महाकाल मंदिर में देवास वालों की धर्मशाला में रिनोवेशन शुरू:भवन करीब सौ वर्ष पुराना, नैवेध कक्ष और पुजारी कक्ष खाली कराया

श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में कोटितीर्थ कुंड के समीप स्थित प्राचीन देवास वालों की धर्मशाला के नाम से प्रसिद्ध पुराने भवन के रिनोवेशन का काम रविवार से शुरू हो गया। यहां पर स्थित भगवान महाकाल के नैवेद कक्ष और शासकीय पुजारी कक्ष को खाली कर लिया है। इस स्थान पर छत लैंडस्केप का कार्य किया जाएगा। यह भवन करीब सौ वर्ष पुराना है।

श्री महाकालेश्वर मंदिर में चल रहे विस्तारीकरण कार्य के साथ ही शनिवार को मंदिर परिसर के कोटि तीर्थ कुंड के ऊपर स्थित पुरानी देवास वालों की धर्मशाला के नाम से पुराने भवन को खाली कराया गया। विस्तारीकरण कार्य के दौरान इस भवन में बाबा महाकाल का भोग तैयार करने के लिए नैवेद कक्ष और शासकीय पुुजारी को एक कक्ष आवांटित किया था। वहीं नैवेध बनाने के लिए मार्बल गलियारे में नृसिंह मंदिर के पीछे स्थान दिया है। रविवार को भवन की छत तोडऩे का काम शुरू हुआ है। बताया जा रहा है कि इस प्राचीन इमारत के ऊपर छत का मजबूतीकरण कर लैंडस्कैपिंग की जाएगी। जिससे मंदिर परिसर के पीछे निर्मित शिखर दर्शन के प्लेटफार्म के साथ जुड़ जाएगी।

सागी की लकड़ी से प्राचीन स्वरूप में बनी है धर्मशाला

महाकाल मंदिर परिसर कोटि तीर्थ कुंड के ऊपर स्थित देवास वालों की धर्मशाला नाम से प्रचलित भवन करीब 100 साल से भी अधिक पुराना बताया है। कुछ पंडितों ने बताया कि देवास वालों की धर्मशाला का निर्माण देवास के महाराज ने कराया था। प्राचीन समय में निर्माण होने से इस भवन में कही भी लोहे का उपयोग नहीं किया गया। यहां की छत के लिए सागी की लकड़ी का उपयोग किया गया है। पुराने जमाने में बनी यह धर्मशाला आज भी पुराने वैभव की याद दिलाती है। यही पर भगवान वैकंटेश का मंदिर भी है।

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