बेटे ने आत्महत्या की, गम में गर्भवती बहू ने छलांग लगा दी

जिदंगी है तो सुख-दु:ख दोनों हैं। परेशानी आए तो उसका सामना कीजिए, लड़िए पर डरिए मत क्योकि आत्महत्या किसी समस्या का हल नहीं है। कोई भी भयावह कदम उठाने से पहले एक बार यह जरूर सोच लें कि उनके बाद परिवार का क्या होगा। कर्ज, सूदखोरी और आर्थिक समस्या के बाद अंध विश्वास के चलते भी एक ही परिवार के दो भाईयों की तीन दिन के भीतर आत्महत्या करने की घटना सकते में लाने वाली है। भास्कर ने पीड़ित परिवार के पास ही पहुंचकर उनके परिजनों से इस संदर्भ में बात की। उन्हीं के माध्यम से पूरे समाज को यहीं अपील, आत्महत्या किसी भी समस्या का हल नहीं है।

 

बेटे के सिर से उठ गया पिता का साया

फोटोग्राफर नीलेश शेल्के ने सूदखोरों ने परेशान होकर आत्महत्या कर ली। हादसे के बाद शेल्के की पत्नी नेहा इकलौते बेटे श्रेयांश के साथ ढाबारोड स्थित मायके में रह रही है। बेटे के सवालों का जवाब मां के पास नहीं है। वह मुझे बस देखता रहता है। मैंने पति और एक बेटे ने पिता खोया है, हमसे ज्यादा इसकी कमी कौन समझ सकता है। मैं सभी से यहीं कहना चाहती हूं कि कोई भी गलत कदम उठाने से पहले परिवार के बारे में सोचें।

 

बेटा चला गया, तस्वीर देखकर रोते हैं

ठेकेदार शुभम खंडेलवाल की मां ने कहा 70 साल की उम्र में इकलौते बेटे की तस्वीर पर हार चढ़ाना कलेजे पर पत्थर रखने जैसा ही है। बेटे के सिवाय कौन था, उसकी नई शादी हुई थी। कितने अरमान थे, सब खत्म हो गए। पत्नी भी अस्पताल में है। सभी से अपील है कि ऐसा करने से पहले परिवार के बारे में जरूर सोचें कि उनका क्या होगा। शुभम के पिता ने कहा कि बेटे ने आत्महत्या नहीं कि उसे मरने पर मजबूर किया।

 

जाने वाला तो चला जाता है, उसके जाने का दर्द तो परिवार ही सहता है

मेरा बेटा गोविंद लोगाें के सुख-दु:ख में आगे रहता था, उनकी मदद करता। परिवार में कभी कोई समस्या नहीं, सभी मिल-जुलकर रहते हैं। बेटे ने जो कदम उठाया उससे दु:खी हूं। सोच नहीं सकता था कि वह ऐसा करेगा। हर दिन खुशमिजाज रहता था। यहीं कहना चाहता हूं कि छोटी-छोटी बातों से हारे नहीं क्योंकि जाने वाला तो चला जाता है, दर्द तो परिवार ही आपस में बांटता है। इसलिए हिम्मत से काम लें और आपस में परेशानी को बताएं।

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