देश का दूसरा दिव्यांगजनों को समर्पित पार्क सवा दो हेक्टेयर पर बनेगा

उज्जैन | होशंगाबाद की तर्ज पर विक्रम वाटिका के स्थान पर अब दिव्यांग पार्क बनाया जाएगा। जिला प्रशासन से इसके लिए जमीन मिलते ही इसके बनने का रास्ता साफ हो गया है। जमीन मिलने के बाद उज्जैन विकास प्राधिकरण (यूडीए) ने इस पर कार्य शुरू कर दिया है। दिव्यांग पार्क करीब पांच साल में बनकर पूरा होगा। होशंगाबाद के दिव्यांग पार्क में जो व्यवस्थाएं नहीं हो पाई हैं, वह यहां जुटाई जाएंगी। यूडीए ने प्रशासन ने इस प्रोजेक्ट के लिए विक्रम वाटिका की जमीन मांगी थी। जमीन आवंटित करने की प्रक्रिया पूरी होने पर कलेक्टर संकेत भोंडवे ने सवा दो हेक्टेयर जमीन यूडीए को हस्तांतरित कर दी है। इधर, यूडीए ने भी दिव्यांग पार्क के कार्य की शुरुआत करते हुए कंसलटेंट नियुक्त करने के लिए एड दे दिया है।

होशंगाबाद में बने देश के पहले दिव्यांग पार्क की तर्ज पर ही शहर में भी दिव्यांग पार्क बनाया जाएगा। होशंगाबाद से भी बड़ा पार्क यहां बनाए जाने की यूडीए की योजना है। प्राधिकरण अध्यक्ष जगदीश अग्रवाल एवं तत्कालीन सीईओ शिवेंद्रसिंह ने पिछले वर्ष होशंगाबाद के दिव्यांग पार्क का निरीक्षण किया था और वहां की गई व्यवस्थाओं को बारीकी से जाना था। वहां पार्क में दिव्यांगों के लिए शानदार व्यवस्थाएं की गई हैं। यहां लगे पौधों के नाम ब्रेल लिपि में लिखे हैं जिन्हें दृष्टिबाधित दिव्यांगजन आसानी से पढ़ सकते हैं।

छूकर जान जाएंगे कहां जाना है
शहर में बनने वाला देश का दूसरा पार्क दिव्यांगजनों को समर्पित रहेगा। अस्थिबाधित, श्रवणबाधित दिव्यांगजनों को दृष्टिगत रखते हुए ही पार्क का निर्माण होगा। पार्क की बनावट ऐसी होगी कि दिव्यांगजन व्हीलचेयर पर ही पूरा गार्डन घूम सकेंगे। पार्क में लगने वाली रैलिंग पर ब्रेललिपि में कहां जाना है और किस दिशा में मुडऩा है, यह निर्देश लिखे होंगे जिन्हें छूकर नेत्रहीन दिव्यांगजन पढ़ सकेंगे और पार्क में आसानी से घूम सकेंगे। इसके अलावा ऐसे पौधे लगाए जाएंगे जिन्हें वे सूंघकर बता देंगे कि यह कौन-सा पौधा है। इसके अलावा भी अन्य कई सुविधाएं होंगी।

ऐसा है होशंगाबाद का दिव्यांग पार्क
होशंगाबाद में दिव्यांग अनुभूति पार्क 10 हजार वर्गफीट में 30 लाख रुपए की लागत से बनाया गया है। पार्क में दिव्यांग टच, स्मूल, लुक एंड लिसन अर्थात स्पर्श, दृश्य व श्रवण ज्ञानेंद्री द्वारा वनस्पतियों की प्रकृति को जान सकते हैं। यह पार्क वैज्ञानिक तरीके से प्रत्येक ज्ञानेंद्री को जागृत करने का आदर्श स्थल है। पार्क को बनाने के लिए तीन देशों से आइडिया लिया गया है। इजराइल की तर्ज पर वर्टिकल गार्डन तो ऑस्ट्रेलिया से कैनॉपी ली गई है। ये कैनॉपी धूप-बारिश से पौधों और आने वालों को बचाएगी। जर्मनी के जायलोफोन की तर्ज पर संगीत की व्यवस्था की गई है।

जमीन मिल गई है
दिव्यांग पार्क के लिए जमीन मिल गई है। तीन हेक्टेयर जमीन में से यूडीए को सवा दो हेक्टेयर जमीन दी गई है। कंसल्टेंट नियुक्त करने के लिए एड दे दिया गया है। इसके बाद ड्राइंग तैयार करवाने के साथ अन्य कार्य शुरू किए जाएंगे।
– जगदीश अग्रवाल, अध्यक्ष, उज्जैन विकास प्राधिकरण

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