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धार्मिक नगरी की छवि हो रही धूमिल : श्रद्धालु भी परेशान
पहले बोलते हैं मीठे-मीठे संवाद…दान या रुपए मिले तो ठीक वरना कड़वे वचन…
महाकाल दर्शन के बाद भिक्षुओं की टोली से सामना…
अलग-अलग शहरों के भिक्षुओं ने डाला डेरा…
उज्जैन।तेरे बच्चे जियें…तेरा व्यापार फले फूले…महाकाल का आशीर्वाद बना रहे… यदि व्यक्ति रुपये दे तो ठीक….नहीं दे तो तुरंत वचन और संवाद .तेरा नुकसान होगा…भगवान माफ नहीं करेंगे…गरीब की मदद नहीं करने पर तेरा भी भला नहीं होगा। कड़वे शब्दों और बददुआ में बदल जाते है….। यह स्थिति प्रसिद्ध ज्योर्तिलिंग महाकाल के बाहर की हैं।
सामान्य दिनों में भगवान महाकालेश्वर के दर्शनों के लिये सैकड़ों लोग मंदिर पहुंचते हैं वहीं पर्वो और त्यौहारों के अवसर पर यह संख्या लाखों में पहुंच जाती है। वर्तमान में भिक्षावृत्ति करने वालों के लिये उज्जैन शहर उनकी लिस्ट में टॉप पर है। यही कारण है कि मंदिर के आसपास अलग-अलग शहरों के भिक्षुओं ने डेरा डाल दिया है।
समस्या यह कि देश भर से आने वाले श्रद्धालु इन भिक्षुओं से परेशान हो रहे हैं। मंदिर के निर्गम द्वार के ठीक बाहर छोटे बच्चे को गोद में लिये महिला लोगों को जबरन रोककर रुपयों की मांग करते हैं।
श्रद्धालु एक से बचकर आगे बढ़ता है तो उसे दूसरा कोई रोक लेता हैं।यह सिलसिला मंदिर क्षेत्र से 100 मीटर दूरी तक लगातार चलता रहता है। श्रद्धालु इन भिक्षुओं की टोली से अपना पीछा छुड़ाने के लिये कुछ रुपये मजबूरी में देता नजर आते हैं।
सरगना एक, ठेके अनेक
हरिद्वार से भिक्षावृत्ति करने उज्जैन आई एक महिला ने बताया कि वहां कुंभ समाप्त होने के बाद उज्जैन आ गये। यहां महाकाल मंदिर के आसपास अच्छी कमाई होती है, लेकिन यह क्षेत्र पहले से दूसरे भिक्षुओं के कब्जे में था उनसे सेटिंग कर 200 रुपये कमीशन देकर भिक्षावृत्ति शुरू की है। कुल मिलाकर अकेले महाकाल मंदिर नहीं बल्कि मंगलनाथ, कालभैरव, चिंतामण, सिद्धनाथ और रामघाट क्षेत्र भिक्षुओं के टारगेट पर हैं। इन सभी स्थानों पर भिक्षावृत्ति करवाने वाले अलग है जो अपने-अपने क्षेत्र बांटकर भिक्षावृत्ति करने वालों को ठेके पर काम सौंपते हैं।
पहले सिक्योरिटी एजेंसी के कर्मचारी भगाते थे भिक्षुओं को
महाकालेश्वर मंदिर से दर्शन कर बाहर निकलने वाले लोगों को जबरन रोककर उनसे रुपयों की मांग करने वाले, मंदिर के बाहर बैठकर भिक्षावृत्ति करने वाले और छोटे छोटे बच्चों को गोद में लेकर मंदिरों के आसपास भिक्षावृत्ति करने वालों को मंदिर सुरक्षा की सिक्योरिटी एजेंसी द्वारा पांच-पांच गार्डों की टीम तैयार की गई थी जो मंदिर के आसपास लगातार भ्रमण कर भिक्षुओं को हटाती थी, लेकिन वर्तमान में यह टीम नदारद है।
यही कारण है कि महाकाल मंदिर से लेकर हरसिद्धि, राम मंदिर, रामघाट तक भिक्षुओं का जमावड़ा है जो यहां आने वाले लोगों को घेर कर रूपयों की मांग कर रहे हैं। लोगों ने बताया कि रुपए नहीं देने पर भिक्षुओं द्वारा बदसलुकी की जा रही है।
हाथ साफ करने से परहेज नहीं, पुलिस अनजान
भिक्षुओं की टोली में अनेक बच्चे और महिलाएं आपराधिक प्रवृत्ति के भी हैं जो मंदिर दर्शनों के लिये आने वाले लोगों की जेब काटने, मोबाइल चुराने और महिलाओं के पर्स चोरी करने में माहिर हैं। खास बात यह कि महाकाल मंदिर से थाना मात्र 100 मीटर की दूरी पर है, मंदिर के आसपास 24 घंटे पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं बावजूद इसके पुलिस को न तो अलग-अलग शहरों से आने वाले भिक्षुओं की जानकारी है और न ही इनके नाम, पतों का वेरिफिकेशन किया जा रहा है।
अभियान चला था: कुछ समय पूर्व महाकाल मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं से पैसे मांगने वाले बच्चों और महिलाओं को लेकर को लेकर प्रशासन के निर्देश पर चाइल्ड केअर हेल्प लाइन व महिला बाल विकास के अधिकारियों ने एक अभियान चलाकर बच्चों और महिलाओं को सुधार काउंसलिंग के लिए बाल सुधार गृह पहुंचाया था यह अभियान अब बंद हो गया है।