तीन बत्ती चौराहे पर…ई-रिक्शा और मैजिक चालक में भिड़ंत….

तीन बत्ती चौराहे पर…ई-रिक्शा और मैजिक चालक में भिड़ंत….

झगड़े के कारण सवारियों को उतरकर पैदल जाना पड़ा

एक दूसरे को बोले- जानता नहीं है किस की गाड़ी है…

अक्षरविश्व प्रतिनिधि .उज्जैन। ‘एक ने कहा तू जानता नहीं है यह गाड़ी किसकी है…..जिनका सिक्का आरटीओ में चलता है, उनकी है।’ ‘दूसरा भी कम नहीं था, वह बोला जा बोल देना तेरे दादा को, मैं किसी से नहीं डरता। गाड़ी मेरे आगे मत चलाया कर वरना ठीक कर दूंगा।’ यह संवाद किसी कथा, कहानी या फिल्म के नहीं है बल्कि शहर के तीनबत्ती चौराहे पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट की दो गाड़ी चालकों के बीच हुए विवाद के है।

पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्हीकल की संख्या आवश्यकता से अधिक होने के साथ ही सवारी बैठाने की होड़ और एक ही क्षेत्र में अधिक से अधिक कमाई के चक्कर में चालकों के विवाद होने लगे है। आए दिन इस तरह के झगड़े शहर के कई हिस्सों में देखे जा सकते है। जिसमें मैजिक, ई-रिक्शा और ऑटो रिक्शा चालकों के झगड़े सामने आ रहे हैं। इसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ता है।

ऐसा ही एक दृश्य तीनबत्ती चौराहे पर भी सामने आया, जहां सवारी बैठाने के अलावा आगे निकलने की रेस में ई-रिक्शा और मैजिक चालक आपस में न केवल भीड़ लिए बल्कि एक दूसरे को धमकी भी देते रहे। गुरुवार दोपहर तीनबत्ती चौराहे पर नानाखेड़ा की ओर जाने वाले ई-रिक्शा एमपी 13 आर ए 1592 और मैजिक एमपी 13 टी 6777 के चालक बीच सड़क में अपने वाहन खड़े कर आपस में झगड़ लिए जमकर धक्कामुक्की हुई। विवाद और भिड़ंत लंबी चली तो वाहनों में बैठी सवारी उतरकर चल दी।

सवारी ने बताया कि विवाद की मूल वजह सवारियों को काटना था। दरअसल, मैजिक और ई-रिक्शा नई सड़क से लगभग आगे पीछे ही चल रहे थे और सवारी भी उतारी और बैठाई जा रही थी। उसने ई-रिक्शा चालक को धमकी भरे लहजे में ई-रिक्शा को अलग चलाने को कहा। इसी बात को लेकर दोनों में विवाद हुआ और अपशब्दों के साथ धक्का-मुक्की भी हुई।

एक दूसरे को न केवल देख लेने की चेतावनी दी, बल्कि ‘ई-रिक्शा चालक ने यह भी कहा कि जानता नहीं है यह गाड़ी मदनदादा की है…….जिनका सिक्का आरटीओ में चलता है।’ मैजिक चालक भी कम नहीं था, वह बोला की जा बोल देना तेरे मदनदादा को मैं किसी से डरता नहीं। करीब 20 से 25  मिनिट चले इस विवाद के कारण वाहन में बैठी सवारियों ने उतरना ही मुनासिब समझा।

सवारी को लेकर होती है खींचतान

यह तो एक चौराहे की स्थिति है सवारी बैठाने की प्रतिस्पर्धा में प्रतिदिन इस तरह के विवाद देखने में आ रहे हैं। दरअसल, यह स्थिति पब्लिक ट्रांसपोर्ट की अधिक संख्या के साथ ही वाहन चालकों द्वारा मनमाने रूट पर गाडिय़ों का संचालन करना है। कुल मिलाकर सभी पब्लिक ट्रांसपोर्ट संचालकों की मंशा शहर के मध्य व्यस्त रहने वाले रूट पर चलने की रहती है। जनसुविधा से इनको कोई लेना देना नहीं। इनका लक्ष्य केवल अधिक से अधिक कमाई करना है। इस पर आरटीओ, यातायात पुलिस और अन्य विभाग भी ध्यान नहीं दे रहे हैं।

मनमाना संचालन

ऑटो, ई-रिक्शा व मैजिक वाले तंग सड़क और गलियों के रास्ते सवारियों को ले जाते है। इनमें सवारियों को बैठाने और एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ के कारण शहर दिनभर व्यवस्था बिगड़ती रहती है। त्योहारों के समय बाहर के यात्रियों से मनमाना किराया वसूली की शिकायत तो हमेशा से प्रशासन को मिलती है लेकिन इनके द्वारा ट्रैफिक व्यवस्था बिगाडऩे की घटनाएं भी आए दिन सामने आती है।

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