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जुलाई में 8.8 इंच, रिमझिम बरसात, झमाझम का इंतजार
आने वाले दिनों में अच्छी बारिश की उम्मीद, तापमान में गिरावट से ठंडक का अहसास
उज्जैन।वर्षाकाल के दो महीने पूरे हो गए हैं। इस अवधि में बरसात तो हुई है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। जून में 2.8 इंच, जबकि जुलाई में 8.8 इंच बारिश हुई है। मानसून की इस बेरूखी से गंभीर डेम के साथ ही अन्य जलाशय खाली हैं। शहर के साथ जिले में रिमझिम बरसात का दौर तो जारी है। इंतजार झमाझम-मूसलधार बरसात का हैं। इधर नगर निगम ने शहर में एक दिन एक दिन छोड़कर जल प्रदाय करने का निर्णय लिया है।
मौसम विभाग 1 जून से 30 सितंबर तक वर्षाकाल मानता है। जून, जुलाई में बादलों की आवाजाही लगातार जारी रही। हल्की से मध्यम बारिश भी हुई लेकिन इस बार मूसलधार बारिश की कमी रही। जून में 2.8 इंच बारिश हुई जबकि जुलाई में 8.8 इंच बारिश हुई है। इसके बावजूद यह जुलाई में होने वाली औसत बारिश से 4.39 इंच कम है।
अब अगस्त और सितंबर से उम्मीद है। मौसम विभाग का कहना है कि अगस्त के पहले सप्ताह में बादलों की आवाजाही रहेगी। 10 अगस्त के बाद मध्यम से तेज बारिश की उम्मीद है। शहर में मानसून ने 18 जून को दस्तक दी थी, लेकिन एक बार भी मूसलधार बारिश नहीं हुई। मौसम विभाग के अनुसार अरब सागर व बंगाल की खाड़ी में सिस्टम बनने से पश्चिमी मप्र में बारिश होती है। इस बार बंगाल की खाड़ी में जो शुरुआती सिस्टम बना था, धीरे-धीरे कमजोर पड़ गया। अब अरब सागर से ही उम्मीद है।
जल प्रदाय एक दिन छोड़कर
अभी पर्याप्त बरसात नहीं हुई है,लेकिन नगर निगम ने दो दिन की बजाय एक दिन छोड़कर पानी देने का निर्णय कर लिया हैं। शहर में अब सोमवार से फिर एक दिन छोड़ कर जलप्रदाय किया जाएगा। नगर निगम आयुक्त ने 21 दिन बाद व्यवस्था में फिर बदलाव किया है। 10 जुलाई को गंभीर डेम में पानी कम हो जाने पर शहर में दो दिन छोड़कर जलप्रदाय करने का आदेश दिया गया था। इसके पहले 9 अप्रैल से शहर में एक दिन छोड़कर जलप्रदाय किया जा रहा था।
निगमायुक्त क्षितिज सिंघल ने बारिश के कारण शिप्रा में पर्याप्त पानी आने और गंभीर डेम में भी पानी की आवक होने से सोमवार से एक दिन छोड़कर जलप्रदाय करने के निर्देश पीएचई को दिए हैं। अगला जलप्रदाय सोमवार को होगा, इसके बाद बुधवार को पानी दिया जाएगा। निगमायुक्त ने पीएचई और जलप्रदाय व्यवस्था में लगे अधिकारियों की बैठक में नदियों और तालाबों में बारिश का पानी आने की समीक्षा करने के बाद यह आदेश दिया है। बताया जाता है कि बैठक के दौरान पीएचई अधिकारियों का कहना था कि गंभीर में अभी पर्याप्त पानी नहीं आया है। इसी तरह शिप्रा से पानी लेने में भी कुछ दिक्कतें हैं। अधिकारियों ने बिजली व्यवस्था में गड़बड़ी के तर्क दिया। दोनों तर्कों को निगमायुक्त सिंघल ने नकार दिया।