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उज्जैन:फिर उफनी शिप्रा,गंभीर डेम के दो गेट खोले, तेजी से बढ़ रहा पानी
उज्जैन। इस वर्ष का मानसून सीजन समाप्त होने जा रहा है, लेकिन जाता हुआ मानसून भी इन दिनों मेहरबान नजर आ रहा है। बीते 12 घंटों में 67 मिमी बारिश दर्ज हुई, जबकि बारिश का सिलसिला इंदौर, देवास व आसपास के जिलों में भी जारी है। गंभीर बांध के दो गेटों को 3 मीटर तक खोला गया है तो शिप्रा नदी बड़े पुल से 4 फीट नीचे बह रही है। देर रात तेज बारिश के बाद अनेक निचली बस्तियों में जल भराव की स्थिति बनी और लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। तेज बारिश के साथ चली हवाओं से पेड़ भी गिरे और कालोनियों की बिजली भी गुल हो गई।
पिछले एक सप्ताह से हल्की बारिश के बावजूद वातावरण में गर्मी और उमस बरकरार है, मंगलवार शाम से शुरू हुआ बारिश का दौर बुधवार सुबह तक जारी रहा। देर रात तेज बारिश के कारण शहर की निचली बस्तियों में जल भराव की स्थिति बनी। जिला चिकित्सालय के डॉक्टरों के निवास में पानी भर गया। डॉ. अजय दिवाकर सख्याराजे प्रसूतिगृह में परिवार के साथ निवास करते हैं। उनके पुत्र ने घर में बारिश का पानी भरने के बाद वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल भी किया और घर में हुए नुकसान की स्थिति बताई।
शिप्रा में बाढ़
उज्जैन जिले के साथ इंदौर व देवास जिलों में भी तेज बारिश के कारण शिप्रा नदी में भी बाढ़ की स्थिति निर्मित हो गई। नृसिंह घाट, दत्तअखाड़ा, रामघाट के सभी मंदिर डूब चुके थे और मंदिरों के सिर्फ शिखर ही नजर आ रहे हैं। बाढ़ का पानी शिप्रा नदी के बड़े पुल से 4 फीट नीचे बह रहा है। घाटों पर पूजन कार्य कराने वाले पंडे पुजारियों ने नदी में पानी का लेवल बढ़ते ही अपना सामान घाटों से हटा लिया और यहां लगने वाली दुकानें भी होमगार्ड जवानों ने हटवा दीं।
यशवंत सागर के दो गेट पांच फीट तक खुले
इंदौर जिले में तेज बारिश के बाद यशवंत सागर के पानी का लेवल तेजी से बढ़ा और रात में यशवंत सागर के दो गेट 5 फीट तक खोले गये। इसका परिणाम यह रहा कि गंभीर बांध का गेट नंबर 2 को रात में 2 मीटर तक खोलना पड़ा और सुबह गेट नंबर 3 को 1 मीटर तक खोलकर पानी आगे छोड़ा गया। वर्तमान में गंभीर बांध के कुल दो गेट 3 मीटर तक खुले हैं। यहां के कर्मचारियों ने बताया कि यशवंत सागर में खोले गये गेटों की वजह से पानी की आवक बढ़ती जा रही है। बांध की क्षमता के मुताबिक पानी को मेंटेन किया जा रहा है और यदि पानी की आवक में तेजी आती है तो गेट को अधिक ऊंचाई तक भी खोलना पड़ सकता है।
पेड़ गिरे बिजली गुल: रात में तेज बारिश के साथ चली हवाओं के कारण अनेक मुख्य मार्गों पर पेड़ गिर गये। हालांकि पेड़ गिरने से कोई दुर्घटना नहीं हुई। वहीं शहर की आधा दर्जन कालोनियों में बिजली गुल होने के बाद लोगों को 3 से 4 घंटों तक परेशानी का सामना करना पड़ा।