो रहा हो तो उन्हें 2 से 3 घंटे इंतजार करना होता है, क्योंकि विद्युत शवदाह गृह में एक शव को जलने में इतना समय लग रहा है।
जिन लोगों का चक्रतीर्थ में अंतिम संस्कार होता है उसके तीन दिन बाद हिंदू रीति रिवाज के अनुसार अस्थी संचय परिजनों द्वारा चक्रतीर्थ पहुंचकर किया जाता है। शहर में लॉकडाउन और कफ्र्यू लागू होने के कारण दूर कॉलोनियों में रहने वाले परिवार के 2-4 लोग चक्रतीर्थ के लिये रवाना होते हैं तो जगह-जगह पुलिसकर्मी रोक टोक कर वापस घर लौटा देते हैं।
ऋषिनगर में रहने वाले संतोष पंवार ने बताया उनकी माता की मृत्यु के बाद चक्रतीर्थ पर अंतिम संस्कार किया और तीन दिन बाद अस्थी संचय करने जा रहे थे कि रास्ते में पुलिसकर्मियों ने रोक लिया जब उन्हें चक्रतीर्थ जाने का कारण बताया तो पुलिस कर्मियों का कहना था कि रोज ही किसी न किसी की मां मरती हैं, वापस घर लौट जाओ।
12 दिनों में रिकॉर्ड 150 शव
चक्रतीर्थ के विद्युत शवदाह गृह के कर्मचारियों ने बताया कि 15 अप्रैल से लेकर आज दिनांक तक 12 दिनों में कुल 150 शवों का मशीन में अंतिम संस्कार हो चुका है इनमें कुछ शव कोरोना मरीजों के थे जिनको मशीन क्रमांक 2 में अंतिम संस्कार किया गया।
कर्मचारियों के अनुसार सामान्य दिनों में अधिकांश लोग चक्रतीर्थ के चबूतरों पर लकड़ी कंडों का उपयोग कर हिंदू रीति रिवाज से शवों का अंतिम संस्कार करते हैं और वर्तमान में लगभग सभी शवों का मशीन में अंतिम संस्कार किया जा रहा है।