- महाकाल मंदिर के विस्तार के लिए बड़ा कदम, हटाए गए 257 मकान; महाकाल लोक के लिए सवा दो हेक्टेयर जमीन का होगा अधिग्रहण
- भस्म आरती: मस्तक पर भांग, चन्दन, रजत चंद्र और आभूषणों से किया गया बाबा महाकाल का राजा स्वरूप में दिव्य श्रृंगार!
- महाकालेश्वर मंदिर में अब भक्तों को मिलेंगे HD दर्शन, SBI ने दान में दी 2 LED स्क्रीन
- उज्जैन में कला और संस्कृति को मिलेगा नया मंच, 1989.51 लाख रुपये में बनेगा प्रदेश का पहला 1000 सीट वाला ऑडिटोरियम!
- भस्म आरती: रजत के आभूषणों से किया गया बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार!
औंधे मुंह गिरा आलू, भेड़ों को खिला रहे गडरिए
उज्जैन: आलू के दाम अर्श से फर्श पर क्या आए यह भेड़ों का भोजन बन गए। घास की कमी और सस्ते होने के कारण गडरिए बड़ी मात्रा में आलू खरीदकर इन्हें भेड़ों को खिला रहे हैं। इससे उन्हें घास के लिए भटकना नहीं पड़ रहा और घास से कम कीमत खर्च करना पड़ रही है। २० से ३० रुपए कट्टी में उन्हें आलू मिल रहा है।
राजस्थान से बड़ी संख्या में गडरिए भेड़-बकरियों को लेकर प्रतिवर्ष मालवा क्षेत्र में आते हैं। इस बार भी गड़रिए देवास रोड पर खुले आसमान के नीचे ठहरे हुए हैं। राजस्थान में पानी और घास की कमी के चलते ये ऊंट और भेड़-बकरियां को लेकर आए हैं। घास की कमी यहां भी बनी है, ऐसे में इन्होंने नया रास्ता खोज निकाला है। आलू की कीमत ५० पैसे किलो होने से गडरियों ने मंडी से २००० कट्टी (प्रति कट्टी में ५० किलो) आलू खरीद लिया है और इन्हें ही भेड़ों को खिला रहे हैं। पाली (राजस्थान) के रहने वाले गडरिए नारायण देवासी, मांगू देवासी एवं छोगालाल देवासी ने बताया हर साल दो महीने के लिए यहां आते हैं। इस मौसम में राजस्थान में घास नहीं मिलती। मालवा में आसानी से पानी व घास मिल जाती है लेकिन इस बार यहां भी घास की कमी है। आलू काफी सस्ता है और भेड़ें भी काफी चाव से खाती हैं इसलिए २००० कट्टी आलू खरीदा है। यह आलू १० से १५ दिन तक चलेगा। एक भेड़ को तीन आलू से ज्यादा नहीं खिलाते वरना उनकी जान भी जा सकती है।