1 माह में 1.82 करोड़ की सेवा; कोविड केयर सेंटर, दवाएं, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, सिलेंडर, फ्लो मीटर, एंबुलेंस, शव वाहन उपलब्ध कराएं

शहर में कोरोना संक्रमण आततायी अंदाज में फैला हुआ है। संक्रमण का दंश झेल रहे मरीजों की संख्या इतनी है कि अस्पताल और इलाज की व्यवस्थाएं कम पड़ रही हैं। ऐसे में सरकार और प्रशासन की मदद के लिए शहर के भामा शाहों ने भी अपने खजाने खोल दिए हैं। एक अनुमान के अनुसार एक महीने में 1.82 करोड़ रुपए से ज्यादा राशि संसाधन और सुविधाओं पर जनभागीदारी से खर्च हुई है और यह सिलसिला जारी है।

उद्योगपति, व्यापारी, समाजसेवी और सामान्य नागरिक भी इस भीषण वक्त में एक दूसरे की मदद के लिए आगे आए हैं। छोटी से लेकर बड़ी मदद करने में कोई अपने आपको पीछे नहीं रखना चाहता। शहर की यही एकजुटता हमें हिम्मत और हौसला दे रही है कि कोरोना का संक्रमण कितना भी भीषण हो हम इसी तरह एक-दूसरे का हाथ पकड़कर मुश्किल दौर पर फतह हासिल करके रहेंगे।

कोरोना के दूसरे दौर में सबसे ज्यादा जरूरत संसाधनों की महसूस हुई है। जिस समय अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी के कारण मरीज दम तोड़ रहे थे, तब शहर के एक उद्योगपति ने संजय जैन मोटर्स के माध्यम से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीनें उपलब्ध कराने का सिलसिला शुरू किया तो जिंदगी बचाने का नया रास्ता मिल गया। एक के बाद एक दानदाता आए और अब लगभग 200 कंसंट्रेटर मशीनें मरीजों की सेहत सुधारने में लगी हैं। दानदाताओं में रोटरी, लायंस जैसी संस्थाएं भी शामिल हैं। हाल ही में राज्य शासन ने भी 100 मशीनें उपलब्ध कराई है। सांसद के माध्यम से उद्योगों ने भी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीनें उपलब्ध कराई हैं।

संस्थाओं ने मिलकर चंद दिनों में बना दिए क्वारेंटाइन और केयर सेंटर

प्रशांति गार्डन में प्रशांति एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसायटी ने 100 बेड का केयर सेंटर 3 दिन में तैयार कर दिया। सांसद अनिल फिरोजिया के मार्गदर्शन में सोसायटी ने यह जिम्मेदारी ली। सेंटर पर एक महीने में 20 लाख रुपए खर्च होने का अनुमान है। यहां भोजन की व्यवस्था ही 200 रुपए प्रति प्लेट की दर पर निजी केटरर से की है। रोटरी क्लब ने 2 कंसंट्रेटर मशीनें उपलब्ध कराई। यहां 52 मरीज स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं।

जरूरतमंदों को भोजन की सेवा

लॉकडाउन शुरू हो जाने से अस्पतालों में मरीजों के परिजन और अन्य जरूरतमंद लोगों को भोजन सेवा की जरूरत महसूस हुई। ऐसे सबसे पहले चामुंडा माता भक्त मंडल ने अपना भंडारा खोल दिया। फिर माधव सेवा न्यास, सिख और जैन समाज ने भी यह व्यवस्था संभाल ली। शहर की अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं ने भोजन पैकेट वितरण किए। सड़कों पर तैनात पुलिस और नगर निगम के कर्मचारियों के लिए सैनिटाइजर और मास्क भी उपलब्ध कराए।

10 लाख से बनाया क्वारेंटाइन सेंटर

सेवा भारती के नेतृत्व में दानदाताओं की मदद से पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में 200 बेड का क्वारेंटाइन सेंटर 7 दिन में तैयार हो गया। समाजजन ने 10 लाख रुपए खर्च कर सेंटर तैयार कर दिया। यहां भोजन सेवा के लिए महाकाल मंदिर प्रबंध समिति ने भोजन की व्यवस्था संभाल ली। करणी सेना मूल ने एक लाख रुपए पुलिसकर्मियों की स्वास्थ्य रक्षा के लिए दिए। माधव सेवा न्यास और पुष्पम सामाजिक सेवा समिति ने नि:शुल्क शव वाहन उपलब्ध कराए हैं।

अस्पतालों में जरूरत पड़ी तो सांसों के लिए सिलेंडर भी आए

जब निजी अस्पतालों ने ऑक्सीजन की व्यवस्था की जिम्मेदारी मरीजों के परिजन पर डाल दी तो सिलेंडरों का टोटा पड़ गया। ऐसे हालातों में दानदाताओं ने सिलेंडर दान करना शुरू किए। अब शहर में लगभग 300 से ज्यादा सिलेंडर मरीजों को निजी तौर पर उपलब्ध हैं। कई दानदाता सिलेंडर में ऑक्सीजन भरवाने की मदद भी दे रहे हैं। इस बीच कई लोगों ने मरीजों को दवाएं उपलब्ध कराने में भी मदद की।

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